शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 5. सविभिन्न शिक्षण कौशलों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - शिक्षण कौशल का अर्थ, वर्गीकरण एवं व्याख्या
शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा - शिक्षण विभिन्न शाब्दिक एवं अशाब्दिक
क्रियाओं से सन्निहित प्रक्रिया है जिससे शिक्षण-अधिगम प्रभावित होता है।
शिक्षण कौशल के अन्तर्गत शिक्षक शिक्षण हेतु विभिन्न क्रियाएं करता है। जैसे -
छात्रों से सम्प्रेषण स्थापित करना, श्यामपट पर कार्य करना, प्रश्न पूछना,
व्याख्या स्पष्टीकरण करना इत्यादि। शिक्षक द्वारा की गई विभिन्न क्रियाओं को ही
शिक्षक कौशल की संज्ञा दी जाती है। वास्तव में शिक्षण कौशल शिक्षण प्रक्रिया
में निहित वे क्रियाएं हैं जिनके कुशलतापूर्वक प्रयोग के द्वारा शिक्षक अपने
शिक्षण को प्रभावशाली बनाता है। शिक्षण कौशल के अर्थ को व्यापक रूप से समझने के
लिए निम्नलिखित परिभाषाओं का अवलोकन करना आवश्यक है।
एशियन स्कूल फॉर टीचर एजूकेशन Asian Institute for Teacher Education के अनुसार
- "मुख्य रूप से शिक्षण क्रियाएं जो विद्यार्थियों में इच्छित परिवर्तन लाने
में प्रभावी हैं, शिक्षण कौशल कहलाते हैं।"
एन.एल. गेन के अनुसार - "शिक्षण कौशल वह विशिष्ट अनुदेशन प्रक्रिया है जिसे
अध्यापक अपनी कक्षा-शिक्षण में प्रयोग करता है। यह शिक्षण क्रम की विभिन्न
क्रियाओं से सम्बन्धित होता है जिन्हें शिक्षक अपनी कक्षा अन्तः क्रिया में
लगातार उपयोग करता है।"
मैकईनटेयर तथा व्हाइट के अनुसार - "शिक्षण कौशल शिक्षण व्यवहारों से सम्बन्धित
वह स्वरूप है जो कक्षा की अन्तः क्रिया परिस्थितियों को जन्म देता है जो
शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती है और विद्यार्थियों को सीखने
में सुगमता प्रदान करती हो।"
डॉ. बी.के. पासी के अनुसार - “शिक्षण कौशल विद्यार्थियों के सीखने के लिए
सुगमता प्रदान करने के विचार से सम्पन्न की गई सम्बन्धित शिक्षण क्रियाओं या
व्यवहारों का समूह है।"
डॉ. एस.पी. कुलश्रेष्ठ के अनुसार - "शिक्षण कौशल शिक्षक के हाथ में वह शस्त्र
है जिसका प्रयोग करके शिक्षक अपनी कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली तथा सक्रिय बनाता
है तथा कक्षा की अन्त:क्रिया में सुधार लाने का प्रयास करता है।"
उपर्युक्त विवरण एवं परिभाषाओं के आधार पर शिक्षण कौशल के अर्थ को समझने के लिए
उसे निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया जा सकता है -
शिक्षण कौशल, शिक्षण व्यवहारों से सम्बन्धित क्रियाओं का वह समूह है जिसके
द्वारा कोई शिक्षक अपने शिक्षण को क्रियाशील एवं प्रभावशाली बनाता है। एक
शिक्षक शिक्षण कौशलों का उपयोग अपनी कक्षा की अन्त:क्रियाओं में करता है।
शिक्षण कौशल का वर्गीकरण - विभिन्न शिक्षाविदों द्वारा शिक्षण कौशलों के
विवरणों के अध्ययन एवं वर्गीकरण को ध्यान में रखकर एक व्यापक सूची प्रस्तुत है
जिसमें निम्नांकित शिक्षण कौशलों को वर्गीकृत किया गया है -
(1) अनुदेशन के उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप में लिखना
(2) पाठ गति
(3) दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री की व्यवस्था
(4) विन्यास प्रेरणा
(5) प्रश्नों की प्रवाहशीलता
(6) व्याख्या कौशल
(7) व्याख्यान
(8) दृष्टान्त कौशल
(9) उद्दीपन भिन्नता
(10) श्यामपट का प्रयोग
(11) मौन एवं अशाब्दिक अन्तःप्रक्रिया
(12) पुनर्बलन
(13) खोजपूर्ण प्रश्न
(14) विकेन्द्री प्रश्न
(15) उच्च स्तरीय प्रश्न
(16) विद्यार्थी सम्मागिता वृद्धि
(17) नियोजित पुनरावृत्ति
(18) पाठ समापन कौशल
(19) गृहकार्य देना
(20) सम्प्रेषण की पूर्णता
(21) विद्यार्थी व्यवहारों का अभिज्ञान
(22) कक्षा व्यवस्था
विभिन्न शिक्षण कौशलों की व्याख्या - आधुनिक शिक्षण पद्धति में सूक्ष्म शिक्षण
के अन्तर्गत शिक्षण अधिगम को प्रभावी बनाने हेतु प्रयुक्त होने वाले कुछ प्रमुख
शिक्षण कौशलों की व्याख्या निम्नवत प्रस्तुत है -
(1) सम्प्रेषण कौशल - शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को संचालित करने के लिए शिक्षक
एवं विद्यार्थी में सम्प्रेषण होना अत्यन्त आवश्यक है। सम्प्रेषण के अभाव में
शिक्षण-अधिगम अवरुद्ध हो जाता है और सम्प्रेषण अध्यापक के कक्षा में प्रवेश
करते ही प्रारम्भ हो जाता है और कक्षा पूर्ण होने तक चलता रहता है। एक अच्छे
शिक्षक में छात्रों के सम्प्रेषण स्थापित करने की कुशलता होनी चाहिए।
(2) पाठ प्रस्तावना कौशल - इसे पाठ प्रारम्भ या विन्यास प्रेरणा कौशल भी कहा
जाता है। यदि शिक्षक अपने पाठ का प्रारम्भ प्रभावशाली ढंग से करता है तो उसका
पाठ सफलतापूर्वक प्रभावशाली एवं सुस्पष्ट बन जाता है। पाठ की सफलता एवं
प्रभावशीलता पाठ प्रस्तावना की प्रभावकारिता पर निर्भर करती है। यह अध्यापक की
कल्पना एवं सृजनात्मक शक्तियों को क्रियाशील बनाए रखती है।
(3) प्रश्न प्रवाहशीलता कौशल - प्रश्न पूछने में प्रवाहशीलता एक महत्वपूर्ण
कौशल है। एल.सी. सिंह के अनुसार - "प्रश्न पूछने में प्रवाहशीलता इसकी
प्रभावपूर्णता की दृष्टि से प्रदत्त समय की अवधि में शिक्षक द्वारा पूछे गए
अर्थपूर्ण प्रश्नों की संख्या की वृद्धि के लिए है।" शिक्षक की सफलता में इस
कौशल का विशेष महत्व रहता है। प्रश्न कैसे पूछना है, कब पूछना है, स्वर का
उतार-चढ़ाव, उत्तर प्राप्त करना इत्यादि इसके महत्वपूर्ण घटक हैं।
(4) अनुशीलन / खोजपूर्ण प्रश्न कौशल - जब विद्यार्थी कक्षा में शिक्षण के दौरान
गलत या अपूर्ण उत्तर देते हैं तब शिक्षक को विद्यार्थी से सही उत्तर प्राप्त
करने के लिए अन्य सहायक प्रश्न पूछने पड़ते हैं। यह सहायक प्रश्न विद्यार्थी को
किसी एक समस्या के विभिन्न पहलुओं पर गहराई तक पहुँचने में सहायता करता है। इसी
कारण इन प्रश्न को खोजपूर्ण कौशल की संज्ञा दी जाती है। ए. सिंह एवं आर. सी.
शर्मा के अनुसार - "विभिन्न तकनीकों का प्रयोग कर विद्यार्थी से सही उत्तर
प्राप्त करने के कौशल को अनुशील प्रश्न कौशल या खोजपूर्ण कौशल कहते हैं।"
(5) व्याख्या / स्पष्टीकरण कौशल - शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में पाठ्यक्रम के
कठिन अंशों या भावों को स्पष्ट, बोधगम्य एवं सरलतम रूप से प्रस्तुत करने को
व्याख्या या स्पष्टीकरण कहा जाता है। इसमें पाठ्यवस्तु के समस्त तथ्यों को
तार्किक क्रम में रखकर स्पष्ट करने का प्रयास किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी
सरल उदाहरण द्वारा भी तथ्य या भाव को बोधगम्य बनाया जाता है। गालिक के अनुसार -
"स्पष्टीकरण वास्तव में एक प्रकार का वर्णन है। स्पष्टीकरण द्वारा भाव या अर्थ
स्पष्ट किया जाता है और इसे विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की कला कहा
जाता है।"
(6) श्यामपट कौशल - शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने हेतु एक दृश्य उपकरण के
रूप में श्यामपट का प्रयोग सदियों से होता चला आ रहा है। माप, निर्माण एक उपयोग
की दृष्टि से कई प्रकार के श्यामपट प्रयोग में लाए जाते हैं। मुख्य बात यह है
कि एक शिक्षक श्यामपट का कितना सफल एवं प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करता है।
यही उसकी श्यामपट निपुणता कहलाती है।
(7) पुनर्बलन कौशल - पुनर्बलन से हमारा अभिप्राय ऐसे उद्दीपनों का प्रयोग करने
से है जिनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति से किसी अनुक्रिया के होने या न होने की
आशा बढ़ जाती है। पुनर्बलन द्वारा वांछित व्यवहार करने की प्रेरणा मिलती है।
पुनर्बलन शिक्षण अधिगम का प्रभावी घटक है।
इसके अतिरिक्त उद्दीपन परिवर्तन कौशल, पाठ समापन कौशल तथा कक्षा कक्ष प्रबन्ध
कौशल इत्यादि का शिक्षण अधिगम को प्रभावी बोधमय तथा सफल बनाने के निमित्त
प्रयोग किया जाता है।
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