प्रश्न 4. आधुनिक समाज पर विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के प्रभाव व स्वरूप
का वर्णन कीजिए।
अथवा
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समाज पर प्रभाव का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
अथवा
विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं समाज के पारस्परिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।।
उत्तर-आधुनिक समाज पर विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का प्रभाव- भौतिक विज्ञान के
क्षेत्र में होने वाली प्रगति एवं विकास ने आज के अति आधुनिक समाजों तथा
समुदायों को जिस रूप में प्रभावित किया है उसका कुछ संक्षिप्त विवरण निम्न
प्रकार दिया जा सकता है-
(1) आधुनिक भवनों एवं आवासीय बस्तियों का निर्माण (Constructions of Modern
Building and Residential Colonies)-आज की दुनिया को अति आधुनिक बनाने में भवन
निर्माण कला में दिखने वाली अति आधुनिकता का बहुत बड़ा हाथ है और कहना न होगा
कि यह सब कुछ भौतिक विज्ञानों में होने वाली प्रगति और अनुसंधान कार्यों से ही
संभव हो सका है। आज हमारे पास भार वहन कर सकने वाली और अति हल्की किस्म की जिन
धातुओं तथा पदार्थों की भरमार है तथा जिस प्रकार के यंत्र और उपकरण भवन निर्माण
के लिए मौजूद हैं उनका विकास भौतिक विज्ञान में होने वाली प्रगति से ही हो पाया
है।
(2) परिवहन एवं संप्रेषण तन्त्र (Transportation and Communication
Systems)-आधुनिक समाज को अति आधुनिक और अति विकिसित परिवहन एवं संप्रेषण
प्रणालियों को उपलब्ध कराने में भी भौतिक विज्ञान में होने वाली प्रगति एवं
विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान है। आज हमें कोई भी दूरी,दूर नहीं लगती चाहे हम
विश्व के किसी भी काने में कहीं भी आना-जाना चाहें या किसी से कहीं भी संप्रेषण
करना चाहें और यह भौतिक विज्ञान द्वारा प्रदत्त सेवाओं का ही परिणाम है।
(3) खाद्य उत्पादन तथा उसकी उपलब्धि से सम्बन्धित प्रणाली का आधुनिकीकरण
(Modernizationof the System of Food Production and its Availability to the
People)- भौतिक विज्ञान में होने वाले विकास ने आज खाद्य उत्पादन के स्रोतों
में भी काफी क्रांति ला दी है। आज हमारे पास कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन, मछली
और मधुमक्खी पालन इत्यादि सभी क्षेत्रों में काफी विकसित तकनीकी ज्ञान उपलब्ध
है। इसने एक ओर जहाँ खाद्यों के उत्पादन को बहुत बढ़ा दिया है तो दूसरी ओर इनके
उत्पादन में किए जाने वाले मानव श्रम की जटिलताओं को भी काफी कम कर दिया है।
इसके अतिरिक्त आज हम उत्पादित खाद्य सामग्री को आधुनिक तकनीकी की सहायता से
काफी लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं तथा दुनिया के हर कोने में इच्छानुसार
उसकी उपलब्धि का सम्भव बना सकते हैं।
(4) जल संसाधन प्रबन्धन तथा उसका शुद्धिकरण (Water Resource Management and its
Purification)- भौतिक विज्ञान में होने वाली प्रगति और विकास ने आधुनिक समाज को
उसके जल संसाधनों के उचित प्रबन्धन हेतु काफी विकसित तकनीकियाँ प्रदान की हैं।
बड़े-बड़े बाँधों का निर्माण तथा विकसित जल वितरण प्रणाली जिसके द्वारा कृत्रिम
सिंचाई तथा पीने के पानी का उचित प्रबन्ध सम्भव हो पाता है, वह सभी इसी तकनीकी
का प्रतिफल है। हमारे नलों में जो पानी पहुँचाता है उसका शुद्धिकरण भी भौतिक
विज्ञान की ही देन है। आज हम शुद्ध पेय जल के रूप में घर और बाहर जिस प्रकार के
उन्नत जल शुद्धिकरण यंत्रों का उपयोग कर रहे हैं, ये सब भौतिक विज्ञान में होने
वाली प्रगति से ही संभव हो पाया है।
(5) कार्यस्थलों पर काम करने या श्रम करने सम्बन्धी तरीकों का आधुनिकीकरण
(Modernization of the Ways of Working and Labouring at Work Places)- भौतिक
विज्ञान में होने वाली प्रगति और विकास ने आज कामकाज के तरीकों में बहुत सुधार
लाकर कम परिश्रम से अधिक और अच्छा कार्य करने या उत्पादन करने की तकनीकें हमें
प्रदान की हैं। चाहे घर की रसोई हो या खेत-खलिहान, फैक्ट्री, दफ्तर, दुकान और
किसी भी तरह का औद्योगिक प्रतिष्ठान,सभी के काम करने या श्रम करने के तरीकों का
पूरी तरह आधुनिकीकरण करने में इस प्रकार के तकनीकी ज्ञान और उपकरणों ने बहुत ही
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
(6) मनोरंजन तथा खाली समय में की जाने वाली रुचिकर क्रियाओं हेतु आधुनिक तरीके
ETT (Providing Modern Means for the Entertainment and Leisure Time Hobbies)
-आधुनिक समाज को उसके अति आधुनिक मनोरंजन तथा रुचिकर क्रियाओं को सम्पन्न करने
के तरीकों की उपलब्धि कराने में भी भौतिक विज्ञान की प्रगति से जुड़ी सेवाओं का
ही हाथ है। रेडियो, टेलीविजन, वीडियो, फिल्म, कैमरा, कम्प्यूटर जनति गेम्स तथा
इंटरनेट सुविधाएँ, चाहे जिस भी मनोरंजन क्षेत्र या अपनायी जाने वाली हॉबी को ले
लीजिए, सबमें अपने इस रूप में उपयोग में आने के पीछे भौतिक विज्ञान में होने
वाली प्रगति की ही झलक दिखाई देती है।
(7) स्वास्थ्य की देखभाल और बीमारियों का इलाज (Health Care and Treatment of
Diseases)- भौतिक विज्ञान में होने वाली प्रगति और विकास ने आधुनिक समाज को वह
सब कुछ बेहतर ढंग से प्रदान करने का प्रयत्न किया है जिससे सभी के स्वास्थ्य की
बेहतर देखभाल सम्भव हो सके तथा बीमारियों से बचने तथा उनके इलाज करने में
पर्याप्त सुविधा और सफलता हासिल हो सके। आज असाध्य से असाध्य बीमारी के निदान
तथा उपचार हेतु भौतिक विज्ञान के द्वारा प्रदत्त उपकरण, संसाधन, तकनीकें तथा
दवाइयों और रसायनों की उपलब्धि इसी बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि हमारे
स्वास्थ्य की देखभाल और बीमारियों के इलाज में भौतिक विज्ञान द्वारा प्रदत्त
उपकरण तथा सेवायें आधुनिक समाज का कितना हित संपादन कर रही हैं।
(8) अन्तःसम्बन्ध तथा अन्तःनिर्भरता में वृद्धि (Development of
Inter-relationship and Inter-dependence)- यह भौतिक विज्ञान में होने वाली
प्रगति और विकास का ही परिणाम है कि आज के आधुनिक समाज में जिस तरह की
अन्त:निर्भरता तथा अन्त:सम्बन्धों की अनिवार्यता नजर
आती है उसे अपने इस रूप में अच्छी तरह चालू रखना संभव हो पा रहा है। आज दुनिया
वैश्वीकरण की राह पर है जो कुछ एक व्यक्ति, समाज या राष्ट्र द्वारा किया जाता
है, उसका प्रभाव जाने-अनजाने सभी पर पड़ता है। एक के द्वारा किया गया उत्पादन
या अनुसंधान कार्य दूसरे के काम आता है और इस दृष्टि से आज पूरा विश्व एक
परिवार बनकर रह गया है जिसमें आपसी सम्बन्धों की काफी अधिक निकटता और पारस्परिक
निर्भरता देखने को मिल रही है। आधुनिक समाज को इस स्वरूप में पहुँचाने तथा उसके
इस वैश्वीकृत रूप को साकार बनाने में भौतिक विज्ञानों द्वारा प्रदत्त सेवाओं का
ही योगदान नजर आता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समाज पर प्रभाव का आलोचनात्मक विश्लेषण - जो कुछ
ऊपर कहा गया है उसके आधार पर यह परिणाम नहीं निकाला जाना चाहिए कि भौतिक
विज्ञान में होने वाले विकास और प्रगति से आधुनिक समाज का सभी तरह से लाभ ही
हुआ है। इस प्रगति ने आधुनिक समाज को जहाँ अच्छी तरह जीने के सभी आधुनिकतम साधन
उपलब्ध कराए हैं वहीं आधुनिक समाज में व्याप्त बुराइयों तथा हानिप्रद परिणामों
को भी जन्म दिया है। संक्षेप में, हम इनका निम्न प्रकार उल्लेख कर सकते हैं-
(i) ग्रामीण व्यवस्था का उजड़ना और अधिक-से-अधिक शहरीकरण।
(ii) सभी प्रकार के प्रदूषण जैसे-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण,
सांस्कृतिक प्रदूषण आदि में भारी वृद्धि।
(iii) जनसमूह में धन-सम्पदा और अन्य भौतिक सुविधाओं का असमान वितरण।
(iv) समुदाय या सामाजिक इकाइयों की आत्मनिर्भर रहने सम्बन्धी अवधारणा का लुप्त
होना।
(v) लोगों के स्वास्थ्य तथा जीवन को चौपट करने वाले मादक द्रव्यों तथा रसायनों
के उपयोग में वृद्धि।
(vi) विनाशकारी, अस्त्र-शस्त्रों का विकास और उनके अविवेकपूर्ण ढंग से प्रयुक्त
करने का खतरा।
(vii) खाद्य पदार्थों के अधिक उत्पादन तथा कीटाणुओं को मारने हेतु प्रयोग में
लायी जाने वाली खाद तथा रासायनिक पदार्थों के बढ़ते हुए हानिकारक प्रभाव।
(viii) भौतिक समृद्धि और वैयक्तिक विकास की अंधी दौड़ में भौतिक मूल्यों तथा
सामाजिक जिम्मेदारी की भावना में आई गम्भीर गिरावट।
आधुनिक संदर्भ में भौतिक विज्ञान का स्वरूप
परिवर्तन प्रकृति का नियम है और हमारे इस भौतिक संसार में इन परिवर्तनों को
लाने का श्रेय विज्ञान को जाता है। विज्ञान के इस स्वरूप और क्षेत्र में भी
निरन्तर परिवर्तन आते रहते हैं जो उन महान विभूतियों के अथक परिश्रम का प्रतिफल
होते हैं जिन्हें हम वैज्ञानिकों का दर्जा देते हैं।
विज्ञान के विद्यार्थी और भविष्य के शिक्षक होने के नाते अब आपका यह कर्त्तव्य
बन जाता है कि आप विज्ञान के इस नवीन स्वरूप एवं उसके विस्तार क्षेत्र से
भली-भाँति परिचित होते हों। भौतिक विज्ञान के स्वरूप की चर्चा हेतु निम्न
बिन्दुओं की बात करेंगे-
(1) भौतिक विज्ञान में आज के दिन ऐसे कौन-से महत्त्वपूर्ण प्राथमिकता वाले
क्षेत्र हैं जिनके अध्ययन व अनुसंधान पर बहुत अधिक बल दिया जा रहा है।
(2) भौतिक विज्ञान में होने वाली प्रगति आधुनिक समाज एवं समुदाय को किस रूप में
प्रभावित कर रही है?
(3) भौतिक विज्ञान में होने वाली प्रगति ने वैश्वीकरण में क्या योगदान दिया है?
(4) भौतिक विज्ञान में आज तक ऐसी कौन-सी उल्लेखनीय खोजें तथा इसकी प्रगति से
जुड़े हुए ऐसे कौन-से महान प्रयत्न किये हैं जिन्हे मार्ग-दर्शिका खोजें तथा
अविस्मरणीय आविष्कार का नाम दिया जा सके।
(5) भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में होने वाली इस प्रगति के पीछे जिन वैज्ञानिकों
का हाथ रहा है और उनमें से प्रमुख रूप में जिन भारतीय तथा विदेशी वैज्ञानिकों
का योगदान अति सराहनीय है उनका संक्षिप्त परिचय है।
(6) भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में आज आगे बढ़ने तथा उन्हें व्यवसाय के रूप में
अपनाने सम्बन्धी क्या-क्या सुविधाएँ हैं?
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