प्रश्न 3. विज्ञान विषय का अन्य विषयों के साथ सह-सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
अथवा
विज्ञान का अन्य दूसरे विषयों के साथ किस प्रकार का सम्बन्ध है? विस्तृत
विवेचन कीजिए।
अथवा
विज्ञान शिक्षण का अन्य विद्यालयी विषयों से सहसम्बन्ध स्थापित कीजिए।
1. विज्ञान और भाषा में क्या सहसम्बन्ध है? बताइए।
2. विज्ञान और गणित में सहसम्बन्ध स्थापित कीजिए।
3. विज्ञान और समाज विज्ञान में सहसम्बन्ध बताइए।
4. विज्ञान का रसायन विज्ञान एवं जीव विज्ञान से सहसम्बन्ध बताइए।
उत्तर-विज्ञान विषय का अन्य विषयों के साथ सह-सम्बन्ध
(Correlation of Science with Other Subjects)
विज्ञान वर्ग में दो उपवर्ग भौतिक विज्ञान और जीव विज्ञान प्रमुख रूप से
सम्मिलित किये जाते हैं। अत: इसमें सम्मिलित विषयों को विभिन्न समूहों में
प्रस्तुत किया गया है, जैसे- भौतिक विज्ञान - भौतिकी एवं रसायन विज्ञान,
सामान्य विज्ञान - भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान आदि। इसमें विज्ञान के
तीन विषयों को एक साथ रखा गया है। इसमें तीनों प्रमुख विज्ञान विषयों के साथ
कृषि को भी सम्मिलित किया गया है। इस प्रकार भौतिक विज्ञान के अन्तर्गत भौतिकी,
रसायन विज्ञान, गणित प्रमुख पाठ्य विषय हैं, जबकि जीव विज्ञान में
प्राणिशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र और रसायन विज्ञान का अध्ययन अनिवार्य है।
विज्ञान आधारित और प्रयुक्त दोनों ही रूपों में निरन्तर रूप से सर्वव्यापी और
विराट होता जा रहा है। इसकी नित नई-नई शाखाएँ और प्रशाखाएँ विकसित एवं
उद्विकसित हो रही हैं।
विज्ञान के अन्य विषयों के साथ सह-सम्बन्ध को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-
1. विज्ञान और भाषा में सहसम्बन्ध (Correlation of Science and Language)भाषा
और विज्ञान के सम्बन्ध को प्रत्यक्ष सहसम्बन्ध के रूप में देखा जा सकता है। एक
सहज सम्बन्ध तो भाषा की अभिव्यक्ति का साधन होता है। यह अन्य शास्त्रों एवं
विधाओं की भाँति विज्ञान से अभिव्यक्ति देती है जो कि उसके विकास और प्रसार के
लिए विशेष और मूल है। विज्ञान भाषा-बोध के लिए आवश्यक तकनीकें और कई तरह की
विधाएँ उपलब्ध कराता है। शब्द अथवा वाक्य रचना के बोध, विश्लेषण और संश्लेषण से
ही सम्भव है। आज के दौर में अनेकों स्पष्ट रूप में वैज्ञानिक विधाएँ हैं। भाषा
व्याकरण पर आधारित है तभी तो भाषा व्याकरण का प्राण है। व्याकरण स्वयं भाषा की
आत्मा है। निर्णयन प्रक्रिया में सामान्यीकरण अपनी उत्पत्ति में विज्ञान की ही
तकनीक है। इस कारण से इसे भाषा विज्ञान के ही नाम से जाना जाता है क्योंकि इसकी
और विज्ञान की संरचना और विकास प्रक्रियाएँ अपने आप में समान एवं आदर्श हैं।
2. विज्ञान और गणित में सहसम्बन्ध (Correlation of Science and
Mathematics)-विज्ञान और गणित के सम्बन्ध को प्रत्यक्ष सहसम्बन्ध के रूप में
बताया गया है। गणित विज्ञान की ही एक प्रमुख शाखा है, लेकिन इसका विराट स्वरूप
है। इसको विज्ञान के समान्तर माना जाता है। खगोलशास्त्रों ने तो गणित को ही एक
शाखा माना है, इसी कारण इसमें अंकगणित, त्रिकोणमिति, बीजगणित आदि विश्लेषणात्मक
गणित का उपयोग किया गया है। भौतिकी का अध्ययन गणित के अभिज्ञान के बिना सम्भव
नहीं है। इससे ज्ञान के विकास का मूलाधार भी गणित का ही विकास है। गणित' के
बिना कुछ भी आसान नहीं है, इसके बिना आदिकाल के प्रचलित यन्त्रों तथा उत्तोलक
से लेकर अब तक निर्मित जटिलतम और आधुनिक कम्प्यूटर तथा अन्तरिक्ष यानों के
निर्माण और उनकी कार्यविधि की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। इसके सारे तत्व
विज्ञान के ही समान हैं। इनकी विषय-वस्तुओं में अन्तर्सम्बन्धों पर विवरण एक
दृष्टि के रूप में पर्याप्त है। सभी विज्ञान विषयों में गणित के सर्वाधिक निकट
भौतिकी को ही देखा जा सकता है। विज्ञान के सभी सिद्धान्त और नियम गणितीय भाषा
में ही प्रस्तुत किये जाते हैं। परम्परागत एवं नवीन ऊर्जा संयन्त्रों के
निर्माण एवं कार्यविधि में गणित की भूमिका सहज समझने योग्य है। प्रतीकवाद पर
आधारित सभी सामान्यीकरण बीजगणित की मूल देन हैं। इसी प्रकार भौतिकी में इनकी
प्रयुक्ति के कई उदाहरण हैं। गणितीय प्रक्रमों की प्रयुक्ति जनांनिकी,
आनुवंशिकी, पोषण, अभिवृद्धि
और परिपक्वन, चयापचन, थकान, विभिन्न प्रकार का प्राणी पर प्रभाव व कई अन्य
विशिष्ट शारीरिक और जैविक पहलुओं आदि में उल्लेखनीय उन्नति हो रही हैं।
3. विज्ञान और समाज विज्ञान में सहसम्बन्ध (Correlation of Science and Social
Science) - विज्ञान और समाज विज्ञान में एक महत्वपूर्ण सम्बन्ध है। समाज पर
विज्ञान का प्रभाव संस्कृति, कला, उत्पादकता, स्वास्थ्य, शिक्षा, मूल्यमीमांसा
पर पूरी तरह से छाया है। कई प्रकार की रूढ़ियाँ विश्व के विभिन्न समाजों और
समुदायों में व्याप्त हैं। आज के दौर में विज्ञान के बढ़ते हुए प्रभाव से
औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण ने इन रूढ़ियों को तोड़ने में पर्याप्त सफलता प्राप्त
की है। समाज विज्ञान को विज्ञान से मिलाकर बनाया जाता है। समाज की आत्मा
संस्कृति है। इसका हस्तान्तरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता है। प्रत्येक
पीढ़ी के स्वाभाविक सामाजिक कर्त्तव्य हैं जैसे - संरक्षण, विकास, हस्तान्तरण।
यहाँ किसी पीढ़ी के विकास सम्बन्धी कर्त्तव्य पर ध्यान केन्द्रित किया जा सकता
है। इस स्तर की तीन संक्रियाएँ है- नवीकरण, विसरण और निर्वचन। अपनी विशिष्ट
आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समाज में नये विचारों, तकनीकों, विधियों,
सिद्धान्तों, उपकरणों आदि का उद्भव व आविष्कार होता है। ये तत्व नवीकरण के
परिणाम हैं। विज्ञान किसी परम शक्ति पर विश्वास नहीं करता। वैचारिक स्तर पर
सुक्रांत का उदाहरण सार्वभौमिक है। विश्व के हर समाज में अनेकानेक ऐसे
अन्धविश्वास प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वासों से विश्व समाज को मुक्त करने के
प्रयास विज्ञान से हो रहे हैं।
4. विज्ञानका रसायन विज्ञान एवं जीव विज्ञान से सहसम्बन्ध (Correlation of
Science with Chemistry and Biology)-विज्ञान का रसायन विज्ञान एवं जीवविज्ञान
से सहसम्बन्ध महत्वपूर्ण है। रसायन विज्ञान तो प्रतीकों, समीकरणों, नियमों का
भण्डार है। यौगिकों की आन्तरिक संरचनाएँ प्रस्तुत करने में गणितीय तकनीक का ही
उपयोग होता है। कार्बनिक यौगिकों के समान सूत्र होते हुए भी उनमें भिन्नता होती
है यथा-ग्लूकोज और फ्रक्टोज। इनके उत्तर को आन्तरिक रचना के द्वारा ज्यामितीय
विधि से ही स्पष्ट करना सम्भव हुआ है। इस प्रकार के अनगिनत उदाहरण रसायन
विज्ञान में भरे हुए हैं। रसायन विज्ञान की आंकिक समस्याओं के हल में गणित के
नियमों, सिद्धान्तों, सूत्रों का ही उपयोग होता है। रसायनशास्त्र में जटिल और
लम्बे रासायनिक संयोगों को समीकरणों द्वारा प्रस्तुत करने में जो सुविधा हुई
उसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। इसकी तो अनुभूति ही की जा सकती है।
विज्ञान की दो धाराओं में जीव विज्ञान गणित के प्रभाव से मुक्त है। माध्यमिक
स्तर से विज्ञान संकाय की धाराएँ हैं - भौतिकी एवं गणित और जीव विज्ञान। रसायन
विज्ञान दोनों में सम्मिलित रहा है। यदि विचार करें तो व्यावहारिक रूप में आज
भी इसका प्रभाव दिखाई देता है, लेकिन यह एक मिथ्या धारणा है। जीव विज्ञान और
उससे सम्बन्धित सभी विज्ञान - प्राणिशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, शरीर विज्ञान,
आयुर्विज्ञान, नृविज्ञान आदि गणित से इतने ही प्रभावित हैं जितने कि भौतिक
विज्ञान। भौतिक गुण जैसे क्वथनांक, गलनांक, घनत्व, वाष्प घनत्व एवं रसायनों के
क्रान्तिक बिन्दु आदि का पता लगाने के लिए प्रयोगों वाली 'भौतिकी तकनीक का
उपयोग किया जाता है।
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