प्रश्न 2. "विज्ञान तथा तकनीकी परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं।" इस कथन
की व्याख्या कीजिए।
अथवा
विज्ञान तथा तकनीकी के सम्बन्ध पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-"विज्ञान तथा तकनीकी परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं"-विज्ञान और
प्रौद्योगिकी सहचरियाँ हैं। दोनों अन्योत्याश्रित शक्तियाँ हैं। वर्तमान युग
इसी युगल का है। जटिलता इस कल्प (Era) की नियति (Nature) है। शिक्ष के क्षेत्र
में इसका आभास चिन्ता का कारण बन गया है, किन्तु इन्हीं के द्वारा इसका निराकरण
सम्भव है। विश्व जनसंख्या और ज्ञान के विस्फोट इसके मूल कारण हैं। विश्व की
बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए शिक्षा सहित उसकी मूल आवश्यकताओं को पूरा करना समाज
का धर्म है, किन्तु आवश्यकता के साथ-साथ उसके लिए आपूर्ति के साधन की नियति में
उपलब्ध होते हैं। इसमें मानव विवेक सहायक है, जिसने आधुनिक विज्ञान और
प्रौद्योगिकी का विकास किया। ये दोनों विकास पथ सहगामी शक्तियाँ हैं। विज्ञान
शिक्षा की व्यापक और वृहद दशा में मांग पूरी करने में प्रौद्योगिकी ही सहायक
रही है।
तकनीकों का ऐसा सम्पूर्ण तानाबाना जो किसी भी कार्य को न्यूनतम श्रम, शक्ति,
समय और धन से पूरा करने में सहायक हो, वही प्रौद्योगिकी है। कार्य पूर्व
निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति उद्यम हैं। इसमें मानव क्रियाएँ अन्तर्भवित हैं
जोकि स्वयं सोद्देश्यपूर्ण होती है। शिक्षा प्रक्रिया भी सोद्देश्यपूर्ण मानवीय
उद्यम या प्रयास है। आधुनिक युग में यह विराट और जटिलताओं से भरपूर स्वरूप
प्राप्त करता जा रहा है। वृद्धिमान विश्व जनसंख्या, ज्ञान का विस्फोट और समस्त
जनसंख्या के लिए ज्ञान सम्प्रेषण प्रौद्योगिकी की सहायता के बिना सम्भव नहीं है
इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में इसकी अनिवार्यता शिक्षा और स्वयं इसकी नियति है।
बाइमर के अनुसार -"अधिगम प्रक्रिया में सुधार के लिए व्यवस्थाओं, तकनीकों और
सहायक सामग्रियों का विकास उपयोजन और मूल्याँकन शैक्षिक प्रौद्योगिकी है।"
जी.ओ.एम. लीथ के अनुसार - “शैक्षिक तकनीक शिक्षण और प्रशिक्षण की प्रभाविता और
दक्षता में सुधार के लिए अधिगाम के वैज्ञानिक अभिज्ञान की प्रयुक्ति है।"
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति से 19 वीं सदी में विश्व
में प्रथम वैज्ञानिक क्रांति' का सूत्रपात हुआ। नई सामग्री, नए ऊर्जा स्रोतों
और उपयुक्त प्रौद्योगिकी की उपलब्धता ने नई फैक्ट्रियों और नए उद्योगों की
स्थापना को जन्म दिया। वस्तुओं का बड़े पैमाने पर सामूहिक उत्पादन सम्भव हो
सका। यूरोप और अमेरिका में इस्पात, रेलवे, कपड़ा, आटोमोबाइल और विद्युत उपकरणों
और यन्त्रों के उत्पादन से सम्बन्धित उद्योग स्थापित किए गए।
समाज में विज्ञान और तकनीकी वाद-विवाद का विषय बन गए हैं। एक तरफ तो यह आधुनिक
जीवन के लिए आवश्यक है, जहाँ अन्य देश तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में
निरन्तर विकास कर रहे हैं, वहीं यह अन्य देशों के लिए भी आवश्यक हो जाता है कि,
वे भी इसी तरह से भविष्य में सुरक्षा के लिए ताकतवर और अच्छी तरह से विकसित
होने के लिए वैज्ञानिक विकास बहुत अधिक जरूरी हो गया है। ये विज्ञान और
प्रौद्योगिकी ही है, जिन्होंने अन्य कमजोर देशों को भी विकसित और ताकतवर बनने
में मदद की है। मानवता के भले के लिए और जीवन के सुधार के लिए हमें हमेशा
विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद लेनी होगी। यदि हम तकनीकियों की सहायता नहीं
लेते;- कम्प्यूटर, इंटरनेट, बिजली आदि तो हम भविष्य में कभी भी आर्थिक रूप से
मजबूत नहीं होंगे और हमेशा पिछड़े हुए ही रहेंगे यहाँ तक कि, हम इस प्रतियोगी
और तकनीकी संसार में जीवित भी नहीं रह सकते हैं। चिकित्सा, शिक्षा,
अर्थव्यवस्था, खेल, नौकरियाँ, पर्यटन आदि विज्ञान और प्रौद्योगिकियों के उदाहरण
हैं। ये सभी उन्नति हमें दिखाती है कि कैसे दोनों हमारे जीवन के लिए समान रूप
से आवश्यक है। हम अपनी जीवन-शैली में प्राचीन समय के जीवन के तरीकों और आधुनिक
समय के जीवन के तरीकों की तुलना करके स्पष्ट रूप से अन्तर देख सकते हैं।
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