शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 6. निगमनात्मक विधि से आप क्या समझते हैं? निगमनात्मक विधि के गुण
व दोष बताइये।
उत्तर-निगमनात्मक विधि
(Deductive Method)
निगमनात्मक विधि भौतिक विज्ञानों के शिक्षण की मुख्य विधि है। इसका उपयोग भौतिक
विज्ञान के शिक्षण में विशेष रूप से होता है क्योंकि इनमें विविध प्रकार के
नियमों, सूत्रों एवं नियमों पर प्रयोग करके विषय का ज्ञान प्राप्त कराया जाता
है। इस परिभाषा को हम इस प्रकार बता सकते हैं -
शिक्षा-शब्दकोश के अनुसार, निगमनात्मक विधि शिक्षण, अध्ययन व तर्क की विधि
कहलाती है। जिसमें छात्र समान्य सिद्धान्त के विशिष्ट अनुप्रयोग की ओर अग्रसर
होते हैं और निष्कर्षों के लिए वैधता प्रदर्शित होती है।
लेण्डन के अनुसार, "निगमनात्मक शिक्षण में सर्वप्रथम परिभाषा या नियम का सीखना
सुनिश्चित किया जाता है फिर सावधानीपूर्वक उसका अर्थ स्पष्ट किया जाता है और
तथ्यों के प्रभाव से उसे पूर्ण रूप से स्पष्ट किया जाता है।
निगमनात्मक विधि के गुण (Merits of Deductive Method) - निगमनात्मक विधि के गुण
निम्नलिखित हैं -
1. इस पद्धति द्वारा छात्रों में अमूर्त विचारों को समझने की क्षमता का विकास
होता है।
2. यह विधि भूगोल शिक्षण हेतु अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
3. यह विधि सामान्य नियम या सिद्धान्त के सत्य की जाँच कराने हेतु अत्यन्त
महत्त्वपूर्ण है।
4. इस विधि में समय कम लगता है।
5. निगमन विधि शिक्षक के कार्य को सरल बनाती है, क्योंकि इसके शिक्षक को अपने
कथन का प्रमाण प्रस्तुत नहीं करना पड़ता।
निगमनात्मक विधि के दोष (Demerits of Deductive Method) - इस विधि के
निम्नलिखित दोष हैं -
1. इस विधि से छात्रों को अस्पष्ट एवं अपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।
2. यह विधि अमनोवैज्ञानिक है क्योंकि इसमें सामान्य से विशिष्ट की ओर चलते हैं।
3. इस विधि से छात्रों में रटने की आदत पड़ती है।
4. इस विधि के द्वारा तर्क-शक्ति एवं विचार-शक्ति का विकास होता है।
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