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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 2. विज्ञान शिक्षण हेतु एन.सी.एफ., 2005 की प्रमुख संस्तुतियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - विज्ञान शिक्षण हेतु एन.सी.एफ., 2005 की प्रमुख संस्तुतियाँ निम्नवत् हैं -

विज्ञान गत्यात्मक और निरंतर परिवर्धित ज्ञान का भंडार है जिसमें अनुभव के नये-नये क्षेत्रों को शामिल किया जाता है। एक प्रगतिशील और भविष्योन्मुखी समाज में विज्ञान सचमुच मुक्तिदायी भूमिका निभा सकता है, इसके सहयोग से लोगों को गरीबी, अज्ञान और अंधविश्वास के दुष्चक्र से निकाला जा सकता है। विज्ञान और तकनीकी के विकास ने कृषि और उद्योग के परंपरागत स्वरूप को बिलकुल बदल दिया है। आज का मनुष्य तेजी से परिवर्तनशील समाज का हिस्सा है जिसमें लचीलापन, नवाचार और रचनात्मकता प्रमुख कौशल समझे जाते हैं। विज्ञान शिक्षा का स्वरूप तय करते हुए इन विविध पहलुओं को ध्यान में रखने की जरूरत है। अच्छी विज्ञान शिक्षा बच्चे, जीवन व विज्ञान के प्रति ईमानदार होती है। यह सरल निष्कर्ष विज्ञान पाठ्यचर्या के निम्नलिखित वैध मानकों की ओर इंगित करता है :

1. संज्ञानात्मक वैधता के लिए आवश्यक है कि पाठ्यचर्या की विषयवस्तु, प्रक्रिया, भाषा व शिक्षा-शास्त्रीय अभ्यास आयु के अनुरूप हों और बच्चे की संज्ञानात्मक पहुँच के भीतर आएँ।

2. संज्ञानात्मक वैधता के लिए आवश्यक है कि पाठ्यचर्या बच्चों तक महत्वपूर्ण व वैज्ञानिक विषयवस्तु पहुँचाए। बच्चों के संज्ञानात्मक स्तर तक पहुँचने के लिए अंतर्वस्तु को सरल तो किया जाए लेकिन उसे इतना हल्का नहीं बनाया जाए कि मूल जानकारी या तो गलत या निरर्थक हो जाए।

3. प्रक्रिया की वैधता के अंतर्गत आवश्यकता है कि पाठ्यचर्या विद्यार्थी को उन प्रणालियों व प्रक्रियाओं को अर्जित करने में व्यस्त रखे जो उसे वैज्ञानिक जानकारी के पुष्टिकरण व सृजन करने की ओर बढ़ाएँ तथा विज्ञान में बच्चे की स्वाभाविक जिज्ञासा एवं सृजनशीलता का पोषण हो सके। प्रक्रिया की वैधता एक बेहद महत्वपूर्ण कसौटी है क्योंकि इससे विद्यार्थी को 'विज्ञान किस तरह सीखा जाए' यह सीखने में सहायता मिलती है।

4. ऐतिहासिक वैधता में आवश्यकता है कि विज्ञान की पाठ्यचर्या एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण के साथ जानकारी दे ताकि विद्यार्थी यह समझ सकें कि समय के साथ-साथ विज्ञान की अवधारणाएँ कैसे विकसित हुई। इससे विद्यार्थी को यह समझने में भी मदद मिलेगी कि विज्ञान एक सामाजिक उद्यम है और सामाजिक घटक किस प्रकार विज्ञान के विकास को प्रभावित करते हैं।

5. पर्यावरण सम्बन्धी वैधता के लिए आवश्यक है कि विज्ञान को विद्यार्थियों के स्थानीय व वैश्विक दोनों के वृहद पर्यावरण व जीवन के संरक्षण के प्रति चेतना को विकसित करे।

उपर्युक्त के अतिरिक्त भी एन.सी. एफ. 2005 के सुझाव निम्नलिखित हैं -

1. विज्ञान शिक्षण सूत्रों जैसे - ज्ञात से अज्ञात की ओर, मूर्त से अमूर्त की ओर, आदि का अधिकतम प्रयोग हो।
2. सूचना को ज्ञान मानने से बचा जाये।
3. विशाल पाठ्यक्रम व मोटी किताबें शिक्षा प्रणाली की असफलता का प्रतीक है।
4. मूल्यों को उपदेश देकर नहीं वातावरण देकर स्थापित किया जाय।
5. अच्छे विद्यार्थी की धारणा में बदलाव आवश्यक है अर्थात् अच्छा विद्यार्थी वह है जो तर्कपूर्ण बहस के द्वारा अपने मौलिक विचार शिक्षकों के सामने प्रस्तुत करता है।
6. अभिभावकों को सख्त सन्देश दिया जाय कि बच्चों को छोटी उम्र में निपुण बनाने की आकांक्षा रखना गलत है।
7. बच्चों को स्कूल बाहरी जीवन में तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना।
8. "कक्षा में शान्ति" का नियम बार-बार ठीक नहीं अर्थात् जीवन्त कक्षागत वातावरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
9. सह शैक्षिक गतिविधियों में बच्चों को अभिभावकों को भी जोड़ा जाय।
10. समुदाय को मानवीय संसाधन के रूप में प्रयुक्त होने का अवसर दें।
11. खेल आनन्द व सामूहिकता की भावना के लिए है, रिकार्ड बनाने व तोड़ने की भावना को आश्रय न दें।
12. बच्चों की अभिव्यक्ति में मातृ भाषा महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शिक्षक अधिगम परिस्थितियों में इसका उपयोग करें।
13. पुस्तकालय में बच्चों को स्वयं पुस्तक चुनने का अवसर दें।
14. वे पाठ्यपुस्तकें महत्वपूर्ण होती हैं जो अन्त:क्रिया का मौका दें।
15. कल्पना व मौलिक लेखन के अधिकाधिक अवसर प्रदान करावें।
16. सजा व पुरस्कार की भावना को सीमित रूप में प्रयोग करना चाहिए।
17. बच्चों के अनुभव और स्वर को प्राथमिकता देते हुए बाल केन्द्रित शिक्षा प्रदान की जाय।
18. सांस्कृतिक कार्यक्रमें में मनोरंजन के स्थान पर सौन्दर्यबोध को आश्रय दें। 19. शिक्षक प्रशिक्षण व विद्यार्थियों को मूल्यांकन को सतत् प्रक्रिया के रूप में अपनाया जाय।
20. शिक्षकों को अकादमिक संसाधन व नवाचार आदि समय पर पहुँचाये जायें।

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