शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
|
|
बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 5. पाठ्यक्रम परिवर्तन के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएँ
बताइये।
उत्तर -पाठ्यक्रम परिवर्तन के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएँ
(Main Obstacles in the Way of Curriculum Change)
पाठ्यक्रम परिवर्तन के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएँ निम्नलिखित हैं -
1. परम्परा के प्रति प्रेम एवं झुकाव (Love and Favour Towards Traditions) -
प्रारम्भ में जो भी प्रकरण शुरू किये जाते हैं उनका अपना कुछ-न-कुछ औचित्य होता
है। कुछ प्रकरणों का कुछ समय बाद कोई औचित्य नहीं रह जाता है लेकिन वे फिर भी
पाठ्यक्रम के अंग बने रहते हैं। ऐसा पाठ्यक्रम परम्परा के प्रति प्रेम एवं
झुकाव के कारण होता है।
2. समुचित नियोजन का अभाव (Lack of Proper Planning) - इसके अन्तर्गत समुचित
नियोजन पाठ्यक्रम विकास के लिये अति आवश्यक होता है। समुचित नियोजन के बिना
पाठ्यक्रम में कोई परिवर्तन संभव नहीं हो पाता है। किसी भी पाठ्यक्रम को समझने
के लिये नियोजन का होना जरूरी
होता है तभी विद्यार्थी पाठ्यक्रम को आसानी से समझ पाते हैं तथा वे पाठ्यक्रम
के अन्तर्गत आने वाले प्रकरण को आसानी से हल कर पाते हैं। अगर पाठ्यक्रम विकास
में विद्यार्थी को कोई भी कठिनाई होती है तो इसका अभिप्राय है कि समुचित नियोजन
का अभाव है। इससे विद्यार्थी इसमें विफल हो जाते हैं।
3. शिक्षकों की जड़ता एवं रूढ़िवादिता (Inertia and Conservatism of Teachers)
- प्रसिद्ध पाठ्यक्रम विशेषज्ञ डॉ. सी. ई. बीबी. के अनुसार, "पाठ्यक्रम के
परिवर्तन तथा नवाचारों को अपनाने के मार्ग में शिक्षकों की जड़ता एवं
रूढ़िवादिता सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करती है। जिससे वे नये प्रयोग करने में,
नवाचारों को अपनाने में, उनका संचरण करने में हिचकते हैं इससे अभिभावकों तथा
अन्य शैक्षिक रुचि वाले अभिकरणों की प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं का भी उन्हे भय
रहता है। कुछ इसलिये भी हिचकते हैं कि उनके सहपाठी उन पर ताने कसते हैं और
उन्हें बुरा भला कहते हैं।
4. राष्ट्रीय हठधर्मिता (National obstinancy) - राष्ट्रीय हठधर्मिता पाठ्यक्रम
के विकास में दो प्रकार की होती हैं एक तो यह देश की शिक्षा व्यवस्था विदेशी
प्रतिमानों पर नहीं चल सकती तथा उसे स्वयं अपने प्रतिमान विकसित करने आवश्यक
होते हैं। दूसरा ये है कि दूसरे देशों में शिक्षक सम्बन्धी सफल प्रयोगों के एक
अंश का भी कई गुना अधिक लाभ हो सकता है।
5. आस्थाओं एवं सिद्धान्तों के प्रति प्रतिबद्धता में कमी (Lesser Commitment
for Principle and Beliefs) - किसी भी कार्यक्रम की सफलता उसके कार्य के प्रति
आस्थाओं तथा उसके सिद्धान्तों पर निर्भर करती है। जिससे नवीन परिवर्तनों के
प्रति उसकी आस्था एवं विश्वास का अभाव होता है वे उसे मन से स्वीकार नहीं कर
पाते हैं। इसके परिणामस्वरूप परिवर्तन के मार्ग में बाधा उत्पन्न होती है।
|