शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 6. पाठ्यक्रम का महत्व बताइए। -
उत्तर - पाठ्यक्रम का महत्व - पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्व को निम्नवत
स्पष्ट किया जा सकता है -
(1) शिक्षा की प्रक्रिया को व्यवस्थित करने में सहायक- पाठ्यक्रम के आधार पर ही
शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर विद्यालय में विषय के ज्ञान के बारे में जानकारी
प्रदान की जाती है कि किस सीमा तक विद्यार्थियों को विभिन्न स्तरों पर ज्ञान
दिया जाए। पाठ्यक्रम शिक्षा की प्रक्रिया को व्यवस्थित करने में सहायक होता है।
इसके माध्यम से शिक्षा की प्रक्रिया को प्रभावशाली ढंग से व्यवस्थित व संचालित
किया जा सकता है।
(2) शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक - पाठ्यक्रम शिक्षण एवं शिक्षा के
उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होता है। पाठ्यक्रम के द्वारा ही यह निश्चित
कर पाना सम्भव हो पाता है कि अध्यापकों, लेखकों इत्यादि को कितना, क्यों व कैसे
पढ़ाना, पढ़ना व लिखना है पाठ्यक्रम के अभाव में यह निश्चित कर पाना असम्भव हो
जाता है जिसके कारण शिक्षण एवं शिक्षा के निहित उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं हो
पाती।
(3) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण - पाठ्यक्रम का निर्धारण करना जितना
शिक्षण के दृष्टिकोण से आवश्यक है उतना ही मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी
महत्वपूर्ण होता है। प्रत्येक स्तर के विद्यालयों के बालकों की बौद्धिक व
मानसिक क्षमता को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम का निर्धारण मनोवैज्ञानिक तरीके से
ही किया जाना आवश्यक है। इससे ही बालकों में क्रमबद्ध, नियमित व रुचिपूर्ण
कार्य करने की भावना का विकास होता है।
(4) शिक्षण विधियों के चयन में सहायक - जब अध्यापक के पास पहले से पूर्व
निर्धारित पाठ्यक्रम उपलब्ध होता है तो उसे शिक्षणकार्य करने में सरलता होती
है। पाठ्यक्रम की निश्चितता के आधार पर ही वह उपयुक्त शिक्षण विधियों,
प्रविधियों, युक्तियों व सूत्रों का प्रयोग कर अपने शिक्षण की सफलता को
सुनिश्चित कर पाता है तथा कक्षा शिक्षण को रुचिकर एवं बोधगम्य बना पाता है।
(5) विद्यार्थियों के मूल्यांकन में महत्वपूर्ण- पाठ्यक्रम शिक्षण प्रक्रिया के
साथ-साथ मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। जब अध्यापक
सुनिश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षण कार्य करता है तो उसे अधिगमकर्ता का
मूल्यांकन करने में सुगमता होती है। इससे बालक की बोध क्षमता व अधिगम स्तर का
पता लगाकर शिक्षक आवश्यकतानुसार शिक्षण में परिवर्तन करता है।
(6) समय व परिश्रम का सदुपयोग करने में उपयोगी - पाठ्यक्रम के आधार पर ही
अध्यापक यह सुनिश्चित कर पाता है कि किसी पाठ्यक्रम में निहित पाठ्य वस्तु को
पूर्ण करने में उसे कितना समय लगेगा तथा उस प्रकरण का शिक्षण करने में कितना
परीश्रम (शारीरिक व मानसिक) करना पड़ेगा। इसलिए पाठ्यक्रम निर्धारण से शिक्षक व
छात्र दोनों का ही समय व परीश्रम सार्थक होता है।
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