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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2011
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


प्रश्न 3 - शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
अथवा
रुद्रदामन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर - महाक्षत्रप रुद्रदामन

रुद्रदामन चेष्टन का पौत्र था। वह पश्चिमी भारत में शासन करने वाले शक शासकों में सर्वाधिक शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण शासक था। जूनागढ़ अभिलेख से उसकी विजयों, व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवरण प्राप्त होता है।

महान विजेता - जूनागढ़ अभिलेख से ज्ञात होता है कि उसने आकर-अवन्ति, अनूप, अपरान्त, आनर्त तथा सुराष्ट्र, कुकर, स्वभ्र, मरु, सिन्ध-सौवीर तथा निषाद आदि स्थानों पर विजय प्राप्त की। उसने दक्षिणापथ के स्वामी शातकर्णि को दो बार पराजित किया परन्तु सम्बन्ध की निकटता के कारण उसका वध नहीं किया। रुद्रदामन ने यौधेयों को पराजित कर उन्हें अपने नियन्त्रण में कर लिया तथा उसका राज्य उनके आक्रमणों से सदा के लिये सुरक्षित हो गया।

प्रजापालक सम्राट -महान विजेता होने के साथ-साथ रुद्रदामन एक प्रजापालक सम्राट भी था। वह एक उदार शासक था जिसने अपनी प्रजा से न तो अनुचित धन वसूल किया और न ही कभी बेगार लिया। उसने अपने शासन काल में प्रजा की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण कराया। उसके शासन में प्रजा को किसी प्रकार का कष्ट नहीं था।

कुशल प्रशासक - रुद्रदामन प्रशासनिक कार्य अपनी मन्त्रिपरिषद् की परामर्श से ही करता था तथा शक्ति-सम्पन्न होते हुए भी वह निरंकुश नहीं था। जूनागढ़ अभिलेख में उसे 'भ्रष्टराज-प्रतिष्ठापक' कहा गया है।

धर्म एवं संस्कृति का उन्नायक - रुद्रदामन महान विजेता एवं कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ एक उच्च कोटि का विद्वान तथा विद्या-प्रेमी था। वह वैदिक धर्मानुयायी था तथा संस्कृत भाषा को उसने राज्याश्रय प्रदान किया था।

इस प्रकार रुद्रदामन एक महान विजेता, साम्राज्य निर्माता, उदार एवं लोकोपकारी प्रशासक तथा हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का महान उन्नायक था। उसकी प्रतिभा बहुमुखी थी। उसका शासनकाल सामान्यतया 130 ईस्वी से 150 ईस्वी तक स्वीकार किया जाता है।
 

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