लोगों की राय

इतिहास >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2011
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. पतंजलि कौन थे?

उत्तर - गोनद (गोण्डा) निवासी पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे। संस्कृत के पुनरुत्थान में महर्षि पतंजलि ने अपना प्रमुख योगदान दिया। उन्होंने संस्कत भाषा का स्वरूप स्थिर करने के लिये पाणिनि के सूत्रों पर एक 'महाभाष्य' की रचना की। पतंजलि ने ऐसे लोगों को शिष्ट बताया है जो बिना किसी अध्ययन के ही संस्कृत बोल लेते हैं।

प्रश्न 2 - शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियाँ-शुंग काल में संस्कृत भाषा का पुनरुत्थान हुआ। इस वंश के राजाओं ने संस्कृत को पर्याप्त प्रोत्साहन प्रदान किया जिसके फलस्वरूप संस्कृत काव्य की भाषा न रहकर लोकभाषा के रूप में परिणत हो गई। पाणिनि तथा पतंजलि जैसे मूर्धन्य संस्कृत के विद्वान इसी काल में उत्पन्न हुए। पतंजलि ने संस्कृत भाषा का स्वरूप स्थिर करने के लिये पाणिनि के सूत्रों पर एक 'महाभाष्य' इसी काल में लिखा। इसके अतिरिक्त 'मनुस्मृति' का वर्तमान स्वरूप सम्भवतः इसी युग में रचा गया था। कुछ विद्वानों के अनुसार शुंगों के समय में ही महाभारत के 'शान्तिपर्व' तथा 'अश्वमेधपर्व' का भी परिवर्द्धन हुआ था।

शुंग काल में कला का भी पर्याप्त विकास देखने को मिलता है। इस समय कला के विषय धार्मिक जीवन की अपेक्षा लौकिक जीवन से अधिक सम्बन्धित थे। शुंग कला मौर्य कला की अपेक्षा एक बड़े वर्ग के मनुष्यों के मस्तिष्क, परम्परा, संस्कृति एवं विचारधारा को प्रतिबिम्बित कर सकने में अधिक समर्थ है। इसका प्रधान विषय आध्यात्मिक अथवा नैतिक न होकर पूर्णतया मानव जीवन से सम्बन्धित था। शुंग कला के उत्कृष्ट नमूने मध्य प्रदेश के भरहुत, साँची, बेसनगर तथा बिहार के बोधगया से प्राप्त होते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

लोगों की राय

No reviews for this book