इतिहास >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 2 - कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कण्वों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
कण्व या कण्वयन वंश
(Kanva Dynasty)
शुंग वंश के अन्तिम राजा देवभूति का उसके मंत्री वीरसेन ने वध कर राज्य
प्राप्त किया और एक नये वंश की स्थापना की जो कण्व या कण्वायन वंश के नाम से
प्रसिद्ध हुआ। पुराणों में स्पष्ट लिखा है कि "शुंग वंश को 112 वर्ष राज्य
करना है तथा इसके बाद कण्व वंश को पृथ्वी मिल जायेगी। कण्व वंश भी ब्राह्मण
वंश के नाम से जाना जाता है। इस वंश ने 73 ई. पूर्व से लेकर 28 ई. पूर्व तक
राज्य किया। हर्षचरित में कण्व वंश का उल्लेख प्राप्त होता है। इसमें कहा गया
है कि अति कामुक शुंग वंश के राजा के मंत्री वासुदेव के उकसाने पर देवमूर्ति
की दासी की कन्या ने हत्या कर दी थी। उस कन्या ने रानी का रूप बनाकर यह कार्य
किया था।
आर. सी. भंडारकर ने कण्वों को शुंग भृत्य अथवा शुंगों का नौकर स्वीकार किया
तथा इस वंश ने लगभग 45 वर्ष राज्य किया।
पुराणों में कण्व वंश के बारे में इस प्रकार उल्लेख प्राप्त होता हैं कि "वह
वासुदेव कण्वायन नौ वर्ष तक राजा रहेगा, उसका पुत्र भूमिमित्र 14 वर्ष तक
राज्य करेगा, उसका पुत्र नारायण 12 वर्ष तक राज्य करेगा, उसका पुत्र सुशर्मा
10 वर्ष तक राज्य करेगा।''
ये शृंग भृत्य कण्वायन सम्राटों के नाम से याद किये जाते हैं। ये चार कण्व
ब्राह्मण 45 वर्ष तक पृथ्वी पर शासन करेंगे। उसके पश्चात् राज्य आन्ध्रों के
पास जायेगा।
कण्वों का राज्य - शृंगों की तलना में कण्वों का राज्य अत्यन्त छोटा था
क्योंकि पंजाब को यूनानियों ने हस्तगत कर लिया था। मगध के पश्चिम में गंगा के
मैदान में बड़े भाग पर मित्रों का अधिकार था। विदिशा में शुंगों का ही राज्य
था। वास्तव में देखा जाये तो कण्वों का शासन केवल मगध तक ही सीमित था।
कण्वों का धर्म - शृंग नरेशों की भांति कण्वायन सम्राट ने भी ब्राह्मण धर्म
के उत्थान में पर्याप्त योगदान दिया क्योंकि वे स्वतः ब्राह्मण थे।
पुराणों के अनुसार कण्वों को सत्ता से अलग कर आन्ध्रों को दक्षिण का राजा
माना गया है, लेकिन यह भी हो सकता है कि इन लोगों ने कुछ दिन मगध में राज्य
किया हो और बाद में वहाँ से चले गये हों।
शासनावधि - डॉ. वी. ए. स्मिथ के अनुसार इस वंश का राज्य 73 ई. पू. से 28 ई.
तक रहा। लेकिन डॉ. राय चौधरी के अनुसार कण्वों ने लगभग 75 ई. पू. से 30 ई.
पू. तक राज्य किया।
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