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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2011
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


प्रश्न 2. छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
बुद्ध-युगीन प्रमुख गणराज्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

गणराज्य
(Republic)

पाली ग्रन्थों के आधार पर ज्ञात होता है कि बुद्धकालीन भारत में सोलह महाजनपदों के अतिरिक्त कुछ गणराज्य भी थे, जिनमें कुछ तो नगण्य थे परन्तु कई शक्तिवान थे। सोलह महाजनपदों के अतिरिक्त हमें इस काल के गणराज्यों का भी उल्लेख प्राप्त होता है। प्रमुख गणराज्य थे - शाक्य, लिच्छवी संघ, मल्ल आदि।

1. कमिलवत्थु अथवा कपिलवस्तु के शाक्य - शाक्यों का आवास नेपाल अथवा हिमालय पर्वत की तराई में था। शाक्यों के राज्य के अन्तर्गत गोरखपुर का पश्चिमी भाग और नेपाल का कुछ भाग था। इनकी राजधानी कपिलवस्तु थी, महात्मा बुद्ध की जन्मस्थली भी कपिलवस्तु थी तथा शाक्य अपने को इक्ष्वाकु वंशीय मानते थे।

2. सुंसुमगिरि के भाग - वर्तमान मिर्जापुर के निकट इनका राज्य था भग्ग ऐतरेय ब्राह्मण के प्राचीन भर्ग थे। डा. जायसवाल ने भग्ग शासकों का राज्य मिर्जापुर के आसपास बताया था। इसको प्रमाणित भी किया गया है।

3. अपकप्प के बलि - आधुनिक बिहार के कछ जिलों के बीच बलियों का राज्य था, जो सम्भवतः शाहाबाद और मुजफ्फरपुर आदि जिले थे। बलि लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। इससे अधिक जानकारी नहीं मिलती है।

4. केसपुत्त के कालाम - इनके विषय में ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त नहीं है। इनका सम्बन्ध उन कोशियों से है जिनका पंचालों के साथ उल्लेख शतपथ ब्राह्मण में हुआ है। महात्मा बुद्ध के गुरु आलार इसी जाति के थे।

5. रामग्राम के कोलिय - रामग्राम के कोलिय कपिलवस्तु के शाक्यों से पूर्व की ओर निवास करते थे। शाक्य और कोलिय एक-दूसरे के पड़ोसी थे। रोहिणी नदी इनकी सीमा थी, दोनों में वैमनस्य बना रहता था। कभी-कभी रोहिणी नदी के जल के लिए लडाई भी होती थी। इन दोनों के बीच शान्ति स्थापित करने के लिए भगवान बुद्ध के पिता शुद्धोधन ने दो कोलिय कन्याओं से विवाह किया था। भगवान बुद्ध ने भी दोनों के झगड़ों को दूर करने का प्रयत्न किया।

6. पावा के मल्ल - यह मूल मल्ल वंश की ही एक शाखा थी। इनके निश्चित स्थानों के बारे में विद्वानों में मतभेद है। सर कनिंघम ने गोरखपुर जिले के पडरौना को पावा का आधुनिक प्रतिनिधि माना है। कुछ विद्वान इसके विपरीत फाजिलपुर को प्राचीन पावा मानते हैं।

7. कुशीनारा के मल्ल - आधुनिक कशिया प्राचीन कुशीनारा है। यह इससे भी प्रमाणित है कि वहाँ एक छोटे मन्दिर में भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण मुद्रा में कोई एक विशाल मूर्ति मिली थी। गोरखपुर जिले के अन्तर्गत कसिया के निकट मल्ल लोग राज्य करते थे।

8. पिप्पलिवन के मोरिय - विद्वानों के अनुसार मोरिय शाक्यों की एक शाखा के लोग थे। इनकी राजधानी के विषय में जानकारी नहीं है। इनको मोरिय संभवतः इसलिए कहते थे कि इनके आवास प्रायः मोरों के शब्द से गुंजायमान रहते थे।

9. मिथिला के विदेह - (नेपाल की सीमा पर आधुनिक जनकपुर) नेपाल की सीमा पर जनकपुर के निकट ही मिथिला स्थित थी। मिथिला विदेहों की राजधानी थी। जातकों के अनुसार यह व्यापारिक नगरी थी। उपनिषदों में ख्याति प्राप्त राजा जनक द्वारा यह राज्य शासित था और अराजक गणतन्त्र हो गया था।

10. वैशाली के लिच्छवि - वर्तमान बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बसाढ़ ग्राम के निकट लिच्छवि राज्य करते थे। लिच्छवियों की राजधानी वैशाली थी। वैशाली महावीर स्वामी का जन्म स्थान था। अक्सर भगवान बुद्ध भी वैशाली जाया करते थे। लिच्छवियों ने महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी के सम्पर्क में आकर उनके उपदेश को सुना तथा उनसे पूरा लाभ उठाने का प्रयत्न किया। उल्लेख मिलता है कि लिच्छवियों के संघ के अधिवेशन प्रायः विशद होते थे।

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