इतिहास >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
उत्तर - उत्पत्ति के ही समान चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रारम्भिक जीवन भी
अन्धकारपूर्ण है। उसके प्रारम्भिक जीवन के ज्ञान के लिए हमें मुख्यतः बौद्ध
स्रोतों पर ही निर्भर करना पड़ता है। यद्यपि वह एक साधारण कुल में उत्पन्न
हुआ था तथापि उसमें बचपन से ही उज्जवल भविष्य के लक्षण विद्यमान थे। बौद्थ
ग्रन्थों के अनुसार चन्द्रगुप्त का पिता मोरिय नगर का प्रमुख था। जब वह अपनी
माता के गर्भ में था तभी उसके पिता की सीमान्त युद्ध में मृत्यु हो गयी थी।
उसकी माता अपने भाइयों के द्वारा पाटलिपुत्र में सुरक्षा के निमित्त पहुँचा
दी गयी थी। यहीं पर चन्द्रगुप्त का जन्म हुआ। जन्म के साथ ही वह एक गोपालक को
समर्पित कर दिया गया। गोपालक ने चन्द्रगुप्त का लालन-पालन अपने पुत्र की तरह
ही किया। जब चन्द्रगुप्त कुछ बड़ा हो गया तो उसने उसको एक शिकारी के हाथों
बेंच दिया। चन्द्रगुप्त शिकारी के गाँव में बड़ा हुआ तथा उसके पशुओं की
देखभाल करने लगा। अपनी प्रतिभा के बल पर उसने शीघ्र ही अपने समवयस्क बालकों
में प्रमुखता हासिल कर ली। वह बालकों की मण्डली का राजा बनकर उनके आपसी
झगड़ों का फैसला करता था। इसी तरह एक दिन जब वह 'राजकीलम' नामक खेल में
व्यस्त था, चाणक्य उधर से निकल रहा था। उसने अपनी सूक्ष्म से चन्द्रगुप्त के
भावी गुणों का अनुमान लगा लिया तथा उसको वह शिकारी से खरीदकर तक्षशिला ले
आया। तक्षशिला उस समय विद्या प्राप्त करने का प्रमुख केन्द्र था तथा चाणक्य
वहाँ आचार्य था। उसने चन्द्रगुप्त को सभी कलाओं की विधिवत् शिक्षा प्रदान की।
प्रश्न 2 - सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
रुद्रदामन और सुदर्शन झील के बीच क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर -
सुदर्शन झील पश्चिमी भारत में सिंचाई की सुविधा के लिए चन्द्रगुप्त के
सुराष्ट्र प्रान्त के राज्यपाल पुष्यगुप्त वैश्य ने सुदर्शन झील का निर्माण
कराया था। यह झील जूनागढ़ के समीप रैवतक पर्वतों के जल स्रोतों के ऊपर
कृत्रिम बाँध बनाकर बनायी गयी थी। कौटिल्य सिंचाई के लिए बाँध बनाने पर जोर
देते थे इन्हीं की प्रेरणा से प्रेरित होकर इस झील का निर्माण कराया गया था।
इस झील से नहरों को निकाल कर सिंचाई की जाती थी। सम्राट अशोक के समय में उसके
राज्यपाल तुषास्य द्वारा इस झील से पानी की निकासी के लिए पक्के मार्गों का
निर्माण कराया गया था। इस कारण इस झील की उपयोगिता बढ़ गयी थी। यह झील
मौर्यकालीन अभियंत्रण कला का उत्कृष्ठ नमूना थी।
जूनागढ़ अभिलेख से यह ज्ञात होता है कि भारी वर्षा के कारण इस झील का बाँध
टूट गया और उसमें चौबीस हाथ लम्बी, इतनी ही चौड़ी और पचहत्तर हाथ गहरी दरार
बन गयी। इसके फलस्वरूप झील का सारा पानी बह गया। इस दैवी विपत्ति के कारण
जनता का जीवन अत्यन्त कष्टमय हो गया तथा चारों ओर हाहाकार मच गया। इस विपत्ति
के समय शक (कार्दमक वंश) वंश का राजा रुद्रदामन् शासन कर रहा था। रुद्रदामन्
महान विजेता होने के साथ-साथ एक प्रजापालक सम्राट भी था। उसने सुदर्शन झील के
टूटे हुए भाग के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया। चूंकि इसके पुनर्निर्माण में
अत्यधिक धन की आवश्यकता थी, अतः उसकी मन्त्रिपरिषद् ने इस कार्य के लिए धन
व्यय किये जाने की स्वीकृति नहीं प्रदान की। किन्त रुद्रदामन ने जनता पर बिना
कोई अतिरिक्त कर लगाए ही अपने व्यक्तिगत कोष से धन देकर अपने राज्यपाल
सुविशाख के निर्देशन में बाँध की फिर से मरम्मत करवाई तथा उससे तिगुना मजबूत
बाँध बनवाया।
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