इतिहास >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
|
0 |
बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
उत्तर -बिम्बिसार तथा उसकी राज्यनीति
बिम्बिसार बहुत शक्तिशाली और महात्वाकांक्षी राजा था। उसका विवाह कोशल की
राजकुमारी कौशल देवी के साथ हुआ था। इस विवाह में "नहान चुन्न मूल्य" के रूप
में काशी जनपद का एक प्रदेश बिम्बिसार को प्राप्त हुआ था। कौशल देवी के साथ
वैवाहिक सम्बन्ध हो जाने के कारण मगध को पश्चिम
के इस शक्तिशाली महाजनपद से कोई भय नहीं रह गया था। बिम्बिसार ने गिरिब्रज के
उत्तर में एक नये नगर की स्थापना की, जिसका नाम राजगृह था। बिम्बिसार के
पुत्र अजातशत्रु ने बिम्बिसार को कारागार में डाल दिया था, जहाँ उसके अन्न-जल
के अभाव में प्राणान्त हो गया था।
बिम्बिसार ने अपनी विजयों से भी राज्य विस्तार किया। अंग के राजा ब्रह्मदत्त
को परास्त कर उसने उस जनपद राज्य को मगध में मिला लिया। अंग का प्रसाद आधुनिक
मुंगेर और भागलपुर के जिलों पर था। इसके अतिरिक्त अनेक अन्य प्रदेश भी
बिम्बिसार के राज्यकाल में ही मगध के अधीन हुए। यह पाली भाषा के महान विद्वान
बुद्धघोष के लेख से स्पष्ट है। उसका कहना है कि बुद्ध और बिम्बिसार के
उत्तराधिकारी के अन्तर काल में मगध की सीमाओं का प्रसार दुगना हो गया। मगध का
शासन व्यवस्थित था और उसका प्रवध महामन्तो (महामात्रो) के हाथ में था।
महामात्रो के ऊपर भी गहरी दृष्टि रखी जाती थी। इसकी दण्डनीति काफी कठोर थी।
बिम्बिसार ने दूर के राज्यों के साथ भी मैत्री का आचरण किया, क्योंकि कहा
जाता है कि उसने गन्धार के राजा पुक्कुसति को दूत के रूप में स्वीकार किया।
इससे यह भी सिद्ध होता है कि 516 ई. में ईरान के हखमी साम्राज्य द्वारा विजित
होने के पूर्व बिम्बिसार के समय गन्धार स्वतंत्र राज्य था, इस निष्कर्ष की
सत्यता पर और तरीके से पहुंच सकते हैं। सिंहली इतिहासकारों के अनुसार
बिम्बिसार का राज्यकाल 52 वर्षों तक रहा।
अजातशत्रु के 8 वर्ष तक शासन कर चुकने के बाद बुद्ध की मृत्यु हुई। बुद्ध
निर्वाण की तिथि को गाइगिर तथा अन्य विद्वानों ने 483 ई. में रखा है। अब इसने
6 वषे (52 + 8) जोड़ने पर 543-44 ई. पर्व पाते हैं जिसे बिम्बिसार के
राज्यारोहण की तिथि माननी चाहिए, बिम्बिसार प्रारम्भ से ही बुद्ध को अपना
संरक्षक मानता था, और अपने स्नेह के प्रमाण में उसने उनके संघ को राजगृह का
प्रसिद्ध बाँसों का वन (करन्द-वेनुवन) प्रदान किया। वह भिक्षुओं को भोजन आदि
से भी तुष्ट करता था और अन्य सम्प्रदायों को भी दान देता था।
|