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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2011
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मकदूनियन आक्रमण पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -
मकदूनियन आक्रमण

सिकन्दर के पिता फिलिप ने जो यूनान के एक छोटे से राज्य मकदूनिया के शासक थे, अपने सैन्य बल से यूनान के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया था। फिलिप एक महान साम्राज्य की स्थापना करना चाहता था परन्तु असमय ही उसकी हत्या हो जाने से उसका यह स्वप्न अधूरा ही रह गया। अपने पिता की मृत्यु के बाद सिकन्दर अल्पायु में मकदूनिया का राजा बन गया। सिकन्दर ने अनेकों आक्रमण किये जिसे मकदूनियन आक्रमण कहा गया। सिकन्दर भी अपने पिता की भाँति वीर, साहसी, चरित्रवान व योग्य व्यक्ति था। बचपन से ही उसकी इच्छा विश्व-सम्राट बनने की थी। उसने अपने सैनिकों की मदद से राज्य के विरोधियों को आसानी से दबा दिया। इसके बाद उसने पूरे यूनान पर अपना आधिपत्य जमा लिया। यूनान में अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के बाद उसने दिग्विजय की एक व्यापक योजना तैयार की। इस प्रक्रिया में उसने एशिया माइनर, झीरिया, मिस्र, बेबीलोन, बैक्ट्रिया तथा सोग्डियाना पर आक्रमण करके उन्हें अपने आधीन कर लिया। इस आश्चर्यजनक सफलता से सम्पूर्ण हखामनी साम्राज्य उसने जीत लिया।

हखामनी साम्राज्य का विनाश करने के पश्चात् सिकन्दर ने उसके पूर्वी भाग में स्थित बल्ख (बैक्ट्रिया) के प्रान्त में एक उपनिवेश की स्थापना की। इसी स्थान से उसने भारत पर आक्रमण करके विजय का अभियान शुरू किया। भारत पर यूनानी आक्रमण के प्रभाव के विषय में विद्वानों में गहरा मतभेद है। सिकन्दर के समकालीन यूनानी लेखक इस आक्रमण को बहुत बड़ी घटना मानते हैं। इसके विपरीत अनेक विद्वानों ने इस आक्रमण को नितान्त महत्वहीन घोषित किया है जिसका भारत के तत्कालीन जनजीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उनके अनुसार सिकन्दर आँधी की तरह आया और चला गया।

प्रश्न 2 - राजा पुरू के विषय में बताइए।

उत्तर -पुरु

सिकन्दर के यूनानी आक्रमण के समय पश्चिमोत्तर भारत की राजनीतिक दशा कुछ वैसी ही थी जैसी ईरानी आक्रमण के समय थी। पश्चिमोत्तर भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था, जिनमें कुछ गणतन्त्रात्मक तथा कुछ राजतन्त्रात्मक थे। इनमें परस्पर फूट थी। इनका पारस्परिक संघर्ष ही इनके पतन का कारण था। इनमें राजा पुरु का भी राज्य था। इनका राज्य झेलम व चिनाब नदियों के मध्य स्थित था। सिकन्दर के साथ हुई मुठभेड़ में राजा पुरु परास्त हुआ किंतु सिकन्दर ने उसका प्रदेश उसे लौटा दिया। सिकन्दर ने व्यास और झेलम के बीच का भाग पुरु को दे दिया। सिकन्दर प्रारम्भिक विजयों को प्राप्त करता हुआ झेलम तक आ पहुँचा। उसने अपना दूत झेलम प्रदेश के राजा पुरु या पोरस के दरबार में भेजा कि वह यूनान सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ले परन्तु हिन्द सम्राट पोरस ने दूत से स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि सिकन्दर का स्वागत, दरबार में नहीं अपितु रणस्थल में होगा। अतः दोनों पक्षों में युद्ध अनिवार्य हो गया। एरियन के अनुसार पुरुराज की सेना में 30,000 पदाति 4000 अश्वारोही, 300 रथ तथा 200 हाथी थे और उनके पुत्र की सेना में 2000 पैदल, 150 रथ थे। प्लूटार्क ने रथों की संख्या 1000 तथा हाथियों की संख्या 130 लिखी है। इस झेलम के युद्ध में पुरु परास्त हो गया। सिकन्दर ने पुरु से पूछा - तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया जाये तो उसने निर्भीकतापूर्वक जवाब दिया "जैसा कि एक राजा दूसरे राजा के साथ व्यवहार करता है।'' सिकन्दर ने इस जवाब से प्रसन्न होकर उसका राज्य लौटा दिया।

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