स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
* कोई भी नदी अपनी सहायक नदियों समेत जिस क्षेत्र का जल लेकर बहती है वह उसका
नदी द्रोणी कहलाता है।
* एक नदी बेसिन, दूसरी नदी बेसिन से जिस उच्च भूमि द्वारा अलग होती है, उसे
जल विभाजक (watershed or water Divide) कहा जाता है।
* अपघर्षण (Abrasion or Corrasion) भौतिक अपरदन की क्रिया है। इस क्रिया
द्वारा नदी के जल के साथ बहता हुआ पदार्थ उसके तल एवं पार्यों को खुरचकर
चिकना करता है।
* साधारण या धोलीकरण (corrosion or sdution) रासायनिक अपरदन की क्रिया है
जिसके अन्तर्गत नदी चट्टानों में उपस्थित घुलनशील पदार्थों को बहाकर ले जाती
है।
* सन्निघर्षण (Attrition) भौतिक अपरदन की क्रिया है जिसके अन्तर्गत नदी के जल
के साथ प्रवाहित होने वाले चट्टानी टुकड़े परस्पर रगड़ खाकर क्षीण हो जाते
हैं।
* जलगति क्रिया (Hydraulic action) में नदी का जल बिना किसी सामग्री के ही
यांत्रिक विधि द्वारा चट्टानों के कणों को ढीला करता है।
* यदि नदी का वेग दुगुना हो जाय तो उसकी अपरदन शक्ति चौगुनी हो जाती है। नदी
की अपरदन शक्ति (नदी का वेग)।
* यदि नदी का वेग दुगुना कर दिया जाय तो उसकी भार वहन करने की क्षमता चौंसठ
गुनी हो जाती है।
* प्रत्येक नदी के अपरदन की एक चरम सीमा होती है, जिसे नदी का आधार तल कहा
जाता है।
* समुद्र में गिरने वाले नदियों का आधार तल समुद्र ही होता है, जबकि सहायक
नदी का आधार तल मुख्य नदी द्वारा निर्धारित होता है।
* नदी घाटी का विकास आधार तल के नीचे नहीं हो सकता है।
* गार्ज एवं कैनियन (Gorge and Canyons), V- आकार की घाटी (V-Shaped Valley),
जल प्रपात एवं क्षिप्रिका (Water fall and Rapids), जल गतिका (pet holes),
संरचनात्मक सोपान (Structural Benches), नदी वेदिकाएं (River Terraces), नदी
विसर्प (River mean ders) तथा सम्प्राय मैदान (peneplain) नदी द्वारा निर्मित
अपरदनात्मक स्थलरूप हैं।
* जलोढ़ पंख (Alluvial Fans), जलोद शंकु (Alluvial cones), प्राकृतिक तटबंध
(Natural Levees), बाढ़ का मैदान (Floor plains), गोखुर झील (Ox-bow Lakes)
तथा डेल्टा (Deltas) नदी द्वारा निर्मित निक्षेपात्मक स्थलरूप हैं।
* पहाड़ी भाग में शीर्ष अपरदन (Headward Erosion) द्वारा नदी दूसरी नदी का
सारा जल अपने में ले आती है। इसे नदी का रुंडन (River Beheading) या नदी
अपहरण (River piracy) एवं जिस नदी का अपहरण होता है उसे हरिता नदी (Beheaded
Stream) कहा जाता है।
* जिस स्थान पर अपहरण के कारण हरिता नदी का मार्ग एकाएक घूम जाता है, उस
स्थान के स्पष्ट मोड़ को अपहरण मोड़ (Elbow of capture) कहा जाता है।
* हिमालय में गिलगिट स्थित सिंधु नदी के गार्ज की गहराई 5 हजार मीटर (17 हजार
फीट) से भी अधिक है।
* कैनियन, गॉर्ज की तुलना में संकरा होता है, विश्व प्रसिद्ध ग्रैंड कैनियन
(Grand Canyon) का निर्माण सं.रा.अ. की कोलरेडो नदी द्वारा किया गया है। *
वेनेजुएला का एंजेल जल प्रपात विश्व का सबसे ऊंचा (979 मीटर) जल प्रपात है।
यह रियो कैरोनी (Rio Carni) नदी पर स्थित है।
* पहाड़ी भाग में तीव्र ढाल के कारण नदी का वेग काफी तीव्र होता है एवं नदी
तटीय अपरदन (Vertical Erosion) का कार्य करती है।
* नदी पहाड़ी भागों में गार्ज, कैनियन, V आकार घाटी, जलज गर्तिका,
अंतर्ग्रथित पर्वत स्कंध (Interlocking spurs), जल प्रपात एवं क्षिप्रिका
जैसे स्थलरूपों का निर्माण करती है।
* मैदानी भागों में ढाल कम होने के कारण नदी पार्श्व (Lateral) अपरदन एवं
निक्षेपण का कार्य करती है।
* नदी मैदानी भागों में जलोढ़ पंख, जलोद शंकु, प्राकृतिक बांध, संरचनात्मक
सोपान, गोखुर झील आदि स्थलाकृतियों का निर्माण करती है।
* जब नदी बाढ़ के मैदान से अधिक ऊँचाई पर बहने लगती है तो सहायक नदियों को
मुख्य नदी में मिलने से पहले दूर तक मुख्य नदी के समानांतर चलना पड़ता है।
ऐसी समानांतर बहने वाली नदियों को याजू नदी कहा जाता है।
* निम्न या डेल्टाई भागों में नदी का प्रधान कार्य निक्षेपण करना होता है।
* डेल्टाई भाग में नदी का मुख्य धारा कई, छोटी-छोटी उपधाराओं में विभाजित हो
जाती है, जिसे गुंफित नदी (By aided River) कहा जाता है।
* डेल्टा के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि नदी में बोझ की मात्रा अधिक हो
एवं नदी का मुआना ज्वार भाटा आदि के प्रभाव से मुक्त हो।
* चापाकार डेल्टा सबसे सामान्य प्रकार का डेल्टा है जो ग्रीक भाषा के डेल्टा
अक्षर से मिलता जुलता है। जैसे नील नदी का डेल्टा।
* 'डेल्टा' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम हेरोडोटस ने किया था।
* मिसीसिपी नदी का डेल्टा प्रांगुलित या चिड़िया के पंजे के आकार के डेल्टा
(Digitate or Bird Foot Delta) का उदाहरण है।
* ज्वारनदमुखी डेल्टा (Estuarine Delta) लंबा एवं संकरा होता है तथा आंशिक
रूप से जल में डूबा हुआ होता है। जैसे सं.रा. अमेरिका के पूर्वी तट पर
ससक्वेहाना नदी का डेल्टा।
* इटली की टाइबर नदी का डेल्टा, स्पेन के इब्रो (Ebro) नदी का डेल्टा दंगकार
डेल्टा (Cuspate or tooth shaped Delta) के उदाहरण हैं।
* नदी अपने जीवनकाल की अंतिम अवस्था में अपने उद्गम से मुहाने तक एक चिकना
अवतल वक्र बनाती है, जिसे जल अपरदन का 'क्रमिक वक्र' (Graded Curve) कहा जाता
है।
* गंगा नदी का डेल्टा, राइन नदी का डेल्टा, हांगहो नदी का डेल्टा चापाकार
डेल्टा (Arcuate Delta) के प्रमुख उदाहरण हैं।
* जब नदी अपने पहले निर्मित डेल्टा को छोड़कर अन्यत्र नये डेल्टा का निर्माण
करती है तो पहले वाले डेल्टा की वृद्धि रुक जाती है। इसे परिव्यक्त या छाड़न
डेल्टा (Abandoned delta) कहते हैं।
* पर्वतों की पदस्थली के सहारे विभिन्न आकार वाले अवसादों से निर्मित जलोढ़
शंकु से कम ढाल वाले चापाकार स्थलरुप को जलोढ़ पंख (Alluvial Fan) कहते है।
* पर्वतों की पदस्थली पर विभिन्न आकार वाले अवसायों के चापाकार तीव्र ढाल
वाले जमाव द्वारा बने स्थलरुप को जलोढ़ शंकु (alluvial cone) कहते हैं।
* जब डेल्टा की वृद्धि तथा विस्तार रुक जाती है तो उसे अवरोधित डेल्टा
(blocked delta) कहते हैं।
* नदियों की मुख्य धारा डेल्टाई भाग में कई शाखाओं एवं प्रतिशाखाओं में
विभाजित हो जाती है जिन्हें जल वितरिका (Distributaries) कहते हैं। इस तरह
विभिन्न जलवितरिकाओं में विभक्त सरिता को गुम्फित नदी कहते है।
* नदियों की अत्यन्त संकरी, गहरी एवं लम्बी घाटियों को कैनियन (Canyon) कहते
हैं।
* कोलोरैडो नदी (संयुक्त राज्य अमेरिका) का कैनियन विश्व विख्यात है।
* नदियों के एस्चुअरी के अवसादों के भर जाने के कारण निर्मित लम्बे तथा संकरे
डेल्टा की जारनदमुखी डेल्टा (estuarine delta) कहते हैं।
* नदियों की घाटियों के दोनों ओर निर्मित सोपानों को नदी वेदिका (river
terraces) कहते हैं।
* नदियों एवं सागरीय तरंगों द्वारा जलीय भार तथा दबाव द्वारा चट्टानों के
अपरदित होने की प्रक्रिया को जलगति क्रिया (Hydraulic action) कहते हैं।
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