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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

* भू-सन्नति (Geo-syncline) लम्बे, सकरे व छिछले सागर होते हैं, जिनमें तलछटीय निक्षेप के साथ धंसाव होता है।
* भू-सन्नतियाँ गतिशील होती हैं। इन्हें पानी के गर्त (Water depressions) भी कहा जाता है।
* भू-सन्नतियाँ प्रायः दो दृढ़ खण्डों के मध्य होती हैं। इनके तटीय भागों को अग्र देश (Foreland) कहते हैं।
* आर्थर होम्स ने सन् 1928-29 में संवहन तरंग सिद्धांत का प्रतिपादन किया। यह सिद्धांत रेडियो सक्रियता अर्थात् पृथ्वी के अधः स्तर में उठने वाली संवहन तरंगों पर आधारित है।
* भू-सन्नति अवस्था (Litho genesis) पर्वत निर्माण एवं भू-अभिनति की प्रारम्भिक अवस्था है। इस अवस्था में भू-अभिनति का निर्माण तथा विकास होता है।
* पर्वत निर्माण की अवस्था (The period of orogemesis) में पार्श्विक दबाव के कारण तलछटों का वलन होता है एवं दबाव में कमी के पश्चात पर्वतों का ऊर्ध्वाधर उत्थान होता है।
* विकास की अवस्था (Gliptogemesis) में काफी समय तक पर्वतों का उत्थान काफी धीरे-धीरे होता रहता है एवं पर्वत समस्थितिक साम्यावस्था (Isostatic Equilibrium) को प्राप्त करते हैं।
* हॉल एवं डाना को भू-सन्नति का जनक माना जाता है।
* प्रीकैम्ब्रियन पर्वतीकरण (pre-cambrian orogeny) इनका निर्माण अति रुपांतरित चट्टानों द्वारा हुआ है एवं इनका इतना अधिक अनावृत्तिकरण हुआ है कि इनका पर्वतीय रुप समाप्त हो चुका है।
* उत्तरी अमेरिका के लारेशियन पर्वत, एलगोमन पर्वत, किलानिंथम पर्वत, यूरोप में फैनो स्कैण्डिनेपिया के पर्वत, आदि में प्रीकैम्ब्रिथन पर्वतीकरण के लक्षण पाये जाते हैं।
* सिलुरियन एवं डेवोनियन काल के पर्वतों को कैलिडोनियन पर्वतीकरण (caledonian or mid paleozoic orogeny) के अन्तर्गत रखा जाता है।
* यूरोप में स्कॉटलैंड, आयरलैंड, स्कैन्डिनेविया के पर्वत, दक्षिण अमेरिका के ब्राजीलाइड्स, भारत के अरावली, सतपुड़ा एवं महादेव कैलिडोनियन युग के पर्वतों का उदाहरण हैं।
* हर्सीनियन पर्वतीकरण (Hercynian or Late paleozoic orogancy) युग का काल पर्मियन एवं परमोकार्बोनिकेस को माना जाता है।
* उत्तरी अमेरिका में अप्लेशियन, यूरोप में फ्रांस के आरमोरिकन एवं सेंट्रल मैसिक, बॉस्जेज, ब्लैक कौरेस्ट हर्सीनियन पर्वतीकरण के उदाहरण है।
* अल्पाइन पर्वतीकरण करण (Alpine Orogeny) के अन्तर्गत टर्शियरी काल में निर्मित पर्वतों को रखा जाता है। ये विश्व के उच्चतम एवं नवीनतम मोड़दार पर्वत हैं।
* ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट डिवाइनिंग रेंज काफी पुराना मोड़दार पर्वत है।
* एण्डीज की लम्बाई विश्व में सबसे अधिक (लगभग 7000) किमी0 है।
* दो भ्रंश तलों के सहारे जब कोई भू-खण्ड ऊपर उठ जाता है तो भ्रंशोत्थ पर्वत का निर्माण होता है।
* भ्रंशोत्थ पर्वतों के दोनों पार्श्व प्रायः खड़ी ढाल बनाते है, जिन्हें भ्रंश उपालंब या भ्रंश कगार (fault scarp) कहा जाता है।
* भारत में नीलगिरि जर्मनों में हार्ज पर्वत एवं ब्लैक फॉरेस्ट तथा फ्रांस में वॉस्जेज भंशोत्थ पर्वतों के उदाहरण हैं।
* कैलिफोर्निया का सिथरा नेवादा विश्व का सर्वाधिक विस्तृत ब्लॉक पर्वत है।
* यू.एस.ए. के उटा में स्थित वासाच रेंज, पाकिस्तान का सॉल्ट रेंज ब्लॉक पर्वत ही हैं।
* विश्व का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी पर्वत चिली का एकांकागुआ (7021 मी0) है। यह मृत ज्वालामुखी है।
* इक्वेडोर का कोटोपैक्सी (5897 मी0) विश्व का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत है।
* भारत में अरावली-सतपुड़ा, विंध्यन, पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, यूरोप में यूराल, अमेरिका में मोनेडनौक आदि अवशिष्ट पर्वत के उदाहरण हैं।
* खिसकते महाद्वीपों की परिकल्पना (The Hypothesis of sliding continents) का प्रतिपादन डेली महोदय द्वारा किया गया।
* रेडियो सक्रियता सिद्धांत (Radio activity Theory) तथा तापीय चक्र सिद्धांत (Theory of Thermal cycle) जॉली महोदय द्वारा प्रतिपादित किया गया।
* जब सम्पीडन शक्ति सामान्य होती है तो केवल किनारे वाले भाग पर ही मोड़ पड़ता है एवं बीच का भाग बिना मुड़े ही ऊपर उठ जाता है। वलन से अप्रभावित इस भाग को मध्य पिंड (Median Mass) कहा जाता है। कोबर ने उसे स्वाशिनबर्ग (Zwischengebirge) कहा।
* कार्पेथियन एवं डिनरिक श्रेणियों के बीच स्थित हंगहरी का मैदान, हिमालय एवं तिब्बत के बीच स्थित तिब्बत का पठार, एटलस एवं पिरेनिज श्रेणियों के बीच भूमध्य सागर का भाग आदि मध्य पिंड (Median Mass) के उदाहरण हैं।
* संपीडनात्मक शक्ति अधिक तीव्र होने पर देनों अग्र प्रदेश एक-दूसरे के सम्पर्क में आ जतो हैं, फलस्वरूप मध्य पिंड बिल्कुल अनुपस्थित होता है। इस प्रकार का जटिल पर्वतमाला नार्बे (Narbe) कहलाता है।
* काकेशस, बाल्कन, कारपोथियन, आल्पस, डिनारिक आदि यूरोप के मोड़दार पर्वत हैं। इनमें सर्वाधिक ऊँचाई काकेशस की है।
* अफ्रीका में एटलस, उत्तरी अमेरिका में रॉकी एवं दक्षिणी अमेरिका में एंडीज महत्वपूर्ण मोड़दार पर्वत हैं।
* भू-सन्नति की परतदार चट्टानों में पाश्विक सम्पीडन (compressive force) के द्वारा वलित पर्वत (Folded Mountains) का निर्माण होता है।
* हिमालय, अराकान, सुलेमान, हिन्दुकुश, जैग्रॉस, एलबुजे, पाण्टिक, टॉरस, काराकोरम, क्यूनलुन आदि एशिया के महत्वपूर्ण मोड़दार पर्वत हैं।
* मोड़दार पर्वतों का आकार चापतुलय होता है एवं इनकी चट्टानों में छिछले सागर में रहने वाले जीवों के जीवाश्म पाये जाते हैं।
* मोड़दार पर्वत मुख्यतः परतदार चट्टानों से निर्मित हैं परन्तु इन पर्वतों की लंबाई की दिशा में विशाल ग्रेनाइट अंतर्वेधन (Massive Granite Intrusion) पाया जाता है। * कोबर का भू-सन्नति सिद्धांत संकुचन शक्ति पर आधारित है।
* कोबर के अनुसार भू-सन्नति के किनारे पर दृढ़ भू-खण्ड होते हैं, जिन्हें कोबर ने अग्र देश (Foreland) कहा।
* संकुचन से उत्पन्न क्षैतिज भू-संचलन के कारण दोनों अग्र प्रदेश एक दूसरे की तरफ खिसकते हैं, जिससे भू-सन्नति के मलबों पर मोड़ पड़ता है एवं पर्वतों की उत्पत्ति होती है।
* भू-सन्नत के दोनों किनारों पर दो पर्वत श्रेणियों का निर्माण होता है, जिन्हें कोबर ने रेण्डकेटन (Randketten) नाम दिया है।

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