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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।



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प्लेट विवर्तनिकी

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

'प्लेट विवर्तनिकी' भूमंडलीय गतिशीलता (Global dynamics) का सिद्धान्त है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग टोरंटो विश्वविद्यालय के तुजो विल्सन (Tujo wilson) ने 1965 में किया, परन्तु इसके सिद्धान्त का सर्वप्रथम प्रतिपादन प्रिंस्टन विश्वविद्यालय के डब्ल्यू0जे0 मॉर्गन (W.J. Morgan) द्वारा 1967 में किया गया।

प्लेटो विवर्तनिकी का आधार हेनरी हेस (Henery Hess) के सागरतलीय प्रसार (Sea-floor spreading) की संकल्पना है जिसमें कहा गया है कि भूगर्भीय हलचल से जब महासागरीय पर्वतश्रेणियाँ बनती हैं तो महाद्वीप प्रवाहित होने लगते हैं और सागर तल का प्रसार होता है। वास्तव में यह वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का संशोधित और विकसित रूप है। अतः ऐसा कहा जा सकता है कि प्लेट विवर्तनिकी इन तीन तथ्यों पर आधारित है-

(i) भूपृष्ठ पर भूगर्भिक हलचलों की स्पष्ट पेटियाँ मिलती हैं;
(ii) महाद्वीप प्रवाहित होते रहे हैं;
(iii) सागर तल का प्रसार होता रहा है।

महाद्वीप स्थलभाग है। स्थलमंडल को विभिन्न भूखण्डों में अलग-अलग बँटा हुआ बताया गया है जिसमें ऊपरी भूप्रवाह और महासागरीय तथा भूपृष्ठीय सुदृढ़ भाग शामिल किये जाते हैं। ये सुदृढ़ भाग संवहनीय धारा के प्रभाव से अपने नीचे पड़े क्षीण या दुर्बलमंडल (Asthenosphere) पर स्वतन्त्र रूप में खिसकते या स्थानान्तरित होते हैं। दूसरे शब्दों में, 'प्लेट' से स्थलमंडल के बड़े खण्ड का अर्थ लिया जाता है, जो आन्तरिक तरल भाग पर भ्रमणशील है। 'विवर्तनिकी' का अर्थ है पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों द्वारा भूपृष्ठ में होने वाले परिवर्तन, जिससे स्थलमंडल में विभिन्न स्थलाकृतियों का निर्माण संभव है। विवर्तनिकी प्रक्रियाओं के अन्तर्गत मैग्मा का ऊपर आना धरातल पर मोड़ और भ्रंश उत्पन्न होना, भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होना तथा भूखण्डों का गतिशील होना सम्मिलित हैं। भूगर्भीय क्रियाओं के सक्रिय होने से भूखण्डों (प्लेटों) के किनारे या सीमांत भाग (Boundaries or
margins) में पर्वतनिर्माण, भूपृष्ठीय विखंडन, ज्वालामुखी-उद्गार, समुद्री प्रसार और महाद्वीपों का खिसकाव हआ करता है।

सन् 1967 में मैक्कैन्जी (Mckenzie), पारकर (parker) और मोरगन (morgan) ने स्वतन्त्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की जिसे 'प्लेट विवर्तनिकी' (Plate tectonics) कहा गया। एक विवर्तनिक प्लेट (जिसे लिथोस्फेरिक प्लेट भी कहा जाता है), ठोस चट्टान का विशाल व अनियमित आकार का खंड है, जो महाद्वीपीय व महासागरीय स्थलमंडलों से मिलकर बना है।

ये प्लेटें दुर्बलतामंडल (Asthemsophere) पर एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं। स्थलमंडल में पर्पटी एवं ऊपरी मैंटल को सम्मिलित किया जाता है, जिसकी मोटाई महासागरों में 5 से 100 किमी0 और महाद्वीपीय भागों में लगभग 200 किमी0 है। एक प्लेट को महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट भी कहा जा सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि उस प्लेट का अधिकतर भाग महासागर अथवा महाद्वीप से सम्बद्ध है। उदाहरणार्थ प्रशान्त प्लेट मुख्यतः महासागरीय प्लेट है, जबकि यूरेशियन प्लेट को महाद्वीपीय प्लेट कहा जाता है। प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धान्त के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त है। नवीन वलित पर्वत श्रेणियाँ, खाइयाँ और भ्रंश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं।

इस प्रकार उपरोक्त तथ्यों के माध्यम से 'प्लेट विवर्तनिकी' की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाता है।

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