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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

* सागरीय जैविक संसाधन नवीकरणीय होते हैं।
* विश्व की बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य पदार्थों एवं खनिजों की बढ़ती मांग के कारण सागरीय संसाधनों का अत्यधिक महत्व बढ़ गया है।
* सागर कृषि, सागर जन्तुवर्द्धन आदि विधियों से सागरीय जीवों (पौधों तथा वनस्पतियों) की उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि होने लगी है।
* सागर स्थित खनिजों की खोज तथा विदोहन हेतु 'सागर भौमिकी' (Marine Geology) का विकास किया गया है।
* सन् 1702 में कार्नेलियस फान विनकेरशांक ने किसी राष्ट्र के अधिकार वाले महासागर के भाग के सीमांकन का प्रयास किया है।
* सन् 1958 में सर्वप्रथम UNO ने क्षेत्रीय सागर के सीमांकन के लिए पहल की। * UNO द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सागर संधि के नियम 1993 में वांछित संख्या में राष्ट्रों की सहमति से बनाया गया।
* 'सागरीय संधि के नियम के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय नौपरिचालन के लिए उच्च सागर (High Sea) और क्षेत्रीय सागर में सभी राष्ट्रों के जलयानों का स्वतंत्र रूप से आवागमन किया जा सकता है।
* क्षेत्रीय सागर को सागरीय मेखला (Marine belt) या सीमान्त सागर (Marginal Sea) भी कहा जाता है। क्षेत्रीय सागर पर सम्बंधित तटवर्ती देश की प्रभुसत्ता होती है।
* क्षेत्रीय सागर के आगे वाले सागरीय भाग में कुछ दूरी तक सम्बद्ध भाग को अविछिन्न मण्डल (Contiguous Zone) कहते हैं। जिस पर सम्बंधित तटवर्ती देश के कुछ विशिष्ट अधिकार होते हैं।
* महासागरों में कड़ी खोल के अन्दर रहने वाले मोलस्क (घोंघा) तथा क्रस्टेसियन की लगभग 40,000 प्रजातियाँ तथा मछलियाँ की 25,000 प्रजातियाँ पायी जाती है।
* सागरीय जल का शोधन (Desealinization) करके पेय जल के रुप में निर्मित जल को निर्मित जल (Manufactured Water) कहते हैं।
* सागरीय जीवों की समृद्धि तथा भण्डार सौर्यिक प्रकाश के जल के अन्दर प्रवेश तथा जैविक चक्र की सक्रियता एवं दक्षता पर निर्भर करता है।
* सागरीय जल में आहार तथा पोषक तत्वों का ऊपरी सतह से नीचे की ओर स्थानान्तरण होता रहता है।
* प्रकाशित परत (Photic Layer) में एक कोशिका वाले पादप प्लैंकटन प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा अपनी वृद्धि करते हैं। इस परत को 'सागरीय हरा चरागाह' भी कहते हैं।
* सागरीय पर्यावरण में पनपने वाले पौधों तथा जन्तुओं के समुदायों तथा उनके आवासीय पर्यावरण को सम्मिलित रुप से सागरीय बायोम (Marine Biome) कहते हैं।
* सागरीय जीवों (पादप तथा जन्तु) के आवास के आधार पर उन्हें तीन कोटियों में इस प्रकार विभाजित किया जाता है—(1) प्लैंकटन, (2) नेक्टन तथा (3) तलबासी या बेन्थस
* नेक्टन (Nekton) समूह के अन्तर्गत बड़े आकार वाले तथा शक्तिशाली तैरने वाले जन्तु (जैसे—मछलियाँ) आते हैं जो सागर के प्रत्येक मण्डल में घूमते हैं। * तलवासी या बेन्थस पौधे तथा जन्तु सागर की तली में रहते हैं।
* सागरीय जीवों में प्रवाल (corals) का एक प्रमुख स्थान है। इसी कारण से इसे 'सागरीय वर्षा वन' भी कहते हैं।
* मानवीय आर्थिक क्रिया कलापों के कारण भूमण्डलीय ताप वृद्धि (Global Warming) के कारण सागरीय जल के तापमान में वृद्धि होने से 'प्रवाल विरंजन' (Coral Bleaching) के कारण प्रवालों की सामूहिक मृत्यु हो जाती है।
* मछली में प्रोटीन तथा सही अनुपात में एमिनो एसिड रहता है, विटामिन B, रहता है। कोलेस्ट्राल तथा जमने वाली वसा (Saturated Fats) की मात्रा बहुत कम रहती है जिस कारण दिल की बीमारी तथा उच्च रक्तचाप की रोकथाम में सहायता होती है।
* गहरे सागर में तली में रहने वाली मछलियों को गैड्वायड (Gadoid) कहते हैं जिसके अन्तर्गत काड, हैडेक, हेक आदि प्रमुख हैं।
* सागरीय जल के ऊपरी भाग में रहने वाली मछलियों को क्लूपीयाड (Clupeoid) कहते हैं।
* कई देशों ने अब मछलियों को सागरीय पर्यावरण में ही पालने का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। इसके अन्तर्गत आयस्टर (Oyster) की खेती सर्वाधिक प्रचलित हैं। पहले आयस्टर के अण्डों (Spawns) को एकत्रित किया जाता है, तत्पश्चात उन्हें नये सागरीय स्थानों में बीजन (Seeding) के लिए उपयोग में लाया जाता है। * सागरीय जल में घुले खनिजों में प्रमुख है-नमक, ब्रोमीन, मैग्नीशियम, सोना, जस्ता,' यूरेनियम, थोरियम आदि।
* महाद्वीपीय मग्नतटों एवं ढालों की सतह पर निक्षेपित पदार्थों में जिरकन, मोनाजाइट, मैग्नेटाइट, गोल्ड प्लेसर, हीरा, प्लेटिनम, गंधक, फासफोराइट तथा कई प्रकार के निर्माण पदार्थ (Building materials) जैसे रेत, बजरी, बोल्डर आदि पाये जाते हैं।
* भारत में मोनाजाइट का विश्व का वृहत्तम (90%) भण्डार है जो केरल तट के पास प्लेसर डिपाजिट में निहित है।
* गहरे सागरीय निक्षेपों के खनिजों में मैंगनीज पिण्ड सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। प्रशान्त महासागर में इसका सर्वाधिक भण्डार है।
* फॉस्फेट उन्हीं महासागरीय क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है जहाँ पर जैविक गतिविधियाँ अधिक होती हैं।
* मेथीन युक्त 'गैस हाइड्रेट्स' (Gas Hydrates) सागरीय तल पर दरारों के सहारे ठोस एवं जमें जल में अणुओं के सफेद जमाव होते हैं जो मग्नतटों पर 300 से 500 मीटर की गहराई पर पाये जाते हैं।
* मुख्य रूप से महाद्वीपीय मग्न तटों की तली की निचली संरचनाओं में खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस, के अपार भण्डार की सम्भावना है। कई देशों में इसका विधिवत विदोहन भी प्रारम्भ हो गया है।

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