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भूगोल >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
30.
तटीय पर्यावरण एवं भविष्य हेतु संसाधनों के भंडार के रूप में महासागर
अध्याय का संक्षिप्त परिचय
महासागरीय जल तथा नितल (bottom) से सम्बंधित जैविक तथा अजैविक संसाधनों को.
सागरीय संसाधन कहते हैं। यह सागरीय संसाधन सागरीय जल, उसमें निहित ऊर्जा
(जैसे-तरंग ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि) उसमें रहने वाले जीव-जन्तु, पौधे,
सागरीय निक्षेप तथा उसमें निहित अजैविक तत्व, तलवासी जीव आदि रुपों में हो
सकते हैं। एक बंद जल में असंख्य अतिसूक्ष्म (Microscopic) पौधे मौजूद होते
हैं। सागरीय जैविक संसाधनों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे नवीकरणीय
(Renewable) हैं अर्थात् उनका पुनर्जनन (Regeneration) किया जा सकता है।
प्रारम्भ से सागर मानव के लिए आकर्षण का केन्द्र एवं उपयोगी रहा है। मनुष्य
सागर का विभिन्न रुपों में उपयोग करता रहा है यथाः यातायात एवं परिवहन,
मत्स्यन (Fishing), सेना एवं रक्षा, . खनिज विदोहन (Mineral Extraction),
मनोरंजन, दवा, अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण आदि। वर्तमान समय में विश्व की
बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य पदार्थों एवं खनिजों की बढ़ती माँग के कारण
सागरीय संसाधनों का महत्व और अधिक बढ़ गया है। परिणामस्वरूप सागरीय जीवीय
संसाधनों के परम्परागत विदोहन के अलावा मनुष्य अपने कौशल एवं प्रौद्योगिकीय
विकास के द्वारा उसमें संशोधन एवं परिमार्जन कर रहा है। जैसे—सागर कृषि
(mariculture), जलकृषि (Aqua culture) सागर जन्तुवर्द्धन (Ocean Ranching)
आदि विधियों से सागरीय जीवों की उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि करने लगा
है। सागरीय जल एवं निक्षेपों तथा सागरीय क्रस्ट में स्थित खनिज पदार्थों के
विदोहन की होड़ लग गयी है। परिणामस्वरूप सागरों का सामरिक महत्व भी बढ़ गया
है। सागर स्थित खनिजों की खोज तथा विदोहन हेतु अध्ययन जोर पकड़ता जा रहा है,
परिणामस्वरूप सागर भौमिकी (Marine Geology) का विकास किया गया है। सागरीय
जीवों के अध्ययन के लिए सागर जीव विज्ञान (Marina Biology), सागरीय संसाधनों
के विधिवत अध्ययन के लिए आर्थिक समुद्र विज्ञान (Oconomic Oceanography) या
संसाधन समुद्र विज्ञान (Resource Oceanography) को और अधिक विकसित करने की
आवश्यकता है।
सागरीय क्षेत्रों में विविध प्रकार के जैविक तथा अजैविक संसाधन होते हैं। इन
संसाधनों के दो प्रमुख स्रोत होते हैं। प्रथम, नदियाँ स्थलीय भागों में बहाकर
नाना प्रकार के पदार्थों को सागर में पहुँचाती रहती है। इनमें खनिज तत्वों के
साथ जन्तु तथा पौधे भी होते हैं। द्वितीय, कुछ संसाधन पौधों द्वारा छिछले जल
में तैयार किये जाते हैं। उल्लेखनीय है कि महासागरों में जैविक संसाधनों के
अपार भण्डार निहित हैं। जैविक संसाधनों के अलावा कई तरह के विटामिन एवं
औषधियाँ भी सागरीय जल में निहित होती हैं। सामान्यतया सागरीय संसाधनों को
जैविक, अजैविक तथा वाणिज्यिक तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है। सागरीय
संसाधनों को दूसरी तरह से तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता हैखनिज
संसाधन, ऊर्जा संसाधन तथा खाद्य संसाधन।
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