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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


स्मरण रखने योग्य महत्त्वपर्ण तथ्य

* 'पारिस्थितिक तंत्र' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए0जी0 टान्सली ने किया था। * पारिस्थितिकी तंत्र की रचना जैविक तथा अजैविक संघटकों से होती है।
* खुले या विवृत्त तंत्र में ऊर्जा तथा पदार्थ दोनों का सतत निवेश एवं बहिर्गमन होता रहता है।
* विवृत्त तंत्र इस तरह क्रियाशील रहते हैं कि ऊर्जा तथा पदार्थ के निवेश तथा बहिर्गमन में संतुलन बना रहता है तथा तंत्र सदैव स्थिर तथा दशा की ओर उन्मख रहती है।
* पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना दो प्रमुख भागों से होती है- जीवोम या बायोम (Biome)तथा निवास्य क्षेत्र (Habitat)।
* पारिस्थितिक तंत्र जीवमण्डल में एक सुनिश्चित क्षेत्र धारणा करता है।
* किसी भी पारिस्थितिक तंत्र का समय इकाई के संदर्भ में पर्यवेक्षण किया जाता है।
* उर्जा जैविक तथा भौतिक संघटकों के मध्य जटिल पारस्परिक अन्तक्रियाएं होती हैं।
* जब तक पारिस्थितिक तंत्र के एक या अधिक नियन्त्रक कारकों में अव्यवस्था नहीं होती है, पारिस्थितिक तंत्र अपेक्षाकृत स्थिर समस्थिति में होता है। * पारिस्थितिक तंत्र विभिन्न प्रकार की ऊर्जा जैसे— सौर्यिक ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा आदि द्वारा चालित होता है।
* पारिस्थितिक तंत्र के संचालन के लिए सौर्यिक ऊर्जा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
* पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एकदिवशीय होता है। अर्थात् जितनी ऊर्जा का बहिर्गमन हो जाता है, वह ऊर्जा पुनः वापस नहीं आती है।
* पारिस्थितिक तंत्र में बढ़ते पोषण स्तरों (Trophic Levels) से जीवधारियों द्वारा श्वसन क्रिया से क्षय होने वाली ऊर्जा का प्रतिशत बढ़ता जाता है।
* प्रत्येक ऊँचे पोषण स्तर के जीवधारियों को निचले पोषण स्तर के जीवधारियों की तुलना में अपना आहार प्राप्त करने के लिए अधिक कार्य करना पड़ता है। * पारिस्थितिरक तंत्र एक कार्यशील इकाई होती है जिसके अन्तर्गत जैविक संघटक तथा भौतिक संघटक वृहद्स्तरीय भूजैवरसायनिक चक्र के माध्यम से घनिष्ठ रूप से एक-दूसरे से सम्बंधित तथा आबद्ध होते हैं।
* पारिस्थितिक तंत्र की निजी उत्पादकता होती है। उत्पादकता किसी क्षेत्र में प्रति समय इकाई में जैविक पदार्थों की वृद्धि दर की द्योतक होती है।
* पारिस्थितिक तंत्र में पौधे स्वपोषित, प्रकाश संश्लेषी प्राथमिक उत्पादक होते हैं तथा आहार श्रृंखला में प्रथम पोषण स्तर की रचना करते हैं।
* जन्तु उपभोक्ता होत हैं तथा आहार श्रृंखला के द्वितीयक (शाकाहारी), तृतीयक (मांसाहारी) तथा चतुर्थक (सर्वाहारी) पोषण स्तरों का निर्माण करते हैं।
* पारिस्थितिक तंत्र में क्षेत्रीय विस्तार की दृष्टि से विभिन्नता होती है।

* पारिस्थितिक तंत्र के विकास एवं संवर्द्धन के कई अनुक्रम (Sequence) होते हैं।
* पारिस्थितिक तंत्र प्राकृतिक संसाधन तंत्र होते हैं। अर्थात् यह प्राकृतिक संसाधनों का प्रतिनिधित्व करता है।
पारिस्थितिक तंत्र संरचित एवं सुसंगठित होता है।
* पारिस्थितिरक तंत्र में अन्तर्सम्बंधित नियन्त्रण होता है। अर्थात् यदि पारिस्थितिक तंत्र के किसी एक संघटक में प्राकृतिक कारणों से कोई परिवर्तन होता है तो तंत्र के दूसरे संघटक में भी परिवर्तन होता है। यदि पारिस्थितिक तंत्र किन्हीं वजहों से अव्यवस्थित तथा असंतुलित हो जाता है तो पर्यावरण अवनयन तथा प्रदूषण (Environmental Degration and Pollution) प्रारम्भ हो जाता है। * पारिस्थितिक तंत्र की कार्यशीलता ऊर्जा प्रवाह के प्रारूप पर निर्भर करती है क्योंकि किसी भी पारिस्थितिक तंत्र के जीवित संघटकों के सभी पक्ष ऊर्जा-प्रवाह पर आश्रित होते हैं।

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