|
भूगोल >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
|
|
||||||
बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
स्मरण रखने योग्य महत्त्वपर्ण तथ्य
* जब पारिस्थितिक रुप में समस्त पादपों एवं प्राणियों का सम्मिलित रुप से
अध्ययन किया जाता है तो उसे बायोम या जीवोम कहते हैं।
* बायोम की सामान्य विशेषताएँ उस समस्त भूभाग में प्रायः समान होती है। *
बायोम के अन्तर्गत प्रायः स्थलीय भाग के समग्र पादप तथा प्राणी समुदायों को
ही सम्मिलित करते हैं।
* बायोम में हरे पौधों का ही प्रभुत्व होता है क्योंकि इनका सकल बायोमास
प्राणियों की तुलना में बहुत अधिक होता है।
* सदाबहार वर्षा वन बायोम में वर्षभर उच्च वर्षा तथा तापमान रहता है। इसी
कारण से इसे अनुकूलतम बायोम (Optimum Biome) कहते हैं।
* सदाबहार वर्षा वन बायोम का सामान्यतः विस्तार 10°N तथा 10°S अक्षांशों के
मध्य पाया जाता है।
* सदाबहार वर्षा वन बायोम का ऊपरी वितान (Upper most canopy) लताओं एवं
बल्लरियों से ढके रहने के कारण सूर्य प्रकाश वन केवल 25% भाग ही प्राप्त होता
है।
* सदाबहार वर्षा वन बायोम में पादपों की सर्वाधिक प्रजातियों पायी जाती हैं।
* सदाबहार वर्षा वनों के लम्बी लताओं में महालता का सर्वप्रमुख स्थान है
जिसका तना 20 cm मोटा तथा इसकी लम्बाई 240 मीटर तक होती है। * सदाबहार वर्षा
वनों के अधिकांश जन्तु वृक्षवासी (Arboreal) होते हैं। अतः अधिकांश जन्तुओं
में वृक्षों पर चढ़ने के लिए विशिष्ट अंगों तथा अवयवों का विकास हुआ है।
* सदाबहार वर्षा वनों के कुछ प्राणियों; जैसे—लोमड़ी वृक्ष निवासी मेढ़क,
गिलहरी, वृक्षनिवासी सर्प इत्यादि में हवा में तैरने (Gliding) के गुण विकसित
हुए हैं। * सामान्यतया उष्ण कटिबन्धी पर्णपाती वन मानसूनी जलवायु वाले
क्षेत्रों में पाया जाता है।
* उष्ण कटिबन्धी पर्णपाती वन बायोम में आर्द्र तथा शुष्क दो स्पष्ट ऋतुएँ
होती हैं।
* सदाबहार वर्षा वन बायोम की तुलना में उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन बायोम में
पादपों की प्रजातियों की संख्या तथा घनत्व दोनों कम होती है।
* वनस्पति समुदाय का स्तरीकरण जितना ही अधिक विकसित होता है तथा उनकी जितनी
ही अधिक प्रजातियाँ होती हैं, प्राणियों में उतनी ही अधिक विविधता होती है
तथा उनकी प्रजातियों की संख्या तथा उनकी कुल जनसंख्या उतना ही अधिक होती है।
* सवाना (Savana) का अर्थ उस वनस्पति समुदाय से है जिसमें धरातल पर आंशिक रुप
से शुष्कानुकूलित शाकीय पादपों (मुख्य रूप से घासों) की प्रधानता होती है तथा
विरले से लेकर सघन वृक्षों का ऊपरी आवरण होता है।
* सवाना बायोम का विस्तार भूमध्य रेखा के दोनों ओर 10° से 20° अक्षांशों के
मध्य पाया जाता है।
* सवाना बायोम की जलवायु में स्पष्ट शुष्क तथा आर्द्र ऋतु, वर्षभर ऊँचा
तापमान तथा अधिक सूर्यातप इत्यादि विशेषताएँ पायी जाती हैं।
* सवाना बायोम में घासों का बाहुल्य होता है।
* सवाना बायोम में घासें तथा अन्य शाकीय पौधे धरातलीय स्तर का प्रतिनिधित्व
करते हैं।
* सवाना बायोम के घासों में सर्वप्रमुख तथा सर्वोच्च हाथी घास (Elephant
Grass) होती है जिसकी ऊंचाई 5 मीटर तक होती है। इसका आकार गुच्छेदार होता है।
* सवाना बायोम की घासों का आकार चपटी तथा बड़ी होने के कारण इनसे
वाष्पोत्सर्जन (transpiration) शुष्क तथा तर सभी ऋतुओं में तीव्र गति से होता
है।
* सवाना बायोम के पौधे शुष्क मौसम में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं तथा घास
आवरण खुला तथा विरल हो जाता है; परन्तु आर्द्र मौसम आते ही इनमें पुनः हरी
पत्तियों तेजी से निकलती हैं।
* सवाना बायोम के कुछ वृक्षों की प्रजातियों में स्टोमैटा को बन्द करके शुष्क
मौसम में जल संचित करने के गुण नहीं होते हैं। ऐसे वृक्षों की पत्तियाँ शुष्क
मौसम में गिर जाती हैं तथा वे वृक्ष पर्णपाती वृक्षों की श्रेणी में आते हैं।
* सवाना बायोम के वृक्षों की जड़ें इतनी लम्बी (5 से 20 मीटर) होती हैं कि
शुष्क मौसम में भौमजल स्तर से ये जल प्राप्त कर सकें।
* अफ्रीका सवाना में चरने वाले बड़े जन्तुओं की सबसे अधिक किस्में पायी जाती
हैं। जेब्रा, एण्टिलोप, जिराफ, हिप्पोपोटामस तथा हाथियों के बड़े-बड़े झुण्ड
पाये जाते हैं।
* सवाना बायोम में विस्तृत घास क्षेत्र एवं वृक्षों की कम संख्या के कारण
जन्तुओं में अधिक गतिशीलता पायी जाती है।
* सवाना बायोम में वृहदाकार स्तनधारी जन्तु (हाथी, जिराफ, गैण्डा इत्यादि)
तथा बिना उड़ने वाले पक्षी (emn) पाये जाते हैं।
* सवाना बायोम में प्राणियों की अत्यधिक जनसंख्या के बावजूद उनमें आहार के
लिए अधिक प्रतिस्पर्धा नहीं होती है क्योंकि इस बायोम की वनस्पतियों के
मुताबिक शाकाहारी प्राणियों के आहार ग्रहण की आदतों में विशिष्टतायें पायी
जाती हैं।
* सवाना बायोम में चराई अनुक्रम (Grazing Succession) का पूर्ण विकास हुआ है।
* रुम सागरीय बायोम का विस्तार दोनों गोलार्डों में महाद्वीपों के पश्चिमी
भाग में 30° से 40° अक्षांशों के बीच पाया जाता है।
* रुम सागरीय बायोम की वनस्पतियों की संरचना इस प्रकार की होती हैं कि वे
ग्रीष्मकालीन शुष्कता को सहन कर सके।
* अफ्रीकी रुम सागरीय बायोम की वनस्पतियों में छोटे पुष्पी पौधे अधिक आकर्षण
होते हैं। इन्हें विश्व के अधिकांश देशों की वाटिकाओं के लिए उगाया जाता है।
* आस्ट्रेलियाई रुम सागरीय बायोम में युकेलिप्टस वंश के वृक्ष सर्वाधिक
प्रमुख हैं। इनकी कई सौ प्रजातियाँ विकसित हुई हैं। ये सदाबहार वृक्ष होते
हैं तथा इनकी ऊंचाई 70 मीटर तक या उससे अधिक होती हैं।
|
|||||











