लोगों की राय

भूगोल >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


28.

जीवोम के प्रकार तथा प्राणि-भौगोलिक प्रदेश

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

जीवमण्डल को विभिन्न वनस्पतियों के आधार पर विभिन्न परिस्थितिकी तन्त्रों (Eco-systems) में विभाजित करते हैं। इस तरह जब पारिस्थितिक रूप में समस्त पादपों एवं प्राणियों का सम्मिलित रुप में अध्ययन किया जाता है तो उसे बायोम या जीवोम (Biome) कहते हैं। सामान्य रूप से एक बायोम के अन्तर्गत महाद्वीप के उन सभी भागों के समस्त पादप तथा प्राणियों को सम्मिलित करते हैं जिनकी 'सामान्य विशेषताएँ उस समस्त भूभाग में प्रायः समान होती हैं। ज्ञातव्य है कि बायोम के अन्तर्गत प्रायः स्थलीय भाग के समग्र पादप तथा प्राणी समुदायों को ही सम्मिलित करते हैं क्योंकि सागरीय बायोम का निर्धारण कठिन हो जाता है, यद्यपि इस सन्दर्भ में प्रायस किये गये हैं। यद्यपि बायोम में पादप तथा प्राणी दोनों को सम्मिलित करते हैं, तथापि हरे पौधों का ही प्रभुत्व होता है क्योंकि इनका सकल बायोमास प्राणियों की तुलना में बहुत अधिक होता है। भूतल पर वनस्पति तथा प्राणियों के वितरण प्रतिरुपों तथा वर्तमान जलवायु प्रकारों में गहरा सम्बन्ध दृष्टिगत होता है। अतः वनस्पति तथा प्राणियों के वितरण प्रारुपों एवं जलवायु प्रकारों में सम्बंध के आधार पर विभिन्न बायोम प्रकारों के निर्धारण का प्रयास किया गया है। बायोग के विभिन्न प्रकार इस प्रकार हैं-(1) अयनवर्ती सदाबहार वर्षा वन बायोग (Tropical Everygreen Rainforest Biome), (2) मानसूनी पर्णपाती वन बायोम (3) सवाना बयोम (4) रुम सागरीय बायोम (5) शीतोष्ण घास प्रदेश बायोम (6) शीतोष्ण कोणधारी वन बायोम (7) टुण्ड्रा बायोम (8) सागरीय बायोम विभिन्न बायोम का सामान्य परिचय निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत दिया जा रहा है।

(1) अयनवर्ती सदाबहार वर्षा वन बायोम का विस्तार सामान्यतया 10°N तथा 10 S अक्षांशों के मध्य पाया जाता है। इसका सर्वाधिक विस्तार एवं विकास अमेजन बेसिन, कांगो बेसिन तथा इण्डोनेशियन क्षेत्र में हुआ है। इसके अधिकांश क्षेत्रों की औसत वार्षिक वर्षा 2,000 मिलीमीटर या उससे अधिक होती है। वर्षभर ऊंचा तापमान. रहता है। सदाबहार वर्षा वन बायोम में पादपों की सर्वाधिक प्रजातियाँ पायी जाती हैं। वनों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण संघटक वृक्ष है। अधिकांश जन्तु वृक्षवासी होते हैं। इस बायोम में लम्बवत् स्तरीकरण में निचले स्तर से ऊपरी स्तरों में प्राणियों का घनत्व तथा उनकी विविधता बढ़ती जाती है।

(2) मानसूनी पर्णपाती वन बायोम मानसूनी जलवायु वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। इस बायोम में आर्द्र तथा शुष्क दो स्पष्ट ऋतुएं होती हैं। सदाबहार वर्षा वन बायोम की तुलना में पादपों की प्रजातियाँ इसमें कम पायी जाती हैं। इनमें पादपों का घनत्व भी अपेक्षाकृत कम पाया जाता है।

(3) सवाना बायोम का विस्तार भूमध्य रेखा के दोनों ओर 10° से 20° अक्षांशों के मध्य पाया जाता है। सवाना बयोम की जलवायु की प्रमुख विशेषताएं हैं-स्पष्ट शुष्क तथा आर्द्र ऋतुये, वर्ष भर ऊंचा तापमान तथा अधिक सूर्यातप। इस बायोम में घासों का बाहुल्य होता है जो सबसे निचले स्तर का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूसरा स्तर झाड़ियों का तथा तीसरा स्तर वृक्षों का होता है। अफ्रीकी सवाना में चरने वाले बड़े जन्तुओं की सबसे अधिक किस्में पायी जाती है।

(4) रुम सागरीय बायोम का विस्तार दोनों गोलार्डों में महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में 30° से. 40° अक्षांशों के बीच पाया जाता है। इस बायोम की वनस्पतियों की संरचना इस तरह की होती हैं कि वे ग्रीष्मकालीन शुष्कता को सहन कर सके। पत्तियाँ मोटी व कठोर होती है तथा तनों की छाल मोटी होती है। पादप समुदाय में वृक्ष तथा झाड़ियाँ प्रमुख होती हैं।

(5) शीतोष्ण घास प्रदेश बायोम का विस्तार उत्तरी गोलार्द्ध में महाद्वीपों के आन्तरिक भागों (उत्तरी अमेरिका का प्रेयरी तथा यूरेशिया का स्टेपी प्रदेश) में पाया जाता है जहाँ महाद्वीपीय जलवायु का विकास हुआ है तथा शुष्कता का साम्राज्य है। उत्तरी गोलार्द्ध के शीतोष्ण घास मैदानों में महाद्वीपीय जलवायु की प्रधानता होती है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में महाद्वीपीयता का प्रभाव कम होता है। इस सभी क्षेत्रों में घासें सर्वप्रमुख वनस्पति समुदाय होती हैं। ये प्रदेश विश्व के प्रमुख अन्न भण्डार तथा दुग्ध व्यवसाय के क्रीड़ास्थल हैं।

(6) शीतोष्ण कोणधारी वन बायोम की टैगा वन बायोम भी कहते हैं। इसका विस्तार उत्तरी अमेरिका तथा यूरेशिया में शीत महाद्वीपीय अथवा उपध्रुवीय जलवायु प्रदेशों में पाया जाता है। कोणधारी वृक्ष, वनस्पतियों में सबसे प्रभावशाली हैं। इन कोणधारी वृक्षों के साथ शीतोष्ण पर्णपाती कठोर लकड़ी वाले वृक्षों के कुछ वंश भी आपस में समिश्र रुप में पाये जाते हैं।

(7) टण्डा बायोम में वर्षभर सूर्यातप तथा सूर्य प्रकाश का अभाव रहता है जिस कारण वानस्पतिक विकास न्यूनतम होता है। वृक्षों का सर्वथा अभाव रहता है। तेज बर्फानी हवाएं चलती हैं। टुण्ड्रा बायोम को दो प्रकारों में विभक्त कर सकते हैं-आर्कटिक टुण्ड्रा बायोम तथा अल्पाइन टुण्ड्रा बायोम (उच्च पर्वतों पर पाया जाता है)।

(8) सागरीय बायोम की कुछ ऐसी विशिष्ट विशेषताएं होती हैं (जो प्रायः स्थलीय बायोम में नहीं होती है) जो यहाँ के जीव समुदायों (प्राणी तथा पादप दोनों) को प्रभावित करती है। सागरीय जल में घुले पोषक लवण तत्वों की अधिकता होती है। सागरीय जीवों को तीन प्रमुख प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है-प्लैंकटन, नेक्टन तथा बेन्थस।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

लोगों की राय

No reviews for this book