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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

* महासागरीय जल तथा नितल से सम्बन्धित जैविक तथा अजैविक संसाधनों को सागरीय संसाधन कहते हैं।
* सागरीय जैविक संसाधनों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि वे नवीकरणीय (Renewable) होते हैं।
* मनुष्य अपने तकनीकी विकास एवं कौशल के माध्यम से सागर कृषि (Marine farming) कर रहा है जो कि जल कृषि (Aquaculture) का ही एक भाग है। * सागरीय खनिजों की खोज तथा विदोहन हेतु 'सागर भौमिकी' (Marine Geology) विषय को विकास तेजी से किया जा रहा है।
* सागरीय जीवों के अध्ययन के लिए 'सागर जीवविज्ञान' (Marrine Biology) का विकास किया गया है।
* आर्थिक समुद्र विज्ञान (Economic Oceanography) के अन्तर्गत सागरीय संसाधनों (Resources) का विधिवत अध्ययन किया जाता है।
* महासागरीय क्षेत्र को विभिन्न उद्देश्यों यथा—प्रभुसत्ता (Sovereignity),संसाधनों का विदोहन, परिवहन, मनोरंजन, व्यापार, युद्ध-अभ्यास इत्यादि के लिए विभिन्न मण्डलों में अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अन्तर्गत विभाजित किया गया है।
* किसी भी देश के तट से सुदूरवर्ती सागर की ओर तीन प्रमुख मण्डल निश्चित किये गये हैंक्षेत्रीय सागर (Territorial Sea), विशिष्ट आर्थिक मण्डल (Exclusive economic Zone) तथा उच्च सागर (High Sea)
* क्षेत्रीय सागर की दूरी आधार रेखा (Base line) से सागर की ओर नापी जाती है जो सामान्यतया 12 नौटिकल मील (Nautical Miles) होती है।
* क्षेत्रीय सागर को सागरीय मेखला (Marine Belt) या सीमान्त सागर (Marginal Sea) भी कहा जाता है।

* आधार रेखा से सागर की ओर 200 नौटिकल मील तक की दूरी वाले भाग को विशिष्ट आर्थिक मण्डल (EEZ) कहते हैं।
* 1 नौटिकल मील 1852 मीटर के बराबर होता है।
* कोई दूसरा देश इस विशिष्ट आर्थिक मण्डल (EEZ) में सम्बन्धित तटवर्ती देश की अनुमति के बिना कोई आर्थिक कार्य नहीं कर सकता है।
* विशिष्ट आर्थिक मण्डल (EEZ) के आगे स्थित सागरीय क्षेत्र को उच्च सागर (High Sea) के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। इस विस्तृत क्षेत्र में सभी देशों को समान अधिकार है।
* महासागरों में कड़ी खोल के अन्दर रहने वाले मोलस्का (घोंघा) तथा क्रस्टेसियन की लगभग 40,000 प्रजातियाँ तथा मछलियों की 25,000 प्रजातियाँ पायी जाती है।
* सागरीय जीवों की समृद्धि तथा भण्डार सौर्यिक प्रकार के जल के अन्दर प्रवेश तथा जैविक चक्र की सक्रियता एवं दक्षता पर निर्भर करता है।
* आहार तथा पोषक तत्वों का ऊपरी सतह से नीचे की ओर स्थानान्तरण होता रहता है। ऊपरी सतह को प्रकाशित परत (Photic Layer) भी कहते हैं।
* प्रकाशित परत में एक कोशिका वाले पादप प्लैंकटन प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया द्वारा अपनी वृद्धि करते हैं।
* प्रकाशित परत (Photic Layer) को सागरीय हरा चरागाह (Marine Green Pasture) भी कहते हैं। सागरीय पर्यावरण में पनपने वाले पौधों तथा जन्तुओं के समुदायों तथा उनके आवासीय पर्यावरण को सम्मिलित रूप से सागरीय बायोम (Marine Biome) कहते हैं।
* प्लैंकटन सागरीय समुदाय के अन्तर्गत प्रकाशित मण्डल (सागर तल से 200 मीटर तक गहरा भाग) में उतराने (Floating) वाले सूक्ष्म पौधों तथा सूक्ष्म जन्तुओं को सम्मिलित किया जाता है। प्लैंकटन पौधे सूर्य के प्रकाश से प्रकाश संश्लेषण विधि से आहार निर्मित करते हैं।
* शैवाल (Algae) तथा डायटम (Diatoms) प्लैंकटन समुदाय के सर्वप्रमुख पौधे हैं।
* प्लैंकटन समुदाय की इतना तेजी से वृद्धि होती है कि लघु समय में ही सागरीय जल के ऊपर विस्तृत क्षेत्र में इनका गहरा आवरण छा जाता है जिसे सागरीय चारागाह (marine Pasture) कहते हैं।
* जन्तु प्लैंकटन (Zoo Planktons) का आकार 1 मिलीमीटर से कई मीटर तक होता है।
* नेक्टन समुदाय के अन्तर्गत सागरीय जल की विभिन्न गहराइयों में रहने वाले जन्तुओं को सम्मिलित किया जाता है।
* बेन्थस जीव समुदाय (पादप तथा जन्तु) के अन्तर्गत सागरीय जल के नीचे सागरीय तली पर रहने वाले पौधों तथा जन्तुओं को सम्मिलित किया जाता है। * सागरीय जीवों में प्रवाल का प्रमुख स्थान है। इसी कारण से इन्हें सागरीय वर्षा वन (Rain Forest the Ocean) कहते हैं।
* अधिकांश मछलियाँ प्रवाल के घरौंदों में अपने अण्डे देती हैं।
* प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) की वजह से प्रवालों की सामूहिक मौत हो जाने के कारण सागरीय पारिस्थितिकी तन्त्र संकटापन्न (Marine Eco system disaster) हो गया है।
* विश्व स्तर पर मछलियों का सकल पकड़ का 90% भाग पंखवाली मछलियों (Finfish) तथा शेष 10% भाग ह्वेल, क्रिस्टेसियन, मोलस्का तथा कई प्रकार के अन्य रीढ़विहीन जन्तुओं का होता है।
* मांसाहारी व्यक्तियों के लिए मछली का सेवन अधिक महत्त्वपूर्ण तथा लाभकारी होता है क्योंकि इसमें प्रोटीन तथा सही मात्रा में एमिनो अम्ल (Amino Acid) होता है, विटामिन B12 रहता है, कोलेस्ट्राल तथा जमने वाली वसा की मात्रा बहुत कम होती है।

* सागरीय जल के ऊपरी भाग में रहने वाली मछलियों को क्लूपियाड (Clupeoid) कहते हैं।
* गहरे सागर की तली में रहने वाली मछलियों को गैड्वायड (Gadoid) कहते हैं। * मत्स्यन (Fishing) का सर्वाधिक विकास उत्तरी गोलार्द्ध में ही हो पाया है।

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