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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

* सामान्यतया एक किग्रा0 सागरीय जल में क्लोराइड के भार को क्लोरीनता (Chlorinity) कहते हैं। इसको प्रदर्शित करने के लिए %' चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
* सागर का हिमांक (Freezing Point) लवणता से प्रभावित होता है अर्थात् अधिक लवणयुक्त सागर देर मे जमता है।
* सागरीय जल का क्वथनांक (Boiling Point) भी लवणता से प्रभावित होता है अर्थात् इसकी लवणता के कारण इसका क्वथनांक सामान्य जल से ऊँचा रहता है।
* वाष्पीकरण की मात्रा सागरीय लवणता से नियन्त्रित होती है। लवणता अधिक है तो वाष्पीकरण न्यून होता है।
* सागरीय जल में लवण के अलावा कई प्रकार के खनिज घुली अवस्था में मिले होते हैं।
* चूंकि प्रतिवर्ष सागरों में लवणता, पवन, नदी इत्यादि कारकों द्वारा लाया जाता है। इसलिए इसकी लवणता में निरन्तर वृद्धि हो रही है। चूँकि सागरों की लवणता का प्रमुख स्रोत ही है तथा पृथ्वी की उत्पत्ति के समय पपड़ी (Crust) में लवण की मात्रा अधिक थी। इसलिए सागरीय लवणता का प्रमुख स्रोत 'पपड़ी' को माना जा सकता है।
* सागरीय जल में सोडियम क्लोराइड का प्रतिशत 78 होता है जबकि नदियों के लव तो साडेयम क्लोराइड का प्रतिशत केवल 2 होता है।
कानपुर 2019]
* सागरीय लवणता के नियंत्रक कारकों के वाष्पीकरण वर्षा, नदी के जल का आगमन, पवन, सागरीय धाराएँ तथा लहरें आदि प्रमुख हैं।
* भूमध्यरेखीय भागों में उच्च तापक्रम तथा अधिक वाष्पीकरण के होते हुए भी अत्यधिक आर्द्रता के कारण लवणता उतनी अधिक नहीं होती जितनी कि अयनवर्ती भागों में।
* ध्रुवीय तथा उपध्रुवीय भागों में अत्यधिक हिम वर्षा के कारण निर्मित हिमानी, सागरों में हिम पहुंचाने रहते हैं जो कि शीतोष्ण प्रदेशों के सागरों में लवणता को कम कर देते हैं।
* जहाँ पर वाष्पीकरण की मात्रा स्वच्छ जल की आपूर्ति से अधिक होती है, वहाँ पर लवणता बढ़ती जाती है। उदाहरणार्थ - रूम सागर में लवणता 38% पायी जाती हैं।
* भूमध्यरेखीय गर्म धाराएँ महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में लवण को पूर्वी तटीय भागों में पहुँचाकर वहाँ की लवणता बढ़ा देती है। उदाहरणार्थ- मैक्सिको की खाड़ी।
* उच्च वायुमण्डलीय वायुदाब तथा प्रतिचक्रवातीय दशाओं के कारण सागरीय लवणता बढ़ती है।
* उच्च अक्षांशों (ध्रुवीय क्षेत्रों) में सागरीय जल के जमने तथा हिम के निर्माण के कारण सागरीय लवणता में वृद्धि होती है।
* विभिन्न विशेषता वाली विभिन्न जलराशियों के मिश्रण के कारण सागरीय जल की लवणता में विषमता होती है।
* प्रचलित हवाओं एवं महासागरीय धाराओं के कारण महासागरीय लवणता में क्षेत्रीय विभिन्नता होती है।
* सामान्यतया महासागरों की औसत लवणता 35% होती है।
* भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सामान्य रूप से लवणता में कमी आती जाती है।
उच्चतम लवणता 20N_40N अक्षांशों में पायी जाती हैं। जहाँ पर उसकी मात्रा 36%होती है।
* दक्षिणी गोलार्द्ध में उच्चतम लवणता 10-30 अक्षांशों के मध्य 35% की लवणता पायी जाती है।
* 10 से 20 अक्षांश उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध अपेक्षा न्यून लवणता का क्षेत्र है। अत्यधिक वर्षा के कारण लवणता कम हो जाती है।
* महासागरों तथा सागरों में लवणता के क्षैतिज वितरण को समलवण रेखा (Isohaline) द्वारा प्रदर्शित करते हैं। समलवण रेखाएँ व रेखाएं होती हैं जो कि सागरों की सतह पर समान लवणता वाले क्षेत्रों की ग्लोब पर मिलाती हैं।

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