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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


19

महासागरीय नितल

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

ग्लोब के लगभग तीन चौथाई भाग पर जलमण्डल का विस्तार पाया जाता है। समस्त ग्लोब का क्षेत्रफल 50.995 करोड़ वर्ग किलोमीटर है, जिसे 36.106 करोड़ वर्ग किमी0 क्षेत्रफल (71 प्रतिशत) पर जलमण्डल का तथा 14.889 करोड़ वर्ग किमी0 (29 प्रतिशत) पर स्थलमण्डल का विस्तार पाया जाता है (इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका)। क्रूमेल के अनुसार धरातल के 70.2 प्रतिशत भाग पर जल और 29.8 प्रतिशत भाग पर स्थल का विस्तार पाया जाता है। आकार तथा स्थिति की दृष्टि से जलमण्डल को महासागर (Oceans), महाद्वीपों के मध्य में स्थित सागर (Seas), लघु परावृत्त सागर (Small enclosed seas) तथा खाड़ियों में विभक्त किया जाता है। महासागरों में प्रमुख हैं : प्रशांत महासागर (क्षे0 16.5 करोड़ वर्ग किमी0) आन्ध्र महासागर (क्षेत्रफल 8.2 वर्ग करोड़ किमी0) तथा हिंद महासागर (क्षे0 7.3 वर्ग किमी0)। सागरों में आर्कटिक सागर, मलय सागर, मध्य अमेरिका सागर, रुम सागर, बेरिंग सागर, ओखोटस्क सागर, जापान सागर, पूर्वी चीन सागर, अण्डमान सागर, कैलिफोर्निया सागर, उत्तरी सागर, इंगलिश चैनल सागर, लाल सागर आदि प्रमुख हैं। स्थलमण्डल के समान ही जलमण्डल में उच्चावच मिलते हैं। महासागरीय तली का रुप महाद्वीपीय किनारों से लेकर अत्यधिक गहराई तक भिन्न-भिन्न होता है। महासागरों की औसत गहराई 3800 मीटर तथा स्थल की औसत ऊंचाई 840 मीटर बतायी जाती है। स्थाई की ऊँचाई तथा महासागरों की गहराई को उच्चतामितीय वक्र (Hypsographic/metric curve) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इस आधार पर सागरीय नितल में चार प्रमुख उच्चावच्च मण्डल (relief zones) पाये जाते हैं। महाद्वीपीय किनारे से सागर की अतल गहराई तक ये मण्डल क्रमशः महाद्वीपीय मग्नतट, महाद्वीपीय मग्नढाल, गहरा सागरीय मैदान तथा महासागरीय गर्त होते हैं।

महाद्वीपीय मग्नढ़ाल (Continental Shelves) महाद्वीपों का किनारे वाला वह भाग जो कि महासागरीय जल में डूबा रहता है, उस पर जल की औसत गहराई 10 फैदम तथा ढाल 1 से 3° के बीच होता है 'महाद्वीपीय मग्नतट' कहलाता है। मग्नतटों की चौड़ाई पर तटीय स्थलीय उच्चावच्च का नियंत्रण रहता है। जहाँ पर तट से लगे उच्च पर्वतीय भाग होते हैं, वहाँ पर मग्नतट संकरे होते हैं। इसके विपरीत जहाँ पर स्थलीय तटवर्ती भाग मैदानी भाग है, वहाँ पर मग्नतट अधिक विस्तृत देखे जाते हैं। समस्त महासागरीय नितल के क्षेत्रफल के 8.6 प्रतिशत भाग पर मग्नतट पाये जाते हैं।

महाद्वीपीय मग्नढाल (Continental Slope) जल मग्न तट तथा गहरे सागरीय मैदान के बीच तीव्र ढाल वाले मण्डल को 'महाद्वीपीय मग्नढाल' कहा जाता है। जिसका ढाल विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है। इसका औसत ढाल कोण 5° होता है। मग्नढाल पर जल की गहराई 200 से 2000 मीटर तक होती है। समस्त महासागरीय क्षेत्रफल के केवल 8.5% भाग पर ही मग्न ढाल पाये जाते हैं। अटलांटिक महासागर में 12.4% प्रशांत महासागर में 7% तथा हिन्द महासागर में 6.5% भाग पर मग्न ढाल का विस्तार पाया जाता है।

गहरे सागरीय मैदान (Deep Sea Plains) सागरीय मैदान महासागरीय नितल का सर्वाधिक विस्तृत मण्डल होता है, जिसकी गहराई 3000 से 6000 मीटर तक होती है। समस्त महासागरीय क्षेत्रफल के लगभग 75.9% भाग पर सागरीय मैदान का विस्तार पाया जाता है। प्रशांत महासागर में 80.3%, हिन्द महासागर में 80.1% तथा अटलांटिक महासागर में 54.9% भाग पर सागरीय मैदान
का विस्तार होता है।

महासागरीय गर्त (Oceanic Deeps) –महासागरीय गर्त महासागरों के सबसे गहरे भाग होती हैं, जो महासागरीय नितल के लगभग 7% भाग पर फैली हैं। इनके ढाल खड़े होते हैं। महासागरों
में कुल 57 गों का पता लगाया गया है, जिनमें से 32 प्रशांत महासागर में 19 अटलांटिक महासागर में तथा 6 हिन्द महासागर में स्थित है। विश्व की सबसे गहरी गर्त मेरियाना ट्रेंच है, जो कि पं0 प्रशांत महासागर में फिलीपाइन्स के पास में स्थित है।

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