स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
सम्पूर्ण पृथ्वी के 70.8% भाग पर महासागरों का विस्तार पाया जाता है।
* उत्तरी गोलार्द्ध में 60.7% भाग पर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में 80.9% भाग पर
जल का
* महासागरों की औसत गहराई 3800 मीटर है जबकि स्थल खंड की औसत ऊंचाई 840 मीटर
है।
* स्थलखंड की ऊंचाई एवं महासागरों की गहराई को उच्चतादशी वक्र (Hypsographic
or Hsometric curve) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह ऊँचाई एवं गहराई वाले
क्षेत्रों को ग्लोब के प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित करता है।
* सर्वप्रथम 1921 ई0 में कौसीना नामक विद्वान ने समुद्र तल को आधार मानकर
भू-भागों की उच्चतादर्शी (Hypsographic) वक्र का निर्माण किया। परन्तु 1942
में स्वेरड्रफ ने नवीन आंकड़ों के आधार पर महाद्वीपों एवं महासागरों की
उच्चतादर्शी वक्र का निर्माण किया।
* सम्पूर्ण महासागर के 7.5% क्षेत्रफल पर महाद्वीपीय मग्न तट का विस्तार पाया
जाता है। जिसमें से अटलांटिक महासागर के 13.3%, प्रशांत महासागर के 5.7% तथा
हिंद महासागर के 4.2% भाग पर महाद्वीपीय मग्न तट का विस्तार है।
* सम्पूर्ण महासागर के 7.5% क्षेत्रफल पर महाद्वीपीय मग्न तट का विस्तार पाया
जाता है। जिसमें से अटलांटिक महासागर के 13.3%, प्रशांत महासागर के 5.7% तथा
हिंद महासागर के 4.2% भाग पर महाद्वीपीय मग्न तट का विस्तार है।
* जहाँ तट के किनारे पर्वत पाये जाते हैं, वहां मग्न तट संकरे हैं। इसके
विपरीत जहां तटवर्ती क्षेत्र मैदानी है, वहां मग्न तट अधिक चौड़े हैं।
* भारत के पश्चिमी तट पर महाद्वीपीय मग्न तट पूर्वी तट की अपेक्षा अधिक चौड़ा
है।
* समुद्र से प्राप्त होने वाले खाद्य संसाधन मुख्यतः महाद्वीपीय मग्न तट से
ही प्राप्त होता है।
* विश्व के कुछ खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस उत्पादन का 20% महाद्वीपीय मग्न
तट से ही प्राप्त होता है।
* महाद्वीपीय मग्न तट से आगे सागर की ओर तीव्र ढाल वाला भाग महाद्वीपीय मग्न
ढाल कहलाता है। इसका औसत ढाल 20-5° तथा गहराई 3680 मीटर तक होती है।
* महाद्वीपीय मग्न ढाल की एक मुख्य विशेषता यह है कि इस पर तीव्र ढाल वाली
अंतः सागरीय कंदराएँ (Submarine Canyons) पायी जाती हैं।
* महाद्वीपीय मग्न ढाल का विस्तार सम्पूर्ण महासागर के 8.5% भाग पर पाया जाता
है। जिसमें से अटलांटिक महासागर के 12.4%, प्रशांत महासागर के 7% एवं हिंद
महासागर के 6.5% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता है।
* महाद्वीपीय मग्न ढाल पर निर्मित अंतः सागरीय कन्दराओं की उत्पत्ति के लिए
पंक तरंग सिद्धांत (Turbidity Current theory) का प्रतिपादन किया गया।
* महाद्वीपीय उभार का सामान्य उच्चावच काफी कम होता है एवं गहराई बढ़ने के
साथ-साथ यह समतल होकर महासागरीय मैदान में मिल जाता है।
* गहन सागरीय मैदान के अन्तर्गत संपूर्ण महासागरीय क्षेत्रफल का 75.9% भाग
आता है। जिसमें से प्रशांत महासागर में 80.3%, हिंद महासागर में 80.1% तथा
अटलांटिक महासागर में 54.9% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता है।
* अटलांटिक महासागर में सागरीय मैदान के अपेक्षाकृत कम विस्तार का प्रमुख
कारण महाद्वीपीय मग्न तट का अधिक विस्तार है।
* महासागरीय गर्त महासागरों के सबसे गहरे भाग हैं। ये महासागरों के मध्य में
नहीं, बल्कि प्रायः तटों या द्वीप चापों एवं द्वीपों के समानान्तर देखने को
मिलते हैं।
* चैलेंजर अभियान (1884) के दौरान 57 गर्मों का पता लगाया गया। इनमें से 32
प्रशांत महासागर, 19 अटलांटिक महासागर में एवं 6 हिंद महासागर में स्थित हैं।
* विश्व का सबसे गहरा गर्त मेरियाना ट्रेंच (चैलेंजर गर्त) हैं, जो उ0प0
प्रशांत महासागर में गुआम द्वीपमाला के निकट स्थित है।
* महासागरीय गर्मों की उत्पत्ति की व्याख्या ‘प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत'
द्वारा की जा सकती है।
* मध्य महासागरीय कटक की कुल लम्बाई 75,000 किमी0 है। ये कटक या तो पठार के
समान हैं या पर्वत के समान। इनके शिखर समुद्री जल स्तर से ऊपर उठकर कहीं-कहीं
द्वीप बनाते हैं।
* प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांतों के अनुसार इन कटकों का निर्माण प्लेट के
सीमांत क्षेत्र में, दो प्लेटों के एक-दूसरे से दूर खिसकने के फलस्वरूप
ज्वालामुखी क्रिया के कारण हुआ।
* वे जलमग्न पहाड़ियां, जिनके शिखर नितल से 1000 मीटर से अधिक ऊपर उठे हुए
हों, समुद्री पहाड़ियां कहलाती हैं।
* सपाट-शीर्ष वाले समुद्री पर्वतों को गुयॉट (Guyots) कहा जाता है।
* समुद्री पहाड़ियों एवं गुयॉट का निर्माण ज्वालामुखी क्रिया द्वारा होता है।
* प्रशांत महासागर में समुद्र पहाड़ियां एवं गुयॉट सर्वाधिक संख्या (10,000
से भी अधिक) में पाये जाते हैं।
* महासागरीय नितल पर स्थित गहरे गॉर्ज को जलमग्न केनियन कहा जाता है। ये
जलमग्न केनियन तीव्र ढालों वाली गहरी घाटियां हैं। ये सामान्यतः तट के लंबवत्
पाये जाते हैं।
* जलमग्न केनियन (Submarine Canyons) मुख्यतः महाद्वीपीय मग्न तट, ढाल एवं
उत्थान तक ही सीमित है।
* महासागरों में अनेक केनियनों के शीर्ष, नदियों के मुहाने पर स्थित हैं।
हड्सन केनियन एक विश्व प्रसिद्ध जलमग्न केनियन है जो हडसन नदी के मुहाने के
अग्रभाग में स्थित है।
* बेरिंग सागर में विश्व के सबसे लंबे जलमग्न केनियन पाए जाते है।
जैसे—बेरिंग केनियन, प्रिबिलॉफ एवं जेमचुंग केनियन।
* तट, शोल एवं भित्ति का निर्माण क्रमशः अपरदन, निक्षेपण एवं जैविक
प्रक्रियाओं द्वारा होता है।
* तट सपाट शीर्ष वाले उत्थान (Elevation) होते हैं एवं महासागर में डूबे हुए
महाद्वीपीय भाग है। जैसे-अटलांटिक महासागर में ग्रैंड बैंक एवं उत्तर सागर
में डॉगर बैंक।
* अमेरिका के पूर्वी तट पर स्थित जार्ज बैंक का निर्माण प्लिस्टोसीन काल के
दौरान हिमानी अपरदन के फलस्वरूप हुआ है जबकि डॉगर बैंक का निर्माण हिमौढ़ो के
निक्षेपण के फलस्वरूप हुआ है।
* प्रवाह भित्ति का निर्माण प्रवाही जीवों के द्वारा होता है। यह एक चूना
प्रधान संरचना होती है।
* प्रशांत महासागर विश्व का सबसे बड़ा महासागर है जो सम्पूर्ण पृथ्वी के एक
तिहाई भाग पर फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल सभी स्थलों के संयुक्त क्षेत्रफल
से भी अधिक है।
* प्रशांत महासागर में 20,000 द्वीप हैं। जिनमें से कुछ द्वीप धंसे हुए तो
कुछ द्वीपा-चाप के रुप में तो कुछ द्वीप बिंदु के रूप में बिखरे हुए हैं।
* प्रशांत महासागर का पश्चिमी मग्न ढाल, पूर्वी मग्न ढाल की अपेक्षा अधिक
चौड़ा है। पश्चिमी मग्न ढाल पर जापान सागर, पीला सागर आदि स्थित है।
आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर भी मग्न ढाल अधिक चौड़ा है।
* बेरिंग सागर, ओखोटस्क सागर, जापान सागर, पीला सागर, जावा सागर, सुलु सागर,
बांदा सागर आदि प्रशांत महासागर के प्रमुख सीमांत सागर (Marginal Seas) या
आंशिक रूप से घिरे हुए सागर हैं।
* प्रशांत महासागर का सबसे महत्वपूर्ण कटक पूर्वी प्रशांत कटक या ऐलबैट्रॉस
पठार (Albatros plateau) है।
* प्रशांत महासागर में अटलांटिक एवं हिंद महासागर के समान कटक महासागर के
मध्य में नहीं पाये जाते हैं।
* अटलांटिक महासागर का क्षेत्रफल संपूर्ण पृथ्वी के क्षेत्रफल का 1/6 एवं
प्रशांत महासागर के क्षेत्रफल का 1/2 है।
* फॉकलैंड, स. शैटलैंड, अजोर्स, ट्रिनिडाड, केप वर्डे, बरमूडा, वेस्टइंडीज,
सैंडविच, सेंट हेलेना, असेशियन, हिस्टन की कुन्ध, मडीरा, केनारी आदि अटलांटिक
महासागर में पाये जाने हेलाल महत्वपूर्ण द्वीप बाल्टिक सागर की खाड़ी
* हडसन की खाड़ी, बाल्टिक सागर, उत्तर सागर, बोथनिया की खाड़ी, डेविस
स्ट्रेट, कैरीबियन सागर, मैक्सिको की खाड़ी, विस्के की खाड़ी, भूमध्य सागर
आदि अटलांटिक महासागर के सीमांत सागर है।
* अटलांटिक महासागर के मग्न तट उ0अमेरिका के उ0प0 भाग तथा उ0प0 यूरोप के मन
तट काफी चौड़े (240 से 400 किमी0) हैं।
* मध्य अटलांटिक कटक, उत्तर में आइसलैंड से लेकर दक्षिण में बोवेट द्वीप तक
'S' अक्षर के आकार में 14,400 किमी0 की लम्बाई में फैला हुआ है।
* मध्य अटलांटिक कटक को उत्तरी अटलांटिक महासागर में डौल्फिन कटक (Dolphin
Ridge) जबकि दक्षिणी अटलांटिक महासागर में इसे चैलेंजर कटक (Challenger
Ridge) के नाम से जाना जाता है।
* आइसलैंड एवं स्कॉटलैंड के बीच मध्य अटलांटिक कटक को विविल थामसन कटक कहा
जाता है।
* लेब्राडोर बेसिन, ब्राजील बेसिन, उ0 अमेरिका बेसिन, स्पेनिश बेसिन, कनारी
बेसिन, केपवर्डे बेसिन आदि अटलांटिक महासागर में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण
बेसिन हैं।
* रोमारंश गर्त (Romanche Deep), नरेश गर्त, केमन गर्त, प्योटोरिडो गर्त आदि
अटलांटिक महासागर के महत्वपूर्ण गर्त हैं।
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