बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य हैं?
उत्तर-
राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के कार्य
किसी भी राष्ट्र में शिक्षा मानवीय और सामाजिक जीवन में जो कार्य करती है उससे वह राष्ट्र प्रभावित होता है। प्रत्येक नागरिक राष्ट्र की इकाई होता है, उसके चरित्र पर राष्ट्र का चरित्र निर्भर करता है और उसकी योग्यता और क्षमता पर राष्ट्र का विकास निर्भर करता है। इस प्रकार शिक्षा मानव और सामाजिक जीवन में जो कार्य करती है उससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में राष्ट्र प्रभावित होता है। पर जब हम राष्ट्र की दृष्टि से शिक्षा के कार्यों का विवेचन करते हैं तो प्रायः कहते हैं कि उसका एकमात्र कार्य श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण करना है। श्रेष्ठ नागरिकों के निर्माण हेतु शिक्षा के कार्यों को निम्नलिखित रूप में संजोया-पिरोया जा सकता है -
1 राष्ट्र के नागरिकों का शारीरिक विकास करना, उनकी इन्द्रियों को प्रशिक्षित करना और उनकी जन्मजात शक्तियों का विकास एवं उदारीकरण करना।
2. राष्ट्र के नागरिकों को राष्ट्र के भाषा अथवा भाषाओं का ज्ञान कराना, उनकी मानसिक शक्तियाँ का विकास करना और उन्हें विविध प्रकार का ज्ञान कराना।
3. राष्ट्र के नागरिकों का समाजीकरण करना और उन्हें सामाजिक नियन्त्रण एवं सामाजिक परिवर्तन करने योग्य बनाना।
4. राष्ट्र के नागरिको को राष्ट्रीय संस्कृति अथवा संस्कृतियों से परिचित कराना और उनमें भावात्मक एकता का विकास करना।
5. राष्ट्र के नागरिको को मूल्यों की शिक्षा देना और उनका नैतिक एवं चारित्रिक विकास करना।
6. राष्ट्र के नागरिकों को किसी व्यवसाय विशेष में कुशल करना और उन्हें अपनी रोजी-रोटी कमाने योग्य बनाना। साथ ही राष्ट्र के लिए विशेषज्ञ तैयार करना।
7. राष्ट्र के नागरिकों को राज्य की शासन प्रणाली से परिचित कराना, उन्हें अपने अधिकार एवं कर्तव्यों का ज्ञान कराना और उन्हें नागरिकता की शिक्षा देना।
8. राष्ट्र के नागरिकों को राष्ट्रीय लक्ष्यों से अवगत कराना और उन्हें उनकी प्राप्ति हेतु तैयार कराना।
9. राष्ट्र के नागरिकों में धार्मिक सहिष्णुता और आध्यात्मिक चेतना का विकास करना।
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