बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- व्यावसायिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
व्यावसायिक विकास का उद्देश्य
मनुष्य शरीर और मन का योग है। शरीर के अभाव में हम मनुष्य की कल्पना नहीं कर सकते और मन-मस्तिष्क के अभाव में हम उसे पशु से अधिक और कुछ नहीं समझ सकते। इस शरीर की रक्षा के लिए हमें भोज्य पदार्थ, कपड़े तथा मकान आदि की आवश्यकता होती है। अपने आदिकाल में हम शिकार द्वारा उदर पूर्ति करते थे, पेड़ों की छाल से शरीर ढकते थे और पहाड़ों की गुफाओं में रहते थे, तब हम अपनी संतति को इसी क्रिया में प्रशिक्षित करते थे। आगे चलकर हम खेती और पशुपालन की शिक्षा देने लगे। आज हम अपनी जीविका चलाने के लिए अनेक उत्पादन एवं, औद्योगिक कार्य करते हैं, अतः शिक्षा के द्वारा हम अपनी सन्तान को इन सब क्रियाओं में दक्ष करने लगे हैं। इसीलिए आज जीविकोपार्जन का उद्देश्य व्यावसायिक उद्देश्य कहलाता है।
शिक्षा में व्यावसायिक उद्देश्य स्वीकार करने का अर्थ है बच्चों की उनकी रुचि, रुझान, योग्यता और आवश्यकतानुसार किसी उत्पादन कार्य, जैसे- खेती, किसी व्यवसाय जैसे दुकानदारों, वकालत, अध्यापन तथा डाक्टरी, किसी लघु उद्योग जैसे - कताई, बुनाई, बढ़ईगीरी, लुहारगीरी, चमड़े का कार्य अथवा किसी बड़े उद्योग को चलाने हेतु तकनीकी, संगठन और प्रशासन आदि की शिक्षा देना है।
शिक्षा का व्यावसायिक उद्देश्य एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। मनुष्य की सबसे पहली आवश्यकताएँ. रोटी, कपड़ा और मकान है। शिक्षा को हमारी इन प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति करनी ही चाहिए। कला, साहित्य और संगीत की उन्नति के लिए भी धन की आवश्यकता होती है। आज के इस युग में हमारी भौतिक आवश्यकताओं की कोई सीमा नहीं है, हमें अपेक्षाकृत बहुत धन की आवश्यकता होती है। इस धन को हम उत्पादन अथवा उद्योग द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा के द्वारा यदि हम अपने बच्चों को किसी उत्पादन अथवा उद्योग द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा के द्वारा यदि हम अपने बच्चों को किसी उत्पादन अथवा उद्योग की शिक्षा देते हैं और उससे वे लाभ उठाते हैं तो निश्चित रूप से देश की बेकारी तथा भुखमरी दूर होगी और हमारा देश धन-धान्य से पूर्ण होगा। गरीबी स्वयं में पाप है और अन्य पापों को जन्म देती है। इस पाप स्रोत की समाप्ति के लिए शिक्षा के व्यावसायिक उद्देश्य को सामने रखना चाहिए। व्यावसायिक शिक्षा से एक लाभ यह और होता है कि इससे समाज की निष्क्रियता समाप्त होती है. प्रत्येक व्यक्ति कार्य में व्यस्त रहता है और हम अनेक बुराइयों से बच जाते हैं। अमरीका में इस उद्देश्य पर अधिक बल दिया जाता है तभी वह देश भौतिक साधन एवं प्रसाधनों से सम्पन्न है और संसार के अन्य देश उसकी कृपा पर निर्भर करते हैं।
हम यह जानते हैं कि भूखे पेट भजन नहीं हो सकता, अतः पेट भरने के लिए हमें व्यावसायिक उद्देश्य को स्वीकार करना चाहिए। हम यह भी जानते हैं कि बिना औद्योगिक विकास के कोई राष्ट्र आर्थिक विकास नहीं कर सकता, इस दृष्टि से भी व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। परन्तु केवल पेट भरना और राष्ट्र का आर्थिक विकास करना ही मनुष्य के उद्देश्य नहीं हैं। इसलिए हमें शिक्षा द्वारा अन्य उद्देश्यों की प्राप्ति भी करनी चाहिए। जीविकोपार्जन जीवन का प्रमुख उद्देश्य है परन्तु इस पर आवश्यकता से अधिक बल देना ठीक नहीं। इसे मुख्य उद्देश्य नहीं, किसी अन्तिम उद्देश्य की प्राप्ति का साधन मानना चाहिए।
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