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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के सर्वागीण शिक्षा की इस परिभाषा से कहाँ तक सहमत हैं? और सर्वोच्च विकास से है।' आप तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर-
"शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के सर्वागीण और सर्वोच्च विकास से है।" शिक्षा की यह परिभाषा महात्मा गाँधी जी द्वारा दी गयी है। गाँधी जी का विश्वास था कि शिक्षा को बालक की समस्त शक्तियों का विकास करना चाहिए जिससे वह पूर्ण मानव बन सके। पूर्ण मानव का अर्थ बालक के व्यक्तित्व के चार तत्वों - शरीर, हृदय, मन तथा आत्मा के समुचित विकास से है। इस प्रकार गाँधी जी के अनुसार शिक्षा को बालक के शारीरिक, मानसिक अथवा बौद्धिक एवं आध्यात्मिक गुणों को उत्तेजित करके उसका समुचित विकास करना चाहिए। जिससे वह जीवन के अन्तिम लक्ष्य 'सत्य' को प्राप्त कर सके। गाँधी जी द्वारा दी गयी शिक्षा की उपर्युक्त परिभाषा शिक्षा के वास्तविक स्वरूप का निरूपण करती है शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो चेतन अथवा अचेतन रूप से बालक की व्यक्तिगत, रुचियों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा सामाजिक आदर्शों को ध्यान में रखते हुए आवश्कतानुसार स्वतंत्रता प्रदान करके इसका बौद्धिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक विकास करती है तथा उसके व्यवहार में इस प्रकार से परिवर्तन करती है कि व्यक्ति तथा समाज दोनों की तरफ सकेत करती है जो वर्तमान समय की शिक्षा प्रक्रिया ने स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। गाँधी जी के अनुसार शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य है सत्य तथा ईश्वर की प्राप्ति। शिक्षा के सारे उद्देश्य इस उद्देश्य के अधीन है। यह उद्देश्य वही आत्मानुभूति का उद्देश्य है जो भारतीय दर्शन में प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। इस उद्देश्य के अनुसार गाँधी जी बालक को सत्य तथा ईश्वर के साथ साक्षात्कार कराना चाहते थे। गाँधी जी द्वारा प्रस्तुत शिक्षा योजना को कार्यरूप में परिणित करने से भारतीय समाज में एक नया जीवन आने की सम्भावना है। गाँधी जी का शिक्षादर्शन आदर्शवाद, प्रकृतिवाद, प्रयोजनवाद आदि का सम्मिलित रूप है। वर्तमान शिक्षा प्रक्रिया को किसी एक विचारधारा पर आधारित कर सफल नहीं कहा जा सकता अपितु उसमें सभी विचारधाराओं को प्रवृत्तियाँ सम्मिलित की जानी है अत: गाँधी जी शिक्षा के प्रति जो विचारधारा रखते थे वह आधुनिक शिक्षा प्रक्रिया को काफी सीमा तक प्रभावित करती है अतः गाँधी जी शिक्षा प्रक्रिया को एक निश्चित स्वरूप प्रदान करते हैं।

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