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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
मौलिक कर्त्तव्य
संविधान एवं विधि विशेषज्ञों तथा राजनीतिक समीक्षकों ने भारतीय संविधान में उल्लिखित मौलिक कर्त्तव्यों को कई आधारों पर सम्पूर्ण और दोष पूर्ण बताया है उनकी दृष्टि में मौलिक कर्तव्यों की सबसे बड़ी दुर्बलता इनको संविधान के चौथे भाग नीति-निदेशक तत्वों के बाद अंकित किया जाना है, जिससे ये मात्र नैतिक आदर्श और मान्यताएँ बनकर रह गये हैं। मौलिक कर्त्तव्यों को न्यायालय द्वारा नहीं लागू कराया जा सकता है और इनके पालन के लिए कानून द्वारा किसी को बाध्य भी नहीं किया जा सकता यद्यपि प्रो. एच. सी. ढोलकिया के शब्दों में "मौलिक कर्त्तव्यों की अवहेलना करने पर या उन्हें न मानने पर संसद को उपयुक्त दण्ड देने या निर्धारित करने का भी अधिकार दिया गया है। अतः यह कहना गलत है कि इन कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं की गई है।
 

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