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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
भारतीय संविधान के (अनुच्छेद 19 से 22 के) अन्तर्गत भारतीय नागरिकों को उनकी स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्राप्त है। स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत छः स्वतंत्रताएँ प्रदान की गयी हैं, जिनमें से पहली है विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
भारतीय संविधान में सभी भारतीय नागरिकों को विचार करने, भाषण देने और अपने तथा अन्य व्यक्तियों के विचारों के प्रचार एवं प्रसार करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। प्रेस भी चूँकि विचारों का प्रचार करते हैं, इस कारण प्रेस की स्वतंत्रता का भी प्रावधान है। मूल भारतीय संविधान में विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक था किन्तु सन् 1951 के प्रथम संविधान संशोधन के द्वारा विचार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया। यद्यपि इस संशोधन के पूर्व भी विचार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपमान लेख तथा वचन, न्यायालय अपमान, शिष्टाचार या सदाचार पर आघात तथा राज्य की सुरक्षा के हित में इसे सीमित किया जा सकता था। 1951 के संविधान संशोधन के बाद राज्य निम्न आधारों पर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगा सकता है -
राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध, सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार, न्यायालय अपमान, अपराध के लिए उत्तेजित करना तथा 1963 के 16वें संविधान संशोधन के द्वारा एक प्रतिबन्ध यह भी लगाया जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति भारत राज्य से उसके किसी भाग को
अलग करवाने का प्रचार करे तो राज्य उसकी विचार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित या प्रतिबन्धित कर सकता है।
सन् 1975 के आपातकाल के दौरान प्रेस द्वारा संसद तथा राज्य विधानमण्डलों की कार्यवाहियों के प्रकाशन पर रोक लगा दी गयी थी किन्तु 44वें संविधान संशोधन (1979) के द्वारा इस रोक को हटा दिया गया। मुम्बई उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने जून 1988 को एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दूरदर्शन पर भी लागू होता है। - दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों में विशेष तौर पर बातचीत, साक्षात्कार या इसी तरह के अन्य कार्यक्रमों में यदि किसी कानूनी आधार के बिना कोई काट-छाँट की जाती है तो इस प्रकार की कार्यवाही को अवैध घोषित किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने 10 फरवरी, 1995 के एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि 'विचार और अभिव्यक्ति के अधिकार में शिक्षित करने, सूचना देने तथा मनोरंजन करने का अधिकार सम्मिलित है। खेल-कूद की गतिविधियों का प्रसारण करने का अधिकार भी इसमें सम्मिलित है।

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