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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मौलिक कर्त्तव्य
भारतीय संविधान में वर्णित मूल कर्त्तव्य - जिन-जिन देशों में मूल कर्त्तव्यों का उल्लेख है वहाँ उन्हें एक विशेष अधिकार "काम पाने का अधिकार" भी दिया गया है यद्यपि भारतीय संविधान में ऐसी व्यवस्था नहीं है। संविधान में वर्णित 10 मूल कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं-
1. संविधान का पालन करें और उसके आदेशों संस्थाओं राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
2. स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें।
3. भारत की प्रभुता एकता और अखण्डता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें।
4. देश की रक्षा करें और आह्वाहन किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान मातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हों। ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है।
6. भारत की सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझने और उसका परीरक्षण करें।
7. प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं रक्षा करे और उसका संवर्धन करें तथा प्राणि मात्र के प्रति दया भाव रखें।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
9. सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा रखें और हिंसा से दूर रहें।
10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें, जिससे राष्ट्र निरन्तर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू लें।
संविधान में वर्णित उक्त मूल कर्तव्य हमें एक लोकतान्त्रिक शासन पद्धति में लोकतान्त्रिक जीवन शैली अपनाने तथा राष्ट्र के एक सभ्य नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं।
मौलिक कर्त्तव्यों का महत्व - संविधान में वर्णित मूल कर्त्तव्यों के सन्दर्भ में अनेक विधानी आलोचकों द्वारा उनकी दुर्बलताओं तथा दोषों की चर्चा की गई है तथापि इसके मौलिक कर्त्तव्यों का महत्व कम नहीं हैं।

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