लोगों की राय

बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

Like this Hindi book 0

बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक


16
संवैधानिक मूल्य का शिक्षा के माध्यम से समावेश
(Inclucation of constitutional Values through Education)

प्रश्न- संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न संवैधानिक प्रावधान हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
(1) भाषा सम्बन्धी प्रावधान - धारा 29 (1) व 350 (B) धारा (ख) 1 के अनुसार प्रत्येक समूह को अपनी विशेष धारा 350 (B) के अन्तर्गत एक विशिष्ट अवसर की नियुक्ति का प्रावधान है जो संविधान द्वारा उन्हें प्रदत्त संरक्षण सम्बन्धी मामले की जाँच कर सके।
(2) निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा - राज्य के नीति निर्देशक यह संविधान का वह भाग है जिसके तहत संविधान निर्माताओं ने कल्याणकारी भारत का निर्माण करने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों को सुझाव दिए। नीति निर्देशक तत्वों में 45वीं धारा के अनुसार 14 वर्ष की आयु पूरी होने तक सभी बालकों हेतु संविधान लागू होने से 10 वर्ष के भीतर निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था राज्य तथा केन्द्र सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी है। वर्तमान सरकार इसके लिए गम्भीरता से विचार कर रही है।
(3) शैक्षिक संस्थाओं में अवसरों की समानता - धारा 29 (1) के अनुसार, धर्म, जाति एवं भाषा के आधार पर किसी भी नागरिक को राज्य द्वारा संचालित या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थान में प्रवेश के लिए रोका नहीं जा सकता।
धारा 30 (1) के अनुसार, अल्पसंख्यक वर्ग चाहे किसी भी धर्म, वर्ग, जाति या भाषा पर आधारित हो, अपनी इच्छानुसार शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करने व संचालन करने का अधिकार रखता है।
(4) कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा - इससे सम्बन्धित धाराएँ निम्नलिखित हैं-
धारा (15) हिन्दुओं के जो भी सार्वजनिक, धार्मिक स्थान हैं, उनके द्वार पिछड़े वर्गों के लिए खुले रहेंगे।
धारा (17) अस्पृश्यता निवारण किसी भी रूप में अस्पृश्यता का प्रयोग वर्जित है।
धारा (23) मनुष्य के क्रय-विक्रय पर रोग लगी रहेगी।
धारा (24) 14 वर्ष की कम आयु के बच्चे जो कि किसी फैक्ट्री, खान, या अन्य खतरनाक रोजगार में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किये जा सकते।
धारा (46) पिछडे वर्गों के शैक्षिक व आर्थिक हितों के उन्नयन तथा उन्हें सामाजिक अन्याय व सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा मिलेगी, जो कि नीति निर्देशक तत्व के अन्दर आती है।
धारा (16 व 335) राज्यों को सार्वजनिक सेवाओं में स्थान आरक्षित करने की छूट रहेगी।
(5) अल्पसंख्यक वर्ग की शिक्षा - धारा (30) - धारा (30) 1 में यह कहा गया है कि अल्पसंख्यक वर्ग वाले अपनी इच्छा के अनुसार शैक्षिक संस्थाएँ स्थापित करने व उनका प्रशासन करने का अधिकार है। धारा में अनुदान देते समय उन स्कूलों के साथ इसलिए भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबन्ध में हैं।
(6) धर्म निरपेक्ष शिक्षा - भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और धर्म निरपेक्ष के महत्व को स्वीकार कर 42वें संविधान के संशोधन द्वारा 'धर्म निरपेक्ष' शब्द संविधान की प्रस्तावना में जोडा गया। संविधान के अनुसार राज्य किसी संस्था को सहायता देता हो तब भी वह उसके द्वारा दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा को दखल नहीं कर सकता।
धारा 21 के अनुसार - किसी भी धर्म के प्रचार के लिए कर व दान देने के लिए किसी को भी बाध्य नहीं किया जा सकता।
धारा 22 (2) के अनुसार सहायता प्राप्त या राज्य से मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के किसी भी सदस्य को उस संस्था के द्वारा चलाये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने को मजबूर नहीं किया जा सकता।
धारा 25 (1) नागरिकों के धार्मिक अधिकारों की चर्चा करता है। प्रत्येक नागरिकों को स्वयं के धर्म को मानने और प्रचार करने की स्वतन्त्रता है।
धारा 28 (2) के अनुसार यदि कोई भी ऐसी संस्था जो कि ट्रस्ट द्वारा संचालित हो तथा जिसके प्रावधानों के अनुसार धार्मिक शिक्षा देने की बाध्यता हो और वह राज्य द्वारा संचालित की जाती हो तो ऐसी संस्था धारा 28 (1) प्रावधानों को अनिवार्यता से मुक्त रखा जाता है।
धारा 28 (3) के अनुसार व्यक्ति की स्वीकृति के बिना जबरदस्ती धार्मिक शिक्षा देने पर पाबन्दी लगाती है।
(7) उच्च शिक्षा और शोध - संघ सूची के उपबन्ध 63, 64, 65, 66 के माध्यम से कुछ विषयों में केन्द्र सरकार का वर्चस्व रहा, जिन्हें केन्द्र सरकार स्वतन्त्र रूप से अपने आधीन रख सकती है। प्रमुख उपबन्ध निम्नलिखित हैं जो इस प्रकार हैं -
उपबन्ध 63 के अनुसार, संविधान के लागू होने के समय बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के नाम से जाने वाले संस्थान तथा संसद के अधिनियम द्वारा घोषित राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएँ।
उपबन्ध 64 के अनुसार, भारत सरकार के द्वारा पूर्णतः या अंशतः घोषित वैज्ञानिक या प्राविधिक शिक्षा की संस्थाएँ और संसद द्वारा घोषित राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएँ।
उपबन्ध 65 के अनुसार, सभी संघीय संस्थाएँ जो कि आवृत्तिक, व्यावसायिक या प्राविधिक प्रशिक्षण जिसमें अधिकारियों का प्रशिक्षण भी है (ब) विशेष अध्ययनों एवं अनुसंधानों की उन्नति के लिए, (स) अपराध अनुसंधान एवं उनमें प्राविधिक सहायता के लिए हैं।
उपबन्ध 66 के अनुसार, उच्च शिक्षा, शोध, वैज्ञानिक व तकनीकी शिक्षा के स्तरों का निर्धारण व शिक्षा सुविधाओं में समन्वय।
(8) मातृभाषा में शिक्षण - भारत देश अनेक प्रकार की भाषाओं का संग्रह है। सभी शिक्षाविद् शिक्षा में मातृभाषा के महत्व को मानते हैं। संविधान में सभी को अपनी भाषा का संरक्षण करने का अधिकार दिया गया है।
धारा (26) 1 के अनुसार, भारत में रहने वाले नागरिक चाहे वो किसी भी वर्ग का हो जिसकी अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति हो, संरक्षण करने का अधिकार है।
धारा 350 के अनुसार, प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी, भाषायी अल्पसंख्यक वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्याख्या करने का प्रयास करेगा।
धारा 350 (A) के अनुसार, मातृभाषा को प्राथमिक शिक्षा सुविधाएँ उपलब्ध कराने का दायित्व राज्य व स्थानीय प्रशासन का है।
(9) स्त्री शिक्षा - स्त्री शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए संविधान ने इसे स्वीकार किया और स्त्री शिक्षा को अप्रत्यक्ष रूप से बढावा दिया गया।
धारा 15 (1) के अनुसार, राज्य नागरिकों में लिंग के अभाव में भेदभाव नहीं करेगा।
धारा 15 (3) के अनुसार, स्त्रियों व बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था करने में धारा (58) के प्रावधान आड़े नहीं आयेंगे।
(10) कृषि शिक्षा - अनुच्छेद 45 के अनुसार यदि राज्य चाहे या वह उत्तरदायित्व उठाने के लिए सजग हो तो वह आधुनिक व वैज्ञानिक दृष्टि से कृषि व पशुपालन का संगठन करके, व सुधार के लिए एक ठोस कदम उठा सकता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book