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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से समझाइए।
उत्तर-
अनौपचारिक साधन
(Informal Agencies)
अनौपचारिक साधन वह साधन है जिनका कार्य शिक्षा देना नही होता परन्तु यह आकस्मिक रूप से अथवा परोक्ष रूप से सभी पर शैक्षिक प्रभाव डालते हैं। दूसरे शब्दों में अनौपचारिक साधन वे साधन हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं। अतः यह साधन औपचारिक साधन से भिन्न होते हैं। इन साधनों की न तो कोई पूर्व निश्चित योजना होती है और न कोई निश्चित नियम होते हैं। यह अज्ञात, अप्रत्यक्ष तथा अनौपचारिक रूप से बालक के संस्कारों में रूपान्तर करते हैं। इन साधनों के अन्तर्गत परिवार, समाज, राज्य, युवक, समूह, खेल का मैदान, चलचित्र, प्रेस, रेडियो, दल-गुट आदि आते हैं।
अनौपचारिक शिक्षा की संस्थाओं पर किसी और संस्था का नियन्त्रण नहीं होता। ये बन्धन मुक्त होते हैं। इनका विकास स्वाभाविक रूप से होता है। इनकी शिक्षा सरल स्वाभाविक तथा आडम्बर विहीन होती है। इनके द्वारा बालक वास्तविक जीवन की शिक्षा प्राप्त करते हैं और उनका स्वाभाविक रूप से विकास होता है। डीवी अनौपचारिक साधनों को औपचारिक साधनों से अधिक महत्व प्रदान करता है। उनका कथन है ”ये आकस्मिक एवं स्वाभाविक रूप से प्रभाव डालकर अनजाने ही व्यक्तियों में अच्छी आदत, व्यवहार, चरित्र एवं रुचियों का निर्माण करते हैं। बालक को वास्तविक अनौपचारिक रीति से शिक्षा देते हैं। उनकी बुद्धि एवं कल्पना शक्ति का विकास करते हैं और उनके अनुभवों को विकसित एवं प्रबुद्ध बनाते हैं। सामाजिक अनुकूलन में उनकी सहायता करते हैं। स्पष्ट है कि इन साधनों का अभाव व्यापक होता है।
अनौपचारिक शिक्षा के अनेक गुणों के होते हुए भी कुछ दोष हैं। अनौपचारिक शिक्षा किसी पूर्व निश्चित योजना के अनुसार नहीं चलती, इसलिए इसमें समय एवं प्रयासों का अपव्यय होता है। इसके द्वारा उच्चकोटि का ज्ञान नहीं मिल पाता है। इनके द्वारा कला-कौशल की शिक्षा नहीं दी जा सकती। उक्त दोषों के होते हुए भी अनौपचारिक शिक्षा का अपना ही एक महत्व है।

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