बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- औपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
औपचारिक साधन
(Formal Agenceis)
वे संस्थाएँ जो किसी पूर्ण निश्चित उद्देश्य के अनुसार चलती हैं, उनके कार्य की कुछ सीमा होती है और जो शिक्षा के संकुचित उद्देश्य की प्राप्ति के साधन मात्र होती हैं, औपचारिक साधन कहलाती हैं। औपचारिक संस्थाओं में जानबूझकर विचारपूर्वक शिक्षा प्रदान की जाती है। इन साधनों के अन्तर्गत शिक्षालय, चर्च, संग्रहालय, पुस्तकालय, आर्ट गैलरीज, आदि होती हैं। यह सभी साधन बालकों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करते हैं।
औपचारिक संस्थाओं का निर्माण समाज अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कराता है। इनकी देखभाल प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा की जाती है। इन संस्थाओं का कार्य, समय व स्थान निश्चित योजना के द्वारा ढालने का प्रयास किया जाता है, इसमें शिक्षा की प्रक्रिया सुव्यवस्थित रूप से चलती है।
औपचारिक शिक्षा के दोष भी हैं। डॉ. वी. के अनुसार, "औपचारिक शिक्षा बड़ी ही सरलता से तुच्छ, निर्जीव, अस्पष्ट एवं किताबी बन सकती है। कम विकसित समाजों में जो संचित ज्ञान होता है, उसे कार्य में बदला जा सकता है। किन्तु उन्नत संस्कृति में जो बात सीखी जाती है वे प्रतीकों के रूप में होती है और उन्हें कार्यों में परिणित नहीं किया जा सकता है। इस बात का हमेशा डर बना रहता है कि औपचारिक शिक्षा जीवन के अनुभव से कोई सम्बन्ध न रखकर केवल विद्यालयों की विषय सामग्री न बन जाये।'
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