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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- शिक्षा के अन्य अनौपचारिक साधनों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
शिक्षा के अन्य अनौपचारिक साधन
(Other Informal Agencies of Education)-
शिक्षा के कुछ अनौपचारिक साधन हैं। इसकी जानकारी करना आवश्यक है तथा हम यहाँ पर शिक्षा के अनौपचारिक साधनों पर विचार करेंगे। ये साधन निम्न हैं-
1. समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ (News Paper and Magazines) - अनौपचारिक साधनों में समाचार पात्रों की शिक्षा देने की क्षमता स्वयं सिद्ध है। दैनिक समाचार पत्र व्यक्ति तथा समाज का नित्य का शिक्षक है। देश-विदेश में विभिन्न आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्रों में क्या हो रहा है, इसका ज्ञान हमें समाचार पत्रों से प्राप्त होता है। समाचार पत्रों के उत्तम कहानियाँ, निबन्ध, साहित्यिक समीक्षा एवं लेख भी होते हैं। इन्हें पढ़कर व्यक्ति बहुत से विषयों बातों की शिक्षा प्राप्त करते हैं और विचार विश्लेषण द्वारा अपने निष्कर्ष निकालते हैं। व्यापारियों को वस्तुओं के भाव मालूम होते हैं। खिलाड़ियों को अपनी रुचि के खेलों के सम्बन्ध में ज्ञान मिलता है।
2. रेडियो एवं टीवी - जिन अनौपचारिक साधनों से शिक्षा प्रदान होती है उनमें रेडियो तथा टी. वी का शिक्षात्मक एवं सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। रेडियो नागरिकों को बड़ी सजगता के साथ शिक्षा दे रहा है। इनके द्वारा हम शीघ्र ही समाचार सुन लेते हैं। इनके द्वारा प्रसारित होने वाले कार्यक्रमो से हम कुछ न कुछ सीखते हैं। समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा दिये गये समाज विषयक भाषण इसकी उपयोगिता के प्रतीक है। इन भाषणों में हमें पर्याप्त शिक्षा मिलती है। किसानों को खेती-बारी तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी बहुत-सी बातें बतलाई जाती हैं। बालकों तथा स्त्रियों के मानसिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए विशेष कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। वादन, नृत्य के प्रति सामान्य जन की रुचि में विकास करने का श्रेय रेडियो एवं टी. वी. को है।
3. सिनेमा (Cinema) - सिनेमा शिक्षा का मुख्य साधन है। बालक बहुत सी बाते सिनेमा से सीख जाते हैं। इस प्रकार इनसे मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्द्धन भी होता है। शिक्षा की दृष्टि से सिनेमा की न्यूज रील विशेष लाभकारी सिद्ध हुई है। सिनेमा का बालक के चरित्र पर प्रभाव पड़ता है परन्तु खेद का विषय है कि शिक्षा के इस प्रबल साधन का हमारे चलचित्र निर्माता निम्न कोटि के चित्र प्रदर्शित करते हैं जिनका बालक तथा बालिकाओं के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह फिल्म निर्माता व्यक्ति, समाज, देश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर चलचित्रों का कथानक चुने तो सभी का कल्याण हो सकता है। इस सम्बन्ध में सरकार के लिए यह आपेक्षित है कि वह गन्दे एवं अश्लील चित्रों पर रोक लगाये और उनके स्थान पर ऐसे चित्रों को प्रोत्साहन दे जो शिक्षा और चरित्र-निर्माण की दृष्टि से उत्तम हों।
4. नाटक (Drama) - शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में नाटक हमारे जीवन एवं चरित्र पर प्रभाव डालते हैं। इनसे हमें अनेकानेक शिक्षायें मिलती हैं। यह हमारी केवल कल्पना शक्ति का ही विकास नहीं करते वरन् वे बोल-चाल में प्रशिक्षित करते हैं। ये पाठ्यक्रम की बहुत-सी कड़वी बातें बड़ी सरलता से बालकों तक पहुँचा देते हैं। समाज में फैली हुई बुराइयों तथा सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक विकास के नाटकों का प्रदर्शन लाभदायक होता है। बालकों के सर्वागीण विकास के लिए नाटक बहुत जरूरी है। इससे शिक्षा के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। इनके शैक्षिक महत्व को देखते हुए कुछ शिक्षाशास्त्रियों ने इनके अध्ययन क्लब खोलकर अच्छे शिक्षाप्रद नाटकों के प्रदर्शन किए। नाटकों का प्रभाव बुरा भी होता है, इसलिए अश्लील तथा कामवासना को उत्तेजित करने वाले नाटकों को प्रदर्शित नहीं करना चाहिए।
5. धर्म (Religion) - बालक की शिक्षा में जहाँ समाज के अन्य संगठनों का शिक्षा के अनौपचारिक साधन के रूप में महत्व है वहाँ इनके मध्य धर्म तथा धार्मिक संस्थाओं का भी अपना एक स्थान है। इस सम्बन्ध में हमारे लिए यह जानना आवश्यक नहीं है कि धार्मिक शिक्षा होनी चाहिए अथवा नहीं और धर्म से हम कुछ सीखते रहते हैं। धार्मिक स्थानों जैसे - मन्दिर-मस्जिद, धार्मिक कार्यों, धार्मिक यात्राओं, धार्मिक उत्सवों आदि से हमें शिक्षा मिलती है। प्राचीनकाल में तो धर्म एवं धार्मिक संगठन औपचारिक रूप से शिक्षा प्रदान करते थे परन्तु आज स्थिति बदल गई है। अब विद्यालय अनौपचारिक शिक्षा के मुख्य साधन बन गये परन्तु धर्म का इस सम्बन्ध में अब भी महत्व है और धर्म से हम अनौपचारिक रूप से शिक्षा प्राप्त करते हैं।
6. समाज कल्याण केन्द्र आदि (Social Welfare Centre etc.) - शिक्षा की कुछ ऐसी भी अनौपचारिक एजेन्सियाँ हैं जिन्हें ब्राउन महोदय ने शिक्षा के अव्यावसायिक, साधनों (Non Commercial Agencies) के अन्तर्गत रखा है। इनमें समाज कल्याण केन्द्र, युवक दल स्काउटिंग की गणना की जाती है। सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत समाज कल्याण केन्द्रों तथा समाज शिक्षा केन्द्रों की गाँवों एवं शहरों में स्थापना की गयी है। इनके कार्य एवं क्रियाओं में भाग लेने से व्यक्ति इनके द्वारा अनौपचारिक रूप से शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस प्रकार युवक युवक दलों से बालक स्काउटिंग से और बालिकाएँ गर्ल मार्डिग शिक्षा ग्रहण करती हैं। कारखानों में काम करने वाले कारीगर व्यावसायिक उद्योग- धन्धों में कार्य करके अपने-अपने व्यवसाय सम्बन्धी अपना ज्ञान तथा अपनी कार्य कुशलता बढ़ाते हैं।
7. पुस्तकालय एवं वाचनालय (Library and Reading Room) - पुस्तकालय एवं वाचनालय अपने सद्परिणामों के कारण अनौपचारिक शिक्षा के लोकप्रिय साधन हैं। इनकी लोकप्रियता इस बात से परिलक्षित होती है कि आज कोई भी शिक्षा संस्था ऐसी नहीं है जहाँ पुस्तकालय एवं वाचनालय हो। विद्यालयों के अतिरिक्त मोहल्लों, कस्बों आदि के ज्ञानावर्धन के हेतु नगर निगम, जिला परिषद, नगर पालिका, धनी एवं सामाजिक व्यक्तियों ने सार्वजनिक पुस्तकालयों एवं वाचनालयों की स्थापना की। पुस्तकालय एवं वाचनालय अनेक विषयों की पुस्तकों एवं पत्रिकाओं, कोषों, विशाल सन्दर्भ ग्रन्थों की व्याख्या करके जनमात्र का ज्ञान वर्धन करते हैं। आज हमारे लिए ये इतने महत्व के साधन हैं कि इनके बिना छात्र एवं शिक्षक वर्ग का कार्य चल नहीं सकता। अब लगभग प्रत्येक शिक्षक अपना स्वयं का एक छोटा-मोटा पुस्तकालय रखने का प्रयत्न करता है।

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