बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता अवबोध के विकास में यूनेस्को की भूमिका पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास में यूनेस्को की भूमिका
अंतर्राष्ट्रीय भावना के विकास में यूनेस्को के कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ का यह विभाग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की व्यवस्था करता है और शिक्षा द्वारा देश-विदेश के बच्चों में अंतर्राष्ट्रीय भावना का विकास करने के लिए प्रयत्नशील है। द्वितीय महायुद्ध से पीड़ित देशों तथा अन्य पिछड़े देशों की शिक्षा व्यवस्था में यूनेस्को विशेष हाथ बंटा रहा है। यह संसार से निरक्षता और अज्ञानता को दूर करने के प्रयत्न में है और इस प्रकार संसार में प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित कर उसे व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। यह अध्यापकों के आदान-प्रदान, देश-विदेश के पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के व्यक्तियों को एक-दूसरे के निकट लाने का प्रयास कर रहा है। यह विभिन्न देशों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कला एवं साहित्य की प्रदर्शनियों का आयोजन भी करता है। इसके द्वारा विद्यार्थियों को विदेश भ्रमण की सुविधाएँ भी प्रदान की जाती हैं। यूनेस्को का विश्वास है कि युद्धों का आरम्भ मन से होता है। लोगों के मनों में जब द्वेष की भावना बढ़ती है तब युद्ध होते हैं। एक-दूसरे के प्रति द्वेष कई आधारों पर विकसित होता है। इनसे सबसे अधिक शक्तिशाली आधार हमारी सांस्कृतिक भिन्नता होती है। इसीलिए यूनेस्को सबसे अधिक बल संस्कृतियों के विकास और समन्वय पर देता है। इससे अन्तर्राष्ट्रीयता का विकास होता है।
यूनेस्को सभी सदस्य राष्ट्रों में तत्सम्बन्धी साहित्य का वितरण करता है। इस साहित्य के माध्यम से बच्चे यथा संस्था के उद्देश्य एवं उसकी कार्य विधि से परिचित होते हैं और अपने विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उत्सवों का आयोजन करने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार यूनेस्को शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के आदान-प्रदान में विश्वास करता है और इस क्षेत्र में विशेष रूप से सक्रिय है। हमें उसके कार्यों को गति देने में सहयोग करना चाहिए।
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