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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- भावात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीयता को समझाइए।
उत्तर-
भावात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीयता
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति क्षेत्र, जाति, लिग, धर्म, संस्कृति, व्यवसाय अथवा अन्य किसी आधार पर 'हम' की भावना से बधते हैं तो इसे भावात्मक एकता कहते है। इसका क्षेत्र छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा हो सकता है। राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीयता दोनों इसी के विस्तृत रूप है।
राष्ट्रीय एकता किसी राष्ट्र के व्यक्तियों के बीच समान हित के आधार पर विकसित 'हम' की यह भावना है जो उन्हें क्षेत्र, जाति, लिंग, धर्म, संस्कृति व अन्य आधारों की भिन्नता होते हुए भी अपने राष्ट्र से बाँधती है और वे राष्ट्र हित के आगे अपने वैयष्टिक एवं सामूहिक हितों को त्याग करते हैं और अंतर्राष्ट्रीयता वह भावना है जो विभिन्न राष्ट्रों के बीच समझ और सदभाव पैदा करती है और संसार के विभिन्न राष्ट्र सहअस्तित्व एवं सहयोग में विश्वास करते हैं।
राष्ट्रीयता के दो रूप होते हैं - संकीर्ण राष्ट्रीयता और उदार राष्ट्रीयता। संकीर्ण राष्ट्रीयता (मेरा ही राष्ट्र श्रेष्ठ है) अंतर्राष्ट्रीयता के मूल सिद्धान्त - सह-अस्तित्व एवं सहयोग में विश्वास नहीं करती, वह व्यक्ति को केवल अपने राष्ट्र के हित तक सीमित रखती है अतः उसमें और अंतर्राष्ट्रीयता में मूलभूत अन्तर होता है। परन्तु उदार राष्ट्रीयता व्यक्ति को अपने राष्ट्र के साथ-साथ दूसरे राष्ट्रों का सम्मान करने की आज्ञा सह- अस्तित्व एवं सहयोग को जन्म देता है। इसमें और अन्तर्राष्ट्रीयता में कोई विरोध नहीं होता। सचमुच व्यक्ति अपने राष्ट्र के प्रति वफादार होते हुए भी दूसरे राष्ट्रों का हित कर सकते हैं, यही सच्ची राष्ट्रीयता है और यही अंतर्राष्ट्रीयता।

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