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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के विकास में बाधक तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास के बाधक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीयता के विकास में बाधक तत्व
अंतर्राष्ट्रीयता के विकास में सबसे बड़ा बाधक तत्व संकीर्ण राष्ट्रीयता है और दूसरा मुख्य कारण विभिन्न राजनीतिक चिन्तन धाराएँ हैं। आज संसार के राष्ट्र अनेक गुटों में बंटे हुए हैं। कुछ राष्ट्र तो हर क्षेत्र में अपनी दादागिरी चलाते हैं। कुछ राष्ट्रों का एक नया गुट है जो अपने को गुटनिरपेक्ष कहते हैं। इन सभी वर्गों में आपस में टकराव है। राष्ट्रों की सांस्कृतिक भिन्नता, संकीर्ण मनोवृत्ति और विस्तारवादी नीति भी अंतर्राष्ट्रीयता के विकास में बहुत बड़ी बाधा है।

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