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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के गुण-दोष पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीयता के गुण-दोष
मनुष्य का अपना एक अजीबो-गरीब स्वभाव होता है उसके हृदय में प्रेम और द्वेष, सहयोग और असहयोग, शान्ति और युद्ध, एक साथ जीते हैं। उसकी प्रेम, सहयोग और शान्ति की भावना ने अंतर्राष्ट्रीयता की भावना को जन्म दिया है। इस भावना के विकास से संसार में निम्नलिखित लाभ होंगे -
1. संसार के सभी राष्ट्र सह-अस्तित्व एवं सहयोग के सिद्धान्तों का पालन करेंगे और उनके बीच का संघर्ष समाप्त होगा।
2. विकसित राष्ट्र विकासशील एवं पिछड़े राष्ट्रों के विकास में सहयोग प्रदान करेंगे और राष्ट्रों का पिछड़ापन दूर होगा।
3. युद्धों का भय नहीं रहेगा और सभी राष्ट्रों की संपूर्ण शक्ति मानव कल्याण में लगेगी।
4. युद्धों पर व्यय होने वाला धन बचेगा और उससे मनुष्य का जीवन स्तर उठेगा।
5. अंतर्राष्ट्रीयता मानवतावाद का तकाजा है, इसका विकास होना ही चाहिए।
परन्तु यह बात भी अपनी जगह सत्य है - 'यदि आसानियाँ हो जिन्दगी दुश्वार हो जाये।' तब अंतर्राष्ट्रीयता के विकास से निम्नलिखित लाभ होने की भी संभावना है -
(i) राष्ट्रों के बीच की होड़ की भावना हो जायेगी और उस स्थिति में कोई राष्ट्र इतनी तीव्रता से विकास कर सकेगा, यही नहीं सोचा जा सकता।
(ii) जब विकसित एवं सबल राष्ट्र अविकसित एवं निबल राष्ट्रों की बिना किसी शर्त के, केवल मानवता के आधार पर सहायता करेंगे तो संसार के आधे लोग कर्महीन हो जायेंगे।
(iii) फिर बिना किसी स्वार्थ के कोई राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों की सहायता करेगा, यह केवल कल्पना की बात है।
(iv) अंतर्राष्ट्रीयता के नाम पर धनी निर्धन वर्ग की सहायता नहीं, शोषण करेगा।
(v) अंतर्राष्ट्रीयता शोषकों का मीठा नारा है, एक राजनैतिक चाल है, इससे सावधान रहना चाहिए।

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