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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।

उत्तर-
"प्राचीन भारत में कक्षाएँ छोटी होती थीं और उनमें 15 या 20 छात्रों से अधिक नहीं थे। अतः आचार्य द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी के प्रति व्यक्तिगत ध्यान दिया जाना सम्भव था। - डॉ. अल्वेकर

कक्षा नायकीय पद्धति का महत्व -

वैदिक कालीन शिक्षा की एक महत्वपूर्ण पद्धति को अग्रशिष्य प्रणाली भी कहा जाता है। इस पद्धति या प्रणाली में उच्च कक्षाओं के बुद्धिमान छात्र, जिन्हें नायक कहा जाता था, निम्न कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाते थे और इस प्रकार गुरु के शिक्षण कार्य में सहायता करते थे। इस प्रणाली के प्रमुख रूप से 2 लाभ थे -
प्रथम - आचार्य की अनुपस्थिति में शिक्षण कार्य अधिकांश कक्षाओं में चलता रहता था।
द्वितीय- नायक कुछ अवधि के पश्चात् शिक्षण कार्य में प्रशिक्षित हो जाते थे। अंग्रेज शिक्षाविदों बेल और लेंकास्टर ने भारत की कक्षा नायकीय पद्धति से प्रभावित होकर उसका अपने देश में भी सूत्रपात किया, पर वे इस पद्धति को आदर्श रूप न दे सके।

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