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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा का महत्त्व

प्राचीन शिक्षा परम्परा का आधार समाज-ऋण चुकाना था। गुरु समाज-ऋण चुकाने के लिए अध्यापन करते थे, उनका स्थान सर्वोच्च था, प्रत्येक व्यक्ति गुरुओं का आदर करते थे तथा उनका समाज में पूजनीय स्थान होता था। प्राचीन काल के उदाहरण हमें वर्तमान शिक्षा को उचित रूप से क्रियान्वित करने में सहायक हो सकते हैं।
अध्यापकों को प्राचीन काल के गुरुओं का अनुकरण करना चाहिए। वे छात्रों को अपने बच्चों की तरह मानें और उनके चारित्रिक व शारीरिक विकास का पूरा-पूरा ध्यान रखें। अध्यापक को स्वयं अपना आचरण भी ठीक रखना चाहिए क्योंकि छात्रों का हृदय अपने गुरुओं की आज्ञा पालन व उनका अनुसरण करने की भावना से जुड़ा रहता है।
छात्रों को भी चाहिए कि वे गुरुओं का उसी प्रकार आदर करें जैसा वे अपने माता-पिता का करते हैं। गुरुओं की आज्ञा का पालन का पाठ इन्हें प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली से सीखना चाहिए। गुरु का स्थान तो बहुत ऊँचा है, कहा गया है-
गुरुब्रह्मा, गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परमबह्मा, तस्मै श्रीगुरुवे नमः।।

अतः शिक्षा का प्रचार तथा प्रसार व्यक्ति की योग्यताओं के आधार पर होना चाहिए। तभी शिक्षा का वास्तविक रूप सामने आयेगा।

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