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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
राष्ट्रीय एकता में बाधक बाधाओं को दूर करने के उपाय
राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधाओं को दूर करने के लिए हमारी सरकार प्रयत्नशील है। इसीलिए भावात्मक एकता समिति की स्थापना हुई और कांग्रेस के भावनगर अधिवेशन में 'राष्ट्रीय एकता सम्मलेन' बुलाया गया। उपर्युक्त समिति व सम्मेलन के निम्न सुझाव थे -
(a) भावात्मक एकता समिति के सुझाव इस समिति के अध्यक्ष डॉ. सम्पूर्णानन्द थे जिन्होंने इस सम्बन्ध में निम्न सुझाव दिये -
1. शिक्षा द्वारा बालकों में उचित अभिसूचियों, दृष्टिकोणों और संवेगों का विकास किया जाये ताकि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत की विशेषताओं और परम्पराओं को समझ सकें।
2. उपर्युक्त लक्ष्य की प्रगति के लिए पाठ्यक्रम में इतिहास को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाये क्योंकि राष्ट्रीय एकता पाठ्यक्रम को सिखाने के लिए इतिहास शिक्षण अनिवार्य है।
3. इतिहास शिक्षण के लिए योग्य अध्यापकों की नियुक्ति की जाये।
4. यह आवश्यक है कि मध्यकाल का इतिहास पढ़ाते समय शिक्षक के द्वारा उन समान सांस्कृतिक तत्वों पर बल दिया जाये जिन्होंने हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों को मिलाने में सहायता की, जिसके कारण स्थापित चित्रकला साहित्य के क्षेत्रों में एकता आयी।
(b) राष्ट्रीय एकता के सम्मेलनों के सुझाव- प्राप्त करने के लिए कुछ सुझाव दिये हैं जो निम्न प्रकार हैं -
1. राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा के उद्देश्य - यह निम्न प्रकार है -
(i) सभी छात्रों को देश के विभिन्न पहलुओं का ज्ञान कराया जाये।
(ii) छात्रों को स्वतंत्रता प्राप्ति से सम्बन्धित बातों से विशेष रूप से परिचित कराया जाये।
(iii) राष्ट्रीय एकता के विकास के लिए सभी जातियों, सम्प्रदायों और राज्यों में अधिक मेल उत्पन्न करने वाली पढ़ाई-लिखाई को प्रोत्साहित किया जाये।
2. राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्य का सुझाव यह निम्न प्रकार है
1. स्कूलों एवं कालेजों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य-पुस्तकों की जाँच की जाये।
2. ऐसी पाठ्य पुस्तकें पढ़ाई जायें, जिनसे राष्ट्रीय एकता के विकास में सहायता मिले।
3. सभी जातियों और धर्मों के व्यक्तियों द्वारा लोकप्रिय मेलों और त्योहारों में भाग लिया जाये।
4. साम्प्रदायिक एकता से सम्बन्धित अध्ययन गोष्ठियों और नाटको का आयोजन किया जाये।
5. राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रबल बनाने के लिए फिल्मों, समाचार-पत्रों और रेडियो का अधिक प्रयोग किया जाये।
3. राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम माध्यमिक शिक्षा आयोग ने देशप्रेम के सम्बन्ध में निम्नलिखित चार बातें बताई हैं -
(i) राष्ट्रीय एकता हित के लिए व्यक्तिगत हित का त्याग।
(ii) देश की निर्बलताओं को स्वीकार करने की तत्परता।
(iii) व्यक्ति की योग्यता के अनुसार देश की सर्वोत्तम सेवा।
(iv) देश के सामाजिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का उचित मूल्याकन।
4. प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का कार्यक्रम -
(i) पाठ्यक्रम में लोकगीतों और कहानियों को स्थान दिया जाये।
(ii) कहानियाँ भारत के विभिन्न क्षेत्रों से चुनी जायें।
(iii) बालकों को विभिन्न क्षेत्रों के महान व्यक्तियों के जीवन से परिचित कराया जाये।
(iv) बालकों को प्रत्येक क्षेत्र के मानव भूगोल की जानकारी कराई जाये।
5. माध्यमिक स्तर पर शिक्षा
(i) बालक को भारत का सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास पढ़ाया जाये।
(ii) बालकों को विभिन्न क्षेत्रों के सांस्कृतिक एवं सामाजिक दशाओं से परिचित कराया जाये।
(iii) बालकों को भारत के वैज्ञानिक और आर्थिक विकास के विषय में जानकारी कराई जाये।
6. विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षा -
(i) समय-समय पर विचार गोष्ठियों और अध्ययन गोष्ठियों की व्यवस्था की जाये।
(ii) इन गोष्ठियों में भाग लेने के लिए अन्य क्षेत्रों के विश्वविद्यालयों के छात्रों का आमन्त्रित किया जाये।
(iii) देश के विभिन्न भागों में 'युवक उत्सवों का आयोजन किया जाये।
(iv) देश के सभी विश्वविद्यालयों से चुने हुए छात्रों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाये।

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