बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- मूल्य निर्माण में विद्यालय की क्या भूमिका है?
उत्तर -
विद्यालय में मूल्यों के विकास के दो प्रमुख आधार है - विद्यालय का समरस एवं सौहार्द्रपूर्ण स्वस्थ पर्यावरण, शिक्षकों द्वारा आदर्श प्रस्तुति। विद्यालय का वातावरण अध्यापकों का व्यक्तित्व एवं व्यवहार तथा विद्यालय में उपलब्ध भौतिक साधन छात्रों को मूल्योन्मुख बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विद्यालय की प्रातः कालीन सभा, पाठ्यक्रम एवं पाठ्य सहगामी क्रियाएँ, सभी धर्मो के धार्मिक उत्सवों का आयोजन, कार्यानुभव, खेलकूद, विषय क्लब, समाज सेवा ये सभी छात्रों में सहयोग एवं पारस्परिक सद्भाव, निष्ठा एवं ईमानदारी, अनुशासन एवं सामाजिक दायित्व आदि जीवन मूल्यों के विकास में सहायक होते हैं। मूल्यों के विकास या निर्माण के लिए विद्यालय का वातावरण लोकतांत्रिक एवं उत्साहवर्धक, स्वच्छ सौन्दर्यपूर्ण, अनुशासनप्रिय एवं सृजनात्मक होना चाहिए। गुरुदेव टैगोर के शब्दों में- "हमारे शिक्षक जब यह समझने लगेगे कि हम गुरु के आसन पर बैठे है और हमें अपने जीवन द्वारा अपने छात्रों में प्राण फूँकने है, अपने ज्ञान द्वारा उनके हृदय में ज्ञान एवं विधा की ज्योति जगानी है अपने प्रेम द्वारा बालकों का उद्धार करना है उनके अमूल्य जीवन का सुधार करना है, उस समय वे सत्य रूप में स्वाभिमान के अधिकारी बन सकेंगे। तब वे ऐसी वस्तु प्रदान करने के लिए तत्पर हो सकेंगे जो बेचे जाने वाली नहीं है उसी समय वे छात्रों के समीप, सरकार द्वारा नहीं, वरन् धर्म के विधान और प्राकृतिक नियम के अनुसार सम्मानित एवं पूज्य बन सकेंगे।
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