बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- मूल्यपूरक शिक्षा की आवश्यकता समझाइए।
उत्तर-
मूल्यपरक शिक्षा की आवश्यकता
(The Need of the Value Oriented Education)
हमारे जीवन में मूल्यपरक शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है। बिना मूल्यपरक शिक्षा के कोई भी व्यक्ति नैतिक चरित्रशील और एक आदर्श नागरिक बनने में समर नहीं होता। व्यक्ति के समुचित विकास के लिए मूल्यपरक शिक्षा अत्यन्त आवश्यक और उपयोगी है।
शिक्षाशास्त्री ड्यूवी के अनुसार - "शिक्षा जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि बिना शिक्षा के जीवन में प्रगति नहीं हो सकती है।"
शिक्षा वह साधन है, जिसके द्वारा व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक विकास होता है और इन तीनों शक्तियों के विकास में ही जीवन की सफलता निहित है। व्यक्तिगत उन्नति के साथ सामाजिक उन्नति के लिए भी शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है।
जॉन ड्यूवी के अनुसार - "शिक्षा को समाजीकरण की प्रक्रिया के नाम से सम्बोधित किया जा सकता है।'
मूल्यपरक शिक्षा व्यक्ति को भौतिक सुख प्रदान करती है। मूल्यपरक शिक्षा द्वारा व्यक्ति जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकता है तथा सफल सामाजिक जीवन बिताने के योग्य बन सकता है। मूल्यपरक शिक्षा के बिना राष्ट्र का विकास सम्भव नहीं है, इसलिए सरकार को चाहिए कि वह प्रत्येक स्थान पर प्रत्येक व्यक्तियों के पास समान रूप से शिक्षा की समुचित व्यवस्था करे ताकि कोई भी व्यक्ति अशिक्षित न रह सके। शिक्षा के माध्यम से ही हम अपनी प्राचीन प्रथाओं, रीति-रिवाजों और परम्पराओं आदि का ज्ञान प्राप्त करते हैं जो किसी न किसी रूप में हमारे विकास का आधार है। जीवन की प्रत्येक -अवस्था में शिक्षा को आवश्यक माना गया है। इसी कारण कुछ शिक्षाशास्त्री जीवन और शिक्षा में कोई अन्तर नहीं मानते। उनके अनुसार - "शिक्षा जीवन है और जीवन ही शिक्षा है।'
अतः हम कह सकते हैं कि मूल्यपरक शिक्षा हमारे जीवन को, हमारे चरित्र को विकसित करने में पूर्णतः सहायक है।
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