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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
'उपनयन' तथा 'समावर्तन' वैदिककालीन शिक्षा के संस्कार थे। उपनयन संस्कार विद्यारम्भ के समय होता था। समावर्तन संस्कार एक निश्चित अवधि की शिक्षा पूरी करने के उपरान्त बालक गृहस्थ वापस आना चाहते थे उनका संस्कार समारोह किया जाता था। उपनयन संस्कार तथा समावर्तन संस्कारों के अन्तर को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
उपनयन संस्कार
उपनयन संस्कार इसे मौजी बन्धन संस्कार भी कहा जाता है।
1. उपनयन का शाब्दिक अर्थ है छात्र को गुरु के समीप ले जाना।
2. उपनयन संस्कार बालक की 8-12 वर्ष की आयु होने पर किया जाता था।
3. उपनयन संस्कार के समय बालक कोपीन, मेखला तथा दण्ड धारण करता था।
4. उपनयन संस्कार के बाद बालक द्विज कहलाता था।
5. इस संस्कार के अवसर पर आचार्य शिष्य से पूछता था कस्य ब्रह्मचारी असि बालक भवतः अर्थात आपका कहकर गुरु के प्रति समर्पित होता था। आचार्य बालक को व्रतोपदेश देता था।
समावर्तन संस्कार
1. समावर्तन संस्कार को गृहस्थ जीवन में पुनः लौटने का संस्कार कहा जाता है।
2. समावर्तन का अर्थ है घर लौटना अर्थात् प्रारम्भिक शिक्षा समाप्ति के उपरान्त गृहस्थ में प्रवेश करना।
3. समावर्तन संस्कार लगभग 24 वर्ष की आयु पर होता था।
4. समावर्तन संस्कार के समय गुरु शिष्य को नए वस्त्र आभूषण, जूता, पगड़ी, अंजन, छाता आदि से सुसज्जित करता था।
5. समावर्तन संस्कार के उपरान्त बालक स्नातक कहलाता था।
6. समावर्तन संस्कार के अवसर पर आचार्य शिष्य को मधुपर्क देते थे तथा स्नातक छात्र विद्यादान देने का व्रत लेता था। गुरु विद्यार्थी को समावर्तन उपदेश देते थे।

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