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फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र

यूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स

प्रकाशक : कानपुर पब्लिशिंग होम प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 307
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर

प्रश्न- व्यावसायिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।

उत्तर-

व्यावसायिक विकास का उद्देश्य

मनुष्य शरीर और मन का योग है। शरीर के अभाव में हम मनुष्य की कल्पना नहीं कर सकते और मन-मस्तिष्क के अभाव में हम उसे पशु से अधिक और कुछ नहीं समझ सकते। इस शरीर की रक्षा के लिए हमें भोज्य पदार्थ, कपड़े तथा मकान आदि की आवश्यकता होती है। अपने आदिकाल में हम शिकार द्वारा उदर पूर्ति करते थे, पेड़ों की छाल से शरीर ढकते थे और पहाड़ों की गुफाओं में रहते थे, तब हम अपनी संतति को इसी क्रिया में प्रशिक्षित करते थे। आगे चलकर हम खेती और पशुपालन की शिक्षा देने लगे। आज हम अपनी जीविका चलाने के लिए अनेक उत्पादन एवं, औद्योगिक कार्य करते हैं, अतः शिक्षा के द्वारा हम अपनी सन्तान को इन सब क्रियाओं में दक्ष करने लगे हैं। इसीलिए आज जीविकोपार्जन का उद्देश्य व्यावसायिक उद्देश्य कहलाता है।
शिक्षा में व्यावसायिक उद्देश्य स्वीकार करने का अर्थ है बच्चों की उनकी रुचि, रुझान, योग्यता और आवश्यकतानुसार किसी उत्पादन कार्य, जैसे- खेती, किसी व्यवसाय जैसे दुकानदारों, वकालत, अध्यापन तथा डाक्टरी, किसी लघु उद्योग जैसे - कताई, बुनाई, बढ़ईगीरी, लुहारगीरी, चमड़े का कार्य अथवा किसी बड़े उद्योग को चलाने हेतु तकनीकी, संगठन और प्रशासन आदि की शिक्षा देना है।
शिक्षा का व्यावसायिक उद्देश्य एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। मनुष्य की सबसे पहली आवश्यकताएँ. रोटी, कपड़ा और मकान है। शिक्षा को हमारी इन प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति करनी ही चाहिए। कला, साहित्य और संगीत की उन्नति के लिए भी धन की आवश्यकता होती है। आज के इस युग में हमारी भौतिक आवश्यकताओं की कोई सीमा नहीं है, हमें अपेक्षाकृत बहुत धन की आवश्यकता होती है। इस धन को हम उत्पादन अथवा उद्योग द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा के द्वारा यदि हम अपने बच्चों को किसी उत्पादन अथवा उद्योग की शिक्षा देते हैं और उससे वे लाभ उठाते हैं तो निश्चित रूप से देश की बेकारी तथा भुखमरी दूर होगी और हमारा देश धन-धान्य से पूर्ण होगा। गरीबी स्वयं में पाप है और अन्य पापों को जन्म देती है। इस पाप स्रोत की समाप्ति के लिए शिक्षा के व्यावसायिक उद्देश्य को सामने रखना चाहिए। व्यावसायिक शिक्षा से एक लाभ यह और होता है कि इससे समाज की निष्क्रियता समाप्त होती है. प्रत्येक व्यक्ति कार्य में व्यस्त रहता है और हम अनेक बुराइयों से बच जाते हैं। अमरीका में इस उद्देश्य पर अधिक बल दिया जाता है तभी वह देश भौतिक साधन एवं प्रसाधनों से सम्पन्न है और संसार के अन्य देश उसकी कृपा पर निर्भर करते हैं।
हम यह जानते हैं कि भूखे पेट भजन नहीं हो सकता, अतः पेट भरने के लिए हमें व्यावसायिक उद्देश्य को स्वीकार करना चाहिए। हम यह भी जानते हैं कि बिना औद्योगिक विकास के कोई राष्ट्र आर्थिक विकास नहीं कर सकता, इस दृष्टि से भी व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। परन्तु केवल पेट भरना और राष्ट्र का आर्थिक विकास करना ही मनुष्य के उद्देश्य नहीं हैं। इसलिए हमें शिक्षा द्वारा अन्य उद्देश्यों की प्राप्ति भी करनी चाहिए। जीविकोपार्जन जीवन का प्रमुख उद्देश्य है परन्तु इस पर आवश्यकता से अधिक बल देना ठीक नहीं। इसे मुख्य उद्देश्य नहीं, किसी अन्तिम उद्देश्य की प्राप्ति का साधन मानना चाहिए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
  4. प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
  6. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
  7. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
  8. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
  9. प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
  10. प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  23. प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
  26. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
  27. प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  29. प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
  30. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  33. प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
  34. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
  36. प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  37. प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
  46. प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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