बी ए - एम ए >> फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्रयूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सांस्कृतिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
सांस्कृतिक विकास का उद्देश्य
सामान्यतः मनुष्य ने जो कुछ भी अच्छा सोचा, समझा और किया है वह उसके समाज की संस्कृति कहलाती है। समाजशास्त्री मनुष्य की समस्त भौतिक उपलब्धियों को भौतिक संस्कृति और वैचारिक उपलब्धियों को अभौतिक संस्कृति कहते हैं। परन्तु तब तो सभ्यता और संस्कृति में कोई अन्तर नहीं रहेगा। कुछ लोग किसी समाज की भाषा, उसके साहित्य, धर्म, दर्शन, खान-पान, रीति-रिवाज, आचार-विचार और कला-कौशल एवं संगीत को उस समाज की संस्कृति मानते हैं। कुछ विद्वान केवल भाषा-साहित्य और कला-संगीत को ही संस्कृति के दायरे में लेते हैं। हमारी अपनी दृष्टि से किसी समाज की संस्कृति से तात्पर्य उस समाज के व्यक्तियों की रहन-सहन एवं खान-पान की विधियों, रीति-रिवाजों, कला-कौशल, संगीत-नृत्य, भाषा-साहित्य और धर्म-दर्शन के उस विशिष्ट रूप से होता है जो उसकी अपनी पहचान होते हैं। प्रत्येक समाज की अपनी संस्कृति होती है; उसके सभी सदस्य अपनी संस्कृति को श्रेष्ठतम समझते हैं और उसके अनुसार आचरण करते हैं और इस प्रकार उस समाज की संस्कृति सुरक्षित रहती है। इसके साथ प्रत्येक समाज के प्रबुद्ध व्यक्ति नित्य नये अनुभव करते हैं, वे अपनी तर्क शक्ति से इन नये अनुभवों की वास्तविकता को समझते हैं और जब आवश्यक होता है तो असत्य का खण्डन और नये-नये सत्यों का प्रतिपादन करते हैं। इस प्रकार किसी समाज की संस्कृति में विकास होता है। पर देखा यह गया है कि कोई भी संस्कृति अपने मूल स्वरूप को कभी नहीं छोड़ती, यही उसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी विद्वान सांस्कृतिक विकास से भिन्न-भिन्न अर्थ लेते हैं। परन्तु अधिकतर शिक्षाशास्त्री अब यह मानते हैं कि शिक्षा द्वारा मनुष्य को अपने समाज की संस्कृति के साथ-साथ अन्य सभ्य समाजों की संस्कृति का भी ज्ञान कराना चाहिए और अपनी संस्कृति में विकास करने की क्षमता उत्पन्न करनी चाहिए। परन्तु हमारा देश एक विशाल देश है, इसमें अनेक संस्कृतियों (आर्य, द्रविड़, यूरोपियन, अरबियन आदि) के लोग रहते हैं। हम शिक्षा द्वारा इन सबकी शिक्षा नहीं दे सकते। हमारे भारतीय लोकतन्त्र में शिक्षा द्वारा सांस्कृतिक विकास का अपना अलग-अलग अर्थ है और वह यह है कि बच्चे अपनी संस्कृति के साथ-साथ समाज की अन्य संस्कृतियों का भी आदर करें। इसके लिए हम विद्यालयों में भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के मूल तत्व और उनकी विशेषताओं से बच्चों को परिचित कराते हैं। परन्तु यह हमारा झूठा विश्वास है कि इससे उनमें सांस्कृतिक उदारता का विकास हो रहा है।
निर्णय रूप में हम यह कह सकते हैं कि प्रत्येक समाज की शिक्षा का एक उद्देश्य सांस्कृतिक विकास भी होना चाहिए। इसके अन्तर्गत हमें बच्चों को समाज की संस्कृति, विशेष अथवा समाज की विशेष संस्कृतियों के मूल तत्वों का ज्ञान कराना चाहिए और इस ज्ञान का तब तक कोई अर्थ नहीं जब तक वह उनके व्यवहार में परिलक्षित न हो। पर केवल सांस्कृतिक विकास में शिक्षा को अपने कार्य की इतिश्री नहीं समझनी चाहिए। उसे बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक, चारित्रिक, व्यावसायिक और आध्यात्मिक विकास पर भी समान बल देना चाहिए।
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- प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।