बी ए - एम ए >> फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्रयूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ज्ञान के अर्थ तथा उसकी अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
ज्ञान : अर्थ तथा अवधारणा
ज्ञान इस शब्द का प्रयोग विभिन्न रूपों या अर्थों में किया जाता है। शेफ्लर के अनुसार, ज्ञान को तीन रीतियों में विभाजित किया गया है जो कि (1) मनोवैज्ञानिक विश्वास समर्थित ज्ञान, (2) प्राविधिक ज्ञान, (3) जानकारी। ज्ञान को एक मनोवैज्ञानिक धारणा या विश्वास की अभिव्यक्ति माना जाता है। उदाहरण देखें तो जैसे कि कोई कह सकता है, "मैं जानता था कि आँधी आएगी और वह आई।' वहीं पर दूसरे प्रकार का ज्ञान प्राविधिक है जिसे अंग्रेजी भाषा में “Know how” या किसी कार्य को करने की योग्यता कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो मैं कार चलाना जानता हूँ या फिर मुझे तैरना आता है आदि। इस प्रकार की योग्यता का होना प्राविधिक ज्ञान कहलाता है। वहीं तीसरे प्रकार का ज्ञान जानकारी कहलाता है जैसे कि नई दिल्ली, भारत की राजधानी है।
ज्ञान के प्रकार - ज्ञान को जिस भी रूप में प्राप्त किया जाता है उसे मुख्य रूप से दो तरीकों में विभाजित किया जा सकता है
(1) प्रागनुभव ज्ञान - जिस आधार पर साध्यों के सत्य होने की जाँच की जाती है उसे प्रागनुभव ज्ञान तथा अनुभवाश्रित ज्ञान कहा जाता है। ज्ञान जो अनुभव से स्वतन्त्र अनुभव निरपेक्ष रूप में प्राप्त किया जा सकता है प्रागनुभव ज्ञान कहलाता है। इसके ठीक विपरीत कोई साध्य जिसे अनुभव के आधार पर जाना जा सकता है अनुभवाश्रित साध्य कहा जाता है। उदाहरण के लिए 5 + 7 = 12 एक प्रागनुभव साध्य है। इसकी सत्यता के लिए किसी भी अनुभव की आवश्यकता नहीं होती। वहीं अगर हम दूसरी ओर ये कहा जाए कि बाहर हवा तेज चल रही है तो इसकी सत्यता को सिद्ध करने के लिए हमें बाहर जाकर यह देखना पडेगा कि क्या वास्तव में ऐसा है अथवा नहीं। अतः हम कह सकते हैं कि यदि किसी साध्य की सत्यता को मात्र साध्य के विश्लेषण के आधार पर सिद्ध करें तो यह प्रागनुभव साध्य होंगे।
(2) अनुभवाश्रित ज्ञान - अनुभवाश्रित ज्ञान अनुभव के आधार पर होता है और इस प्रकार ज्ञान प्राप्ति के रूप को वैज्ञानिक विधि कहते हैं। इसका बल अपनाई गई प्रक्रियाओं की शुद्धता पर निर्भर होता है। ऐसे में तथ्यात्मक जानकारी सम्मिलित होती है जिसकी सत्यता अथवा असत्यता का निर्धारण मात्र अनुभव के आधार पर होता है।
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- प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।